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रविवार, 24 मार्च 2024

जमाने की बात


जमाने की यादें जमा कर रखी है,

बचत की रकम बैंक में सब जमा है

महफिल में कोई, चले जाते हैं तो,

 रंग अपनी बातों से देते जमा है 

तजुर्बों की पूंजी जमा कर रखी है 

देखा सभी क्षेत्रों को आजमा है 

कभी पानी को यह बर्फ में जमाते 

और दूध का दही देते जमा है 

बेसन की, मावे की बर्फी जमा कर

रहा ना दुरुस्त इनका हाजमा है 

मगर चुलबुलापन ,अब भी कायम

चेहरे पर अब भी , जवानी जमा है


मदन मोहन बाहेती घोटू

आज तो होली है


रंगे है रंगों से सब अंग  

सभी में मस्ती और उमंग 

मचाते हल्ला और हुड़दंग 

आज तो होली है ,आज तो होली है


भंग का ऐसा छाया रंग 

नशे में यार दोस्त के संग 

भुलाए सारे रंग और ढंग

आज तो होली है ,आज तो होली है 


उड़ रही है अबीर गुलाल

कंचुकी और साड़ी सब लाल 

गौरी की बदल गई है चाल 

आज तो होली है ,आज तो होली है 


आया है ऐसा प्यारा फाग 

सभी ने लाज शरम दी त्याग

बरसता सभी तरफ अनुराग 

आज तो होली है, आज तो होली है 


हो गए बूढ़े सभी जवान 

कर रहे हैं पूरे अरमान 

गा रहे मस्ती वाले गान 

आज तो होली है ,आज तो होली है


आज हर रमणी राधा प्यारी 

बना हर मानुष कृष्ण मुरारी

घूमता हाथ लिए पिचकारी 

आज तो होली है ,आज तो होली है


गुजिया खायें ,खिलाए लोग 

बाहरऔर भीतर मधुर संयोग 

इस तरह बन जाए सब लोग 

आज तो होली है, आज तो होली है


जलाकर बैर भावऔर रार

रंग की बनी रहे बौछार 

प्यार की मलो अबीर गुलाल 

आज तो होली है ,आज तो होली है


मदन मोहन बाहेती घोटू

सोमवार, 18 मार्च 2024

मैं फिट हूं 


उमर बयांसी पार हो गई ,

मैंने खुद को फिट रक्खा है 

फिर भी कुछ ना कुछ तकलीफें ,

हो जाती  इक्का दुक्का है 


उम्र जन्य सारी बीमारी ,

सबको होती, मुझको भी है 

अब चलने पर घुटने भारी 

सबके होते, मेरे भी हैं 

थोड़ा ऊंचा भी सुनता हूं 

आंखों में है धुंधलापन भी 

याददाश्त भी साथ में देती

हाथ पांव में बचा न दम भी 

लेकिन मैंने कमजोरी को ,

लोगों के आगे ढक्का है 

उमर बयांसी पार हो गई ,

मैंने खुद को फिट रक्खा है 


मंद हो गई पाचन शक्ति 

और भूख भी लगती कम है 

ज्यादा चललो ,सांस फूलती 

कमजोरी का यह आलम है 

काम धाम ना कुछ करने को 

डूबा रहता हूं आलस में 

ज्यादा कोई परिश्रम करना 

रहा नहीं अब मेरे बस में 

चुस्ती फुर्ती सभी खो गई 

तन रहता थक्का थक्का है 

उम्र बयांसी पार हो गई 

मैंने खुद को फिट रक्खा है 


हुई भूलने की बिमारी,

याद न रहते नाम किसी के 

याद मगर आते रहते हैं 

यौवन के दिन हंसी खुशी के 

बच्चे मेरी बात न सुनते 

घर में मेरी ना चलती है 

मैं मिठाई का प्रेमी लेकिन

खान-पान पर पाबंदी है 

फिर भी मैंने पकवानों को 

चुपके चुपके से चख्खा है 

उम्र बयांसी पार हो गई 

मैंने खुद को फिट रक्खा है


मदन मोहन बाहेती घोटू

