एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

गुरुवार, 26 अगस्त 2021

तू मेरी तकदीर बन गई 

मैं सीधा सा भोला भाला 
पर तूने घायल कर डाला 
गई चीर जो मेरे दिल को ,
नजर तेरी शमशीर बन गई 

मैं स्वच्छंद विचरता रहता 
अपने मनमाफिक था बहता
 तूने प्यार जाल में बांधा,
 जुल्फ तेरी जंजीर बन गई 
 
मैं रेतीला राजस्थानी 
मिला प्यार का तेरे पानी 
तन मन में हरियाली छाई 
मेरी छवि कश्मीर बन गई 

मैं एक पत्ता हरा भरा था
 तूने छुआ रंग निखरा था 
 मेहंदी हाथ रचाई तूने,
 लाल मेरी तस्वीर बन गई 
 
मैं चावल का अदना दाना
 पाया तेरा साथ सुहाना 
 तूने अपने साथ उबाला,
 स्वाद भरी फिर खीर बन गई
 
 हाथों में किस्मत की रेखा 
 लेकिन जब से तुझको देखा 
 तू और तेरी वर्क रेखाएं 
 ही मेरी तकदीर बन गई

मदन मोहन बाहेती घोटू

बुधवार, 25 अगस्त 2021

मिलन पर्व

 रूप तुम्हारा मन को भाया, 
 तुमने भी कुछ हाथ बढ़ाया
  बंधा हमारा गठबंधन और ,
  मिलन पर्व हैअब जब आ 
  सांसो से सांसे टकराई
 और प्रीत परवान चढ़ गई 
 यारां, मेरी नींद उड़ गई 
 
 तुमने जब एक अंगड़ाई ली, 
 फैला बांह ,बदन को तोड़ा 
 देखा उस सुंदर छवि को तो,
  सोया मन जग गया निगोड़ा
 फिर जो तेरे अलसाये से ,
 तन की मादक खुशबू महकी 
 मेरे तन मन और बदन में, 
 एक चिंगारी जैसी दहकी
 पहले वरमाला, बांहों की,
 माला फिर थी गले पड़ गई
यारां, मेरी नींद उड़ गई 

 मैंने जब तुमको सहलाया ,
 प्यार तुम्हारा भी उमड़ाया 
 बात बड़ी आगे, अधरों ने ,
 जब अधरों का अमृत पाया 
 हम तुम दोनों एक हो गए, 
 बंध बाहों के गठबंधन में 
 सारा प्यार उमड़ कर आया 
 और सुख सरसाया जीवन में 
 मैं न रहा मैं, तुम न रही तुम, 
 ऐसी हमने प्रीत जुड़ गई 
 यारां, मेरी नींद उड़ गई

मदन मोहन बाहेती घोटू

मंगलवार, 24 अगस्त 2021

शाश्वत सच 

मैं चौराहे पर खड़ा हुआ 
क्योंकि मुश्किल में पड़ा हुआ 
मैं इधर जाऊं या उधर जाऊं,
 यह प्रश्न सामने खड़ा हुआ 
 एक तरफ जवानी के जलवे
  जिनमें मैं डूबा था अब तक 
  एक तरफ बुढ़ापा बुला रहा
   देता है बार-बार दस्तक
   मैं किधर जाऊं, क्या निर्णय लूं
   मन में उलझन, शंशोपज है
  आएगा बुढ़ापा निश्चित है 
  क्योंकि ये ही शाश्वत सच है 
  कोई चिर युवा नहीं रहता 
  यह सत्य हृदय को खलता है 
  दिन भर जो सूरज रहे प्रखर,
  वह भी संध्या को ढलता है 
  रुक पाता नहीं क्षरण तन का,
   मन किंतु बावरा ना माने 
   इसलिए लगा हूं बार-बार 
   मैं अपने मन को समझाने
    तू छोड़ मोह माया सारी 
    अब आया समय विरक्ती का 
    जी भर यौवन में की मस्ती,
     अब वक्त प्रभु की भक्ति का 
     एक वो ही पार लगाएंगे,
     तेरा बेड़ा भवसागर में 
     तू भूल के सांसारिक बंधन 
     अब बांधले बंधन ईश्वर से

   मदन मोहन बाहेती घोटू
मिलन पर्व

 रूप तुम्हारा मन को भाया, तुमने भी कुछ हाथ बढ़ाया 
बंधा हमारा गठबंधन और मिलन पर्व हैअब जब आया 
सांसो से सांसे टकराई और प्रीत परवान चढ़ गई 
 यारां, मेरी नींद उड़ गई 
 तुमने जब एक अंगड़ाई ली, फैला बांह ,बदन को तोड़ा 
देखा उस सुंदर छवि को तो सोया मन जग गया निगोड़ा
 फिर जो तेरे अलसाये से ,तन की मादक खुशबू महकी
 मेरे तन मन और बदन में, एक चिंगारी जैसी दहकी
और फिर मुझे सताने तुमने करवट बदली और मुड़ गई
यारां, मेरी नींद उड़ गई 
 मैंने जब तुमको सहलाया ,प्यार तुम्हारा भी उमड़ाया 
बात बड़ी आगे अधरों ने ,जब अधरों का अमृत पाया 
हम तुम दोनों एक हो गए, बंध बाहों के गठबंधन में सारा प्यार उमड़ कर आया और सुख सरसाया जीवन में 
 मैं न रहा मैं, तुम न रही तुम, ऐसी हमने प्रीत जुड़ गई 
 यारां, मेरी नींद उड़ गई

मदन मोहन बाहेती घोटू

रविवार, 22 अगस्त 2021

रक्षाबंधन नया विचार 

जब भी आता है हर साल,
 रक्षाबंधन का त्योहार 
 बहन भाई को बांध के राखी
 जतलाती है अपना प्यार 
 
 जागृत हो जाता है मन में ,
 बचपन का वह लाड़ दुलार 
 जबकि मनौती मांगे बहना,
  जिये भाई उसका सौ साल 
  
  यह प्यारा त्यौहार हर्ष  का,
  आए हर बरस सावन में 
  भाई बहन के प्यारे रिश्ते 
   आ जाते नवजीवन में 
   
   रक्षा सूत्र कलाई में जब,
    भाई की  बांधा जाता 
    बहन भाई से ले लेती है,
    अपनी रक्षा का वादा 
    
    हर राखी पर मेरे मन में 
    उठता है यह सोच जरा 
    भाई भाई में क्यों ना होती 
    रक्षा की यह परंपरा 
    
    छोटा भाई बड़े भाई को 
    रक्षा सूत्र अगर बांधे 
    भाई भाई के सारे झगड़े,
     रह जाएंगे फिर आधे 
     
     अगर भाई अपने भाई को 
     राखी बांधेगा हर बार 
     भाई भाई में फिर से जीवित 
     होगा बचपन वाला प्यार

  मदन मोहन बाहेती घोटू

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-