पते की बात
शतरंज
अपने पद और ओहदे पर ,कभी इतराओ नहीं,
बिछी है सारी बिसातें,जिंदगी शतरंज है
कौन राजा,कौन प्यादा ,खेल जब होता ख़तम ,
सभी मोहरे ,एक ही डब्बे में होते बंद है
घोटू
सलवट-सलवट चेहरा
-
*झुर्री-झुर्री हाथ हुए हैं ,सलवट-सलवट चेहरा *
*खो ही गया वो नन्हा बच्चा,*
*बड़ा हुआ था पहन के जो *
*अरमानों का सेहरा *
*एक-एक कर कहाँ गये वो उम्र के ...
19 घंटे पहले
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।