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सोमवार, 7 अप्रैल 2014

शहजादा

       शहजादा

सफेदी आ गयी  बालों में ,मगर कहता युवा  खुद को ,
उमर तो है ससुर बनने की ,पर अब तक कंवारा  है
निकलता शब्द जो मुंह से ,वही क़ानून  बन जाता ,
उसे कुछ बेशरम चमचों ने ,सच  इतना बिगाड़ा  है
कोई कहता है शहजादा ,कोई कहता है बच्चा है,
है मम्मी की मगर आशा ,और बहना का दुलारा है
देश की राजनीति में ,अड़ाता टांग है अपनी ,
ये धंधा पुश्तेनी इस बिन ,नहीं चलता   गुजारा है

घोटू 

श्वान और इंसान

         श्वान और इंसान

आदमी में और कुत्ते में फर्क क्या दोस्तों ,
           सोचता हूँ आज ये सबको बताना  चाहिए
हमको जब भी आता प्रेशर ,जाते हम टॉयलेट में,
             फिक्स है वो जगह हमको ,जहां जाना चाहिए
मगर कुत्ता सूंघ कर ,तय करता है अपनी जगह,
                 है जरूरी इसलिए ,उसको  घुमाना  चाहिए
आदमी को प्यार करने को तो बीबी 'फिक्स'है ,
                 कुत्ते को हर बार पर नूतन  जनाना  चाहिए

घोटू 

युवराज का परफॉर्मन्स

         युवराज का परफॉर्मन्स

बाल इक्कीस ,और रन ग्यारह ,ट्वेंटी ट्वेंटी फ़ाइनल,
                      हरा डाला देश को ,क्या खेल था युवराज का
हरएक ओवर में है मोदी ,फास्ट बॉलिंग कर रहे ,
                        इलेक्शन में भी न ऐसा ,हश्र  हो युवराज का

घोटू

विरह गीत

         विरह गीत

बीत गए कितने दिन
रीत गए कितने दिन
विरहा की अग्नी में,
तड़फे जब तेरे बिन

निंदिया ने उचट उचट
आंसू ने टपक टपक
सपनो ने भटक भटक
इस करवट,उस करवट
तुम्हारी यादों में,
मीत ,गए कितने दिन
बीत गए कितने दिन
इस दिल ने धड़क धड़क
भावों ने भड़क भड़क
यादों ने उमड़ उमड़
तड़फाया ,तड़फ तड़फ,
कैसे हम जी पाये,
बिना प्रीत,इतने दिन
बीत गए कितने दिन

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

रविवार, 6 अप्रैल 2014

अच्छा कल बात करना

   अच्छा कल बात करना

मेरी माँ और मेरी मासी
एक की उम्र बानवे,एक कि अठ्ठासी
दोनों अलग अलग अकेली
एक दुसरे को फोन करती है डेली
उनकी बातचीत कुछ होती है ऐसी
और तुम हो कैसी और मैं हूँ कैसी
तबियत ठीक है ना,कैसे है हालचाल
बहू बेटे ,रखते है ना ख्याल
सबकी चिंताएं मन में बसी हुई है
मोह माया के जाल में फंसी हुई है
और इधर उधर की बातें करने के बाद
रोज होता है उनका संवाद
क्या करें बहन ,मन नहीं लगता है
बड़ी ही मुश्किल से वक़्त कटता है
दिन भर क्या करें,बैठे  ठाले
इतनी उम्र हो गयी,अब तो राम उठाले
क्या करें ,मौत ही नहीं आती  ,एक दिन है मरना
पल भर का भरोसा नहीं पर कहती है,
अच्छा कल बात करना

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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