मंथरा
जो लोग अपना भला बुरा नहीं समझते
आँख मूँद कर, दूसरों की सलाह पर है चलते
उन पर मुसीबत आती ही आती है
बुद्धि भ्रष्ट करने के लिए ,हर केकैयी को ,
कोई ना कोई मंथरा मिल ही जाती है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
जीना है जीवन भूल गए
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जीना है जीवन भूल गए जब संसार सँवारा हमने मन पर धूल गिरी थी आकर, जग पानी
पी-पी कर धोया मन का प्रक्षालन भूल गए !नाजुक है जो, जरा ठेस से आहत होता,
किरच चुभे ...
1 दिन पहले
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