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बुधवार, 25 सितंबर 2019

श्राद्ध और दक्षिणा

दो दिन बाद ,पिताजी का श्राद्ध था
ये मुझे याद था
मैंने पंडितजी को फोन मिलाया
थोड़ी देर घंटी बजती रही ,
फिर उन्होंने डकार लेते हुए फोन उठाया
मैंने कहा पंडितजी प्रणाम
वो बोले खुश रहो यजमान
कहिये किस लिए किया है याद
मैंने कहा परसों है पिताजी का श्राद्ध
आपको सादर निमंत्रण है
वो बोले परसों तो तीन आरक्षण है
पर श्रीमान
आप है पुराने यजमान
आपका निमंत्रण कैसे सकता हूँ टाल
बतलाइये ,आपको यजमानो की सूची में ,
आपको कौनसे नम्बर पर दूँ डाल  
मैंने कहा गुरुवर
क्या है ये नम्बर का चक्कर
वो बोले एक नंबर के यजमान के यहाँ ,
हम सबसे पहले जाते है
तर्पण करवाते है
पेट भर खाते  है
आप तो जानते ही है कि जितना हम खायेंगे
उतना ही सीधे आपके पुरखे पायेंगे
हमारा पेट भर खाना
याने आपके पुरखों को तृप्ति पहुँचाना
पर इसके लिए दक्षिणा थोड़ी ज्यादा चढ़ाना होता है
और मान्यवर
पंडित के लिए बायाँलिस नंबर का ,
मान्यवर का कुरता पाजामा लाना होता है
ऐसा श्राद्ध ,सर्वश्रेष्ठ श्रेणी का श्राद्ध कहलाता है
जिससे पुरखा पूर्ण तृप्ति पाता  है
दूसरे नम्बर के यजमान के यहाँ ,
हम पूर्ण करने उनका प्रयोजन
कर लेते है थोड़ा सा भोजन
यह अल्पविराम होता है
अच्छी दक्षिणा में हमारा ध्यान होता है
क्योंकि जो हम खातें है वो तो,
यजमान के पुरखों को चला जाता है
हमारे हाथ तो सिर्फ दक्षिणा का पैसा आता है
साल में श्राद्धपक्ष के सोलह दिन
ये ही तो होता है हमारा 'बिजी सीजन '
जब इतना खाते है तो पचाना भी होता है
चूरन आदि भी खाना होता है
सेहत ठीक रखने के लिए जिम भी जाना होता है
और आप तो जानते ही है ,
कि मंहगाई कितनी बढ़ती जा रही है
हर चीज की कीमत चढ़ती जा रही है
क्या आपको यह उचित नहीं लगता है
दक्षिणा की राशि में वृद्धि की कितनी आवश्यकता है  
हमको भी चलाना होता घर परिवार है
अब आपसे क्या कहें,आप तो खुद ही समझदार है
रही तीसरे और चौथे यजमान की बात ,
तो उनके यहाँ हम कम ही बैठते है
बस थोड़ा सा मुंह ही ऐंठते है
पेट में जगह ही कहाँ बचती है जो खाएं खाना
बस हमारा तो ध्येय होता है उचित दक्षिणा पाना
पांचवां छटा यजमान भी मिल जाए,
 तो उसे भी हम नहीं छोड़ते है
क्योंकि हम किसी का दिल नहीं तोड़ते है
हमने कहा पंडितजी ,आपका वचन सत्य है
अवसर का लाभ लेना ,आदमी का कृत्य है
ये तो आपका सेवाभाव ही है जो आप ,
श्राद्ध के पकवान खा लेते है
और हमारे पुरखों तक पहुंचा देते है
अगर आप ये उपकार नहीं करते
तो हमारे पुरखे तो भूखे ही मरते
ये आपकी विशालहृदयता है
जिसके बदले 'कोरियर चार्जेस 'के रूप में ,
आपका अच्छी दक्षिणा पाने का हक़ तो बनता है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

