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रविवार, 23 अगस्त 2015

चार दिन

                     चार दिन
 
चार दिनों के लिये चांदनी ,फिर अंधियारा ,
               यही सिलसिला पूरे जीवन भर चलता है
उमर चार दिन लाये ,दो दिन करी आरज़ू ,
                बाकी दो दिन इन्तजार की व्याकुलता  है
चार दिनों के लिए ,अचानक पति देवता,
                जाय अकेले ,कहीं घूमने ,ना खलता है
चार दिनों तक छुट्टी करले,अगर न आये ,
                बाई कामवाली तो काम नहीं चलता है

घोटू 

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