संवदेनशीलता
थोड़ी सी बारिश हुई,और हम भीग गए ,
थोड़ी सी सर्दी पडी ,और हम ठिठुराये
थोड़ी सी गर्मी में ,पसीने में तर हुए,
लू के थपेड़ों से ,हम झट से कुम्हलाये
थोड़ी सी पीड़ा ने ,विचलित हमें किया ,
आँखों ने नम होकर ,आंसू भी बरसाए
खबर कोई अच्छी सी ,अगर कहीं से आयी ,
हुआ मन आनंदित ,खुश हो हम मुस्काये
हम उनको पाने की,कोशिशें करते है ,
वो हमको हो जाते ,जब तक हासिल नहीं
नहीं अगर वो मिलते ,टूट टूट जाता दिल,
और तुम कहते हम,संवेदनशील नहीं
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
थोड़ी सी बारिश हुई,और हम भीग गए ,
थोड़ी सी सर्दी पडी ,और हम ठिठुराये
थोड़ी सी गर्मी में ,पसीने में तर हुए,
लू के थपेड़ों से ,हम झट से कुम्हलाये
थोड़ी सी पीड़ा ने ,विचलित हमें किया ,
आँखों ने नम होकर ,आंसू भी बरसाए
खबर कोई अच्छी सी ,अगर कहीं से आयी ,
हुआ मन आनंदित ,खुश हो हम मुस्काये
हम उनको पाने की,कोशिशें करते है ,
वो हमको हो जाते ,जब तक हासिल नहीं
नहीं अगर वो मिलते ,टूट टूट जाता दिल,
और तुम कहते हम,संवेदनशील नहीं
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार...
बहुत खूब
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