प्रयोजन और भोजन
आस्था में प्रभु की मंदिर गए ,
चैन मन को मिलेगा ,विश्वास था
श्रद्धानत ,आराधना में लीन थे ,
लगा होने शांति का आभास था
व्यस्त हम तो रहे करने में भजन ,
लोग आ पूरा प्रयोजन कर गए
हमें चरणामृत और तुलसीदल मिला ,
लोग पा परशाद ,भोजन कर गए
घोटू
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