बुधवार, 6 मार्च 2024

होली का त्योहार 


आओ आओ मनाए सब यार 

प्यार से होली का त्यौहार

रंगों के संग खुशियां बरसे,

उड़े अबीर गुलाब 

मनाएं होली का त्यौहार 


यह प्यारा त्यौहार रंगीला 

हर कोई है नीला पीला 

धूम मच रही है बस्ती में 

झूम रहे हैं सब मस्ती में 

आपस में कोई भेद नहीं है 

जीवन का आनंद यही है 

ले पिचकारी, सभी कर रहे

 रंगों की बौछार 

मनायें होली का त्यौहार



रात होली का दहन किया था

बैर भाव सब जला दिया था 

नारायण का नाम लिया था 

प्रभु भक्त प्रहलाद जिया था 

इस खुशी में रंग बरसा कर 

खुश होकर के, हंसकर गाकर 

भाईचारा मेलजोल से 

है आनंद अपार 

मनाएं होली का त्यौहार 


ऐसा प्यार फाग है आया

घर-घर में अनुराग है लाया 

आज सभी पर रंग चढ़ा है

मतवाला अनंग चढ़ा है 

एक दूजे पर रंग लगाते 

सबसे मिलते हंसते गाते 

मस्ती में सारी बस्ती है

 रंगों से गुलजार 

मनाएं होली का त्यौहार


मदन मोहन बाहेती घोटू

मंगलवार, 13 फ़रवरी 2024

कभी खुद से भी प्यार करके देखो 

आप पत्नी से प्यार करते हो, करो 
आप बच्चों से प्यार करते हो, करो 
आप परिवार से प्यार करते हो,करो 
आप मित्रों से प्यार करते हो, करो 
पर इन सब पर प्यार लुटाने के चक्कर में कभी भी नहीं झांकते हो अपने अंदर में कभी स्वयं पर भी उपकार करके देखो कभी खुद से भी तो प्यार करके देखो

पत्नी को नई साड़ी चाहिए ,दिलवा दोगे बच्चों को नए खिलौने चाहिए , ला दोगे परिवार की जरूरत पर सदा जोर दिया है क्या अपनी बनियान के छेदों पर गौर किया है 
कभी खुद के लिए भी नए सूट सिलवाओ अपने लिए ब्रांडेड स्पोर्ट्स शूज ले आओ आज तक तुमने दिन-रात खट कर जो कमाया है 
क्या कभी थोड़ा सा उसका सुख उठाया है ठेले पर ₹10 के पांच गोलगप्पे खाकर खुश हो जाते हो 
किसी पांच सितारा होटल में लंच क्यों नहीं खाते हो 
तुमने एक दो छोटे तीर्थ करके जिंदगी गुजार दी है 
जरा खोह से निकल कर देखो ये दुनिया कितनी बड़ी है 
भगवान ने यह दुनिया बनाई है इतनी सुंदर और तुम सिमट कर रहते हो चार दिवारी के अंदर
कभी पंख लगा कर हवाई जहाज में भी उड़ो
हिल स्टेशन पर जाकर बर्फीले पहाड़ों से भी तो जुड़ो 
देश-विदेश की सैर करो, वहां की संस्कृति को जानो
ईश्वर ने जो इतनी बड़ी दुनिया बनाई है,,
उसे पहचानो 
जो इतना कमाया है खुद पर भी खर्च करो, मजा लो 
बुढ़ापे में जीवन का सारा आनंद उठा लो वरना जब ऊपर जाओगे तो ऊपर वाला पूछेगा 
जो मैंने इतनी बड़ी दुनिया बनाई है तुमने क्या देखा 
तुम्हारे पास जवाब ना होगा तो वह खफा होकर 
फिर से एक बार भेज देगा तुम्हें धरती पर और तुम फिर मृत्युलोक के 84 के चक्कर में फंस जाओगे 
तुम्हें मोक्ष नहीं मिल पाएगा और ना भवसागर तर पाओगे
इसलिए जितना भी हो सके, घूमो, फिर कर के देखो
खुद पर भी खर्च करो,खुद से प्यार करके देखो

मदन मोहन बाहेती घोटू 

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