पते की बात
शतरंज
अपने पद और ओहदे पर ,कभी इतराओ नहीं,
बिछी है सारी बिसातें,जिंदगी शतरंज है
कौन राजा,कौन प्यादा ,खेल जब होता ख़तम ,
सभी मोहरे ,एक ही डब्बे में होते बंद है
घोटू
अब
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अब चीजें अब साफ़ हो गयीं अंधेरा छँटने लगा है पहचान रहा मन मंज़िल कोजो
भ्रमित करता रहा है पकड़ी है प्रकाश की डोरीजीवन जैसे एक किताब कोरी जिसमें
लिखा जाना ...
1 दिन पहले
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