गहरी चोट
कुछ ऐसे तीर भी होते है ,जो बिना धनुष के चल जाते ,
करते है गहरी चोट मगर ,ना खून खराबा करते है
जब तीर नयन के चलते है,तो सीधे दिल पर लगते है,
दिल की घंटी बजती है पर,ना शोर शराबा करते है
सच तो ये है कि हमको भी ,वो चोट सुहानी लगती है,
हालांकि घायल होने का ,हम यूं ही दिखावा करते है
वो ऐसी आग लगा देते ,जो नहीं बुझाए बुझती है,
दिन दूनी ,रात चौगुनी वो,चाहत में इजाफा करते है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
कुछ ऐसे तीर भी होते है ,जो बिना धनुष के चल जाते ,
करते है गहरी चोट मगर ,ना खून खराबा करते है
जब तीर नयन के चलते है,तो सीधे दिल पर लगते है,
दिल की घंटी बजती है पर,ना शोर शराबा करते है
सच तो ये है कि हमको भी ,वो चोट सुहानी लगती है,
हालांकि घायल होने का ,हम यूं ही दिखावा करते है
वो ऐसी आग लगा देते ,जो नहीं बुझाए बुझती है,
दिन दूनी ,रात चौगुनी वो,चाहत में इजाफा करते है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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