चार दिन की चांदनी
कौन कहता है कि होती चांदनी है चार दिन,
और उसके बाद फिर होती अँधेरी रात है
आसमां की तरफ को सर उठा ,देखो तो सही,
अमावास को छोड़ कर ,हर रात आता चाँद है
सर्दियों के बाद में चलती है बासंती हवा,
और तपती गर्मियों के बाद में बरसात है
वो ही दिख पाता है तुमको,जैसा होता नजरिया,
सोच जो आशा भरा है, तो सफलता साथ है
देख कर हालात को ,झुकना, बदलना गलत है,
आदमी वो है कि जो खुद ,बदलता हालात है
सच्चे मन से चाह है,कोशिश करो,मिल जाएगा,
उस के दर पर ,पूरी होती ,सभी की फ़रियाद है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
उत्कृष्ट योगदान के लिए इं. अनुज पचौरी सम्मानित
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*बरेली :* बीआईयू कॉलेज ऑफ़ ह्यूमनिटीज़ एण्ड जर्नलिज़्म एवं बीआईयू कॉलेज ऑफ़
मैनेजमेंट (बरेली इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी) में संयुक्त...
1 घंटे पहले