मंगलवार, 24 सितंबर 2019

विरहन की पुकार

गर्मी में उमस सताती है ,सर्दी में सिहरन होती है ,
बारिश में बरसते आंसूं पर तुम रोने मुझे नहीं देते
कुछ मुंदी  अधमुंदी आँखों से ,जी खोना चाहे ख्यालों में ,
तो मुझे जगा सपनो में भी ,तुम खोने मुझे नहीं देते
तुम्हारी साँसों में बस कर ,अपना सम्पूर्ण समर्पण कर ,
जी चाहे तुम्हारी हो जाऊं ,तुम होने मुझे नहीं देते
जब तुम रहते हो दूर सनम ,तो मुझको नींद नहीं आती ,
जब पास हमारे आ जाते  ,तो सोने मुझे  नहीं देते

घोटू 
पुण्य या ?

कुछ दाने धरती पर बिखरा ,थोड़ा सा पानी से सींचों ,
वो कई गुना बन जाएंगे ,लोगों की भूख मिटायेंगे
लेकिन बिखरा उन दानो को ,तुम कबूतरों को खिला रहे ,
जब माल मुफ्त का देखेंगे ,कर बीट  ,ढीठ चुग जाएंगे
तुम सोच रहे बिखरा दाने ,तुम कार्य पुण्य का करते हो ,
पर अगर ढंग  से सोचो तो ,कुछ पुण्य नहीं तुम कमा रहे
नित कार्यशील थे जो पंछी ,उड़ते तलाश में दाने की ,
बिन मेहनत खिला रहे उनको और उन्हें निकम्मा बना रहे

घोटू 
मेरे प्यार का दुश्मन

ये कान लगा कर सुनती है जब वो इनसे कुछ कहता है
ये उससे चिपकी रहती है ,वो इनसे चिपका रहता है
ये मेरी ओर देखती ना ,बस उससे नज़र मिलाती है
और एक हाथ से पकड़ उसे ,फिर दूजे से सहलाती है
वो थोड़ी सी हरकत करता तो उसके पास दौड़ती है
हद तो तब होती बिस्तर पर भी ,उसको नहीं छोड़ती है
वो नाजुक नाजुक हाथ कभी ,सहलाया करते थे हमको
बालों में फंसा नरम ऊँगली,बहलाया करते थे हमको
वो ऊँगली हाथ सलाई ले ,सर्दी में बुनती थी स्वेटर
सर दुखता था तो बाम लगा ,जो सहलाती थी मेरा सर
वो ऊँगली जिसमे  चमक रहा अब भी सगाई का है छल्ला
हो गयी आज बेगानी सी ,है छुड़ा लिया मुझसे पल्ला
ऐसी फंस गयी मोहब्बत में ,उस स्लिम बॉडी के चिकने की
करती रहती है चार्ज उसे ,और  मेरे पास न टिकने की
वो इन्हे संदेशे देता है ,घंटों तक इनको तकता है
अपने सीने में खुले आम ,इनकी तस्वीरें रखता है
उससे इनने दिल  लगा लिया ,और तोड़ दिया है मेरा दिल
मेरी जान का दुश्मन मोबाईल ,मेरे प्यार का दुश्मन मोबाईल

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

रविवार, 22 सितंबर 2019

Happy weekend ...?

My name is Reem E. Al-Hashimi, the Emirates Minister of State and Managing Director for the United Arab Emirates (Dubai) World Expo 2020 Committee. I am writing you to stand as my partner to receive my share of gratification from foreign companies whom I helped during the bidding exercise towards the Dubai World Expo 2020 Committee.
As a married Arab women serving as a minister, there is a limit to my personal income and investment level. For this reason, I cannot receive such a huge sum back to my country, so an agreement was reached with the foreign companies to direct the gratifications to an open beneficiary account with a financial institution where it will be possible for me to instruct further transfer of the fund to a third party account for investment purpose which is the reason i contacted you to receive the fund as my partner for investment in your country.
The amount is valued at $47,745,533.00 United States dollars with a financial institution waiting my instruction for further transfer to a destination account as soon as I have your information indicating interest to receive and invest the fund.I will compensate you with 30% of the total amount and you will also get benefit from the investment.
If you can handle the fund in a good investment, get back to me for more details on this email; ( sm9546729@gmail.com  )
Sincerely,
Ms. Reem.
 
 

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