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गुरुवार, 24 अगस्त 2023

रिश्ता चांद से

जिस चांद के प्रतिबिंब को ,
पानी की थाली में ,
बचपन में मैं 
अपने कोमल हाथों से
हिलाया डुलाया करता था 

जिस चांद को बड़े प्यार से
 मैं चंदा मामा कह कर 
 बुलाया करता था
 
जिस चांद की लोरी 
*चंदा मामा दूर के *
*पुए पकाए पूर के *
गा गा कर मां मुझे
दूध की घूंट पिलाती थी 

जिस चांद को देखकर ,
चौथ का व्रत किये,
दिनभर की भूखी मेरी मां ,
खाना खाती थी 

जिस चांद की तुलना
 बेटे से *चांद सा बेटा* कह कर 
 और प्रेमिका से 
* चांद सी महबूबा *कहकर की जाती है 
 
जिस चांद का नाम लेकर 
प्रथम मिलन की रात को 
दुनिया* हनीमून *मनाती है 

जिस तरह अपनी पत्नी के
 कोमल कपोलों पर 
 मेरे थरथराते होठों ने 
 प्यार का पहला चुंबन था चिपकाया
 
आज मेरे देश के वैज्ञानिकों ने
 उसी चांद पर 
 चंद्रयान है उतराया 
 
यह हमारे देश के वैज्ञानिकों की
तकनीकी उत्कृष्टता का सबूत हो गया है 

चांद से हमारा पुराना रिश्ता 
और भी मजबूत हो गया है 

मदन मोहन बाहेती घोटू 

बुधवार, 23 अगस्त 2023

वशीकरण मंत्र

अपने नव विवाहित बेटे से पूछा उसकी मां ने 
बेटा ,क्या तेरी बहू जादू टोना है जाने 
पहले तू मेरे आगे पीछे घूमता था 
मेरी हर बात को सुनता था 
अब तुझे बात करने का भी टाइम नहीं मिल पाये हैं 
जब भी मिले, पत्नी के गुण गाये हैं 
तेरी बीवी ने ऐसा क्या जादू किया है 
जो चार दिनों में तुझे काबू किया है 
बेटा बोला ,अम्मा यही सवाल दादी ने पापा से किया था
 मेरा जवाब भी वही है, जो पापा ने दिया था 
 ये बात तो जानी मानी है
 हर घर की यही कहानी है
 वैसे यह वशीकरण मंत्र तू भी जाने हैं 
 तभी तो पापा तेरी हर बात माने हैं

मदन मोहन बाहेती घोटू 

सोमवार, 21 अगस्त 2023

जिंदगी की हकीकत

ढूंढ रहे क्यों दोष पराये , झांको अपने मन अंदर 
दुनिया भर की सारी कमियां, साफ आएंगे तुम्हें नज़र 
जिंदगी की हकीकत यही है 

देख पराई चिकनी चुपड़ी, मत मलाल मन में लाना 
तुम्हें पता है, तुमको घर की, रोटी दाल ही है खाना 
जिंदगी की हकीकत यही है 

कितनी पीड़ा सह सह तुमने, ये जो बच्चे पाले हैं 
बड़े हुए ,जब पंख लगेंगे ,सब उड़ जाने वाले हैं 
जिंदगी की हकीकत यही है 

तुमने खटकर,जोड़ तोड़कर, यह जो दौलत जोड़ी है 
साथ नहीं कुछ भी जानी है, यहीं पर जानी छोड़ी है 
जिंदगी की हकीकत यही है 

आज आज्ञाकारी बनते , काम नहीं कल आएंगे 
उंगली पकड़ सिखाया जिनको ,उंगली तुम्हें दिखाएंगे 
जिंदगी की हकीकत यही है 

जिनको तुम अपना कहते हो ,भूल जाएंगे सभी जने 
उनकी दीवारों पर कुछ दिन ,लटकोगे तस्वीर बने 
जिंदगी की हकीकत यही है 

अपने और पराये का तुम, मन में पालो नहीं भरम 
इसीलिए सत्कर्म करो तुम, साथ जाएंगे सिर्फ करम 
जिंदगी की हकीकत यही है

मदन मोहन बाहेती घोटू
हम भी खुश और अगला भी खुश

कई बार ऐसा होता कुछ
हम भी खुश और अगला भी खुश 

मैं भगवन को शीश नमाता 
श्रद्धा से परशाद चढाता 
वो ना खाते , मैं ही खाता 
पत्नी को भी शीश नमाता 
सारी तनख्वाह उसे थमाता 
उससे ले घर कर चलाता 
वह समझे, वो ही है सब कुछ 
मैं भी खुश और पत्नी भी खुश 

प्रभु जी का गुणगान करूं मैं 
कीर्तन भजन तमाम करूं मैं 
श्रद्धा सहित प्रणाम करूं मैं 
मैं पत्नी के भी गुण गाता 
सास ससुर को शीश नमाता 
ढेर प्यार पत्नी का पाता
वह न्योछावर करती सब कुछ 
मैं भी खुश और पत्नी भी खुश 

बच्चे सारे आए जिद पर 
नई लगी ,देखे वह पिक्चर 
पैसे मिले, गए खुश होकर 
अब घर में मैं और पत्नी थी 
सजी धजी और बनी ठनी थी 
तन्हाई में मौज मनी थी 
बहुत ही मज़ा आया सचमुच 
हम भी खुश और बच्चे भी खुश

मदन मोहन बाहेती घोटू 
टेंशन तुम मत लेना 

एक बात तुमसे कहता हूं, ध्यान सदा तुम देना 
चाहे जो कुछ भी हो जाए ,टेंशन तुम मत लेना 

जो बारिश कम, तुम्हें टेंशन 
बारिश ज्यादा तो भी टेंशन 
गर्मी पड़ती ,नहीं सुहाता 
बिजली जाती, टेंशन आता 
टेंशन ,आए डेंगू मच्छर 
टेंशन, महंगे हुए टमाटर 
टेंशन है बढ़ती महंगाई 
कुछ ना कुछ होता दुखदाई 
खुश होकर के खाओ पियो, 
जो भी मिले चबैना 
कभी टेंशन तुम मत लेना 

एक बात सुन लो मेरे भाई 
पत्नी की मत करो बुराई 
चला रही है वही गृहस्थी
उसके कारण घर में बस्ती 
रखती वह बैलेंस बनाकर
सुख पाओ उसके गुण गाकर 
कभी झगड़ना मत पत्नी से 
उसे चाहना हरदम जी से 
उसकी सब की सब बातों पर 
सदा तबाज्जो देना
 कभी टेंशन तुम मत लेना 
 
 जो होना है सो होना है 
 तो फिर काहे का रोना है 
 कब क्या होगा किसने देखा 
 लिखा हुआ नियति का लेखा
 तो फिर क्यों चिंता ले मन में 
 रहते हो तुम सहमे सहमे
 बचा हुआ है जितना जीवन 
 क्यों न खुशी से फिर जिए हम 
 हंसकर गाकर वक्त गुजारें,
 बन कर तोता मैना 
कभी टेंशन तुम मत लेना

मदन मोहन बाहेती घोटू 

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