एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

मंगलवार, 18 मार्च 2014

समझौता

         समझौता

पत्नीजी नाराज़ बहुत है ,
पडी हुई मुझसे मुंह फेरे
डबल बेड  के उस कोने में ,
पास नहीं आती है मेरे
और दूसरे कोने में ,मैं ,
उनसे मुंह  फेरे लेटा हूँ
मुझको लगता जैसे उनसे ,
मीलों दूर ,कहीं बैठा हूँ
पर यदि वो एक करवट ले ले ,
तो दूरी हो जायेगी  कम
और यदि मैं एक करवट ले लूं,
आपस में मिल जायेंगे हम
लेकिन पहल कौन करता है ,
रहा मामला यहीं  अटक है
दोनों मिलन चाहते लेकिन,
 लेता कौन  प्रथम करवट है
जीवन में सुख  छा जायेंगे ,
अपना  अहम् छोड़ दें जो हम
वो लें करवट,मै लूं करवट ,
तो  निश्चित ही होगा संगम

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-