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सोमवार, 7 अप्रैल 2014

शहजादा

       शहजादा

सफेदी आ गयी  बालों में ,मगर कहता युवा  खुद को ,
उमर तो है ससुर बनने की ,पर अब तक कंवारा  है
निकलता शब्द जो मुंह से ,वही क़ानून  बन जाता ,
उसे कुछ बेशरम चमचों ने ,सच  इतना बिगाड़ा  है
कोई कहता है शहजादा ,कोई कहता है बच्चा है,
है मम्मी की मगर आशा ,और बहना का दुलारा है
देश की राजनीति में ,अड़ाता टांग है अपनी ,
ये धंधा पुश्तेनी इस बिन ,नहीं चलता   गुजारा है

घोटू 

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