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मंगलवार, 23 मई 2017

क्षणिकाएं 
१ 
वो अपनी हठधर्मी को अनुशासन कहते है 
उनके लगाए प्रतिबंध ,उनके सिद्धांत रहते है 
हमारा अपनी मर्जी से जीना ,कहलाता उच्श्रृंखलता है 
ये हमे खलता है 
२ 
इसे आत्मनिर्भरता कहे या स्वार्थ ,
या अपना हाथ,जगन्नाथ 
बिना दुसरे की सहायता के ,
जब अपनी तस्वीरें ,
अपनी मरजी मुताबिक़ खींची जाती है 
'सेल्फी' कहलाती है 
३ 
समय है ,सबसे बड़ा 'कोरियोग्राफर'
जो सबको नचाता है,अपने इशारों पर 
४ 
गुस्से सी ,समंदर की लहरें ,
जब उमड़ती हुई आती है 
किनारे पर ,शांत पड़ी हुई ,
सारी अच्छाइयों को भी ,बहा ले जाती है 

घोटू 

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