फेसबुक स्टेटस
गोल चेहरा
रंग गहरा
मेरा फेसबुक स्टेटस
जस का तस
मजबूर और बेबस
फिर भी कभी कभी,
लेता हूँ हंस
मंहगाई के मौसम के ,
थपेड़े सहता हूँ
मैं बूढा बरगद पर,
हरा भरा रहता हूँ
मेरी शाखाओं पर
पंछियों ने ,
बसा रखे है अपने घर
सुबह शाम,
जब वो चहकते है,
मैं भी चहकता हूँ
बहती हवाओं के,
संग संग बहता हूँ
मन की भावनाओं को,
शब्दों के उकेर कर
फेसबुक के पन्नो पर
कभी कभी कर देता हूँ पोस्ट
उन्हें जब पढ़ते है दोस्त
कोई कॉमेंट देता है,
कोई लाइक करता है
आजकल जीवन ,
कुछ ऐसे ही गुजरता है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
गोल चेहरा
रंग गहरा
मेरा फेसबुक स्टेटस
जस का तस
मजबूर और बेबस
फिर भी कभी कभी,
लेता हूँ हंस
मंहगाई के मौसम के ,
थपेड़े सहता हूँ
मैं बूढा बरगद पर,
हरा भरा रहता हूँ
मेरी शाखाओं पर
पंछियों ने ,
बसा रखे है अपने घर
सुबह शाम,
जब वो चहकते है,
मैं भी चहकता हूँ
बहती हवाओं के,
संग संग बहता हूँ
मन की भावनाओं को,
शब्दों के उकेर कर
फेसबुक के पन्नो पर
कभी कभी कर देता हूँ पोस्ट
उन्हें जब पढ़ते है दोस्त
कोई कॉमेंट देता है,
कोई लाइक करता है
आजकल जीवन ,
कुछ ऐसे ही गुजरता है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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