हार का दर्द
मिली शिकस्त ,हुआ पस्त ,बड़ा त्रस्त दुखी,
हो गया अस्त व्यस्त ,ऐसा लगा झटका है
बड़ी बेदर्द , बड़ी बेवफा ,ये पब्लिक है ,
अर्श से फर्श पर लाकर के कहाँ पटका है
कभी पुश्तैनी जो होती थी कुर्सी सत्ता की ,
ध्यान पी एम की कुर्सी पे अब भी अटका है
हार का दर्द क्या ,पूछे ये कोई राहुल से ,
मन में मोदी का सदा ,बना रहता खटका है
घोटू
मिली शिकस्त ,हुआ पस्त ,बड़ा त्रस्त दुखी,
हो गया अस्त व्यस्त ,ऐसा लगा झटका है
बड़ी बेदर्द , बड़ी बेवफा ,ये पब्लिक है ,
अर्श से फर्श पर लाकर के कहाँ पटका है
कभी पुश्तैनी जो होती थी कुर्सी सत्ता की ,
ध्यान पी एम की कुर्सी पे अब भी अटका है
हार का दर्द क्या ,पूछे ये कोई राहुल से ,
मन में मोदी का सदा ,बना रहता खटका है
घोटू
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।