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गुरुवार, 11 मई 2023

कल की चिंता 

मुझे पता ना, कब जाऊंगा,
तुम्हें पता ना कब जाओगे 
सबके जाने का दिन तय है,
जब जाना है तब जाओगे 
कल जाने की चिंता में क्यों,
अपना आज बिगाड़ रहे हो 
हरी-भरी जीवन की बगिया 
को तुम व्यर्थ उजाड़ रहे हो 

लंबे जीवन की इच्छा में ,
कई सुखों से तुम हो वंचित 
यह मत खाओ ,वह मत खाओ
 कितने व्यंजन है प्रतिबंधित 
 कई दवाई की गोली तुम,
  नित्य गटकते,टानिक पीते 
  खुद को बांधा, अनुशासन में ,
  बहुत नियंत्रित जीवन जीते 
  इच्छा माफिक, कुछ ना करते ,
  अपने मन को मार रहे हो 
  कल जाने की चिंता में क्यों 
  अपना आज बिगाड़ रहे हो 
  
मौत सभी को ही आनी है 
कटु सत्य है यह जीवन का 
तो फिर जब तक जीवन जियें,
क्यों न करें हम अपने मन का 
हर एक बात में ,इससे ,उससे 
क्यों करते हैं हम समझौता 
खुद को तरसा तरसा जीते ,
यह भी कोई जीना होता 
हो स्वतंत्र तुम खुल कर जियो,
 क्या तुम सोच विचार रहे हो 
 कल जीने की चिंता में क्यों 
 अपना आज बिगाड़ रहे हो

मदन मोहन बाहेती घोटू 
प्यार की प्यास 

मोहता है मोहतरमा का अगर मुखड़ा कोई,
मन मुताबिक मोह में पड़कर मोहब्बत कीजिए

दिल किसी पर आगया तो दिल्लगी मत समझना,
उसको अपना दिल लगाकर बना दिलवर लीजिए
  
अगर प्यासा हो तुम्हारा मन किसी के प्यार का, 
बना करके यार उसको पियो पानी प्रेम का ,

उसको अपना बनाकर ,अपनाओ सारी जिंदगी, 
जान उसको जानेमन, तुम जान उस पर दीजिए

घोटू 

सोमवार, 8 मई 2023

छुट्टी ही छुट्टी 

बुढ़ापा ऐसा आया है ,
हो गई प्यार की छुट्टी 
रोज हीअब तो लगती है,
हमें इतवार की छुट्टी 

झगड़ते ना मियां बीवी,
बड़े ही प्यार से रहते ,
हुई इसरार की छुट्टी 
हुई इंकार की छुट्टी 

जरा सी मेहनत करते,
फूलने सांस लगती है ,
खतम अब हो गया दमखम,
 हुई अभिसार की छुट्टी 
 
जरा कमजोर है आंखे,
और धुंधला सा दिखता है ,
इसी कारण पड़ोसन के 
हुई दीदार की छुट्टी 

लगी पाबंदी मीठे पर 
और खट्टा भी वर्जित है 
जलेबी खा नहीं सकते 
हुई अचार की छुट्टी 

गए ऐसे बदल मौसम 
रिटायर हो गए हैं हम 
न दफ्तर रोज का जाना,
है कारोबार की छुट्टी 

बचा जितना भी है जीवन 
करें हम राम का स्मरण 
पता ना कब ,कहां ,किस दिन ,
मिले संसार की छुट्टी

मदन मोहन बाहेती घोटू 
यह मत सोचो कल क्या होगा 

यह मत सोचो कल क्या होगा 
जो भी होगा अच्छा होगा 

सोच सकारात्मक जो होगी 
तो बारिश होगी खुशियों की 
जो तुम खुद का ख्याल रखोगे 
गलत सलत यदि ना सोचोगे 
तब ही तो वह ऊपर वाला 
रख पाएगा ख्याल तुम्हारा 
और तन सेहतमंद रहेगा 
मन में भी आनंद रहेगा 
हंसी खुशी से रहो हमेशा 
जीवन जियो पहले जैसा 
सोचो हर दिन ,मैं हूं बेहतर 
प्यार लुटाओ सबपर,मिलकर 
प्यार पाओगे आत्म जनों का 
जो भी होगा ,अच्छा होगा 
यह मत सोचो ,कल क्या होगा

घोटू 

शनिवार, 6 मई 2023

पड़ी है सबको अपनी अपनी

कोई तुम्हारा साथ ना देता ,
पड़ी है सबको अपनी अपनी 
सारा जीवन, सुख में ,दुख में,
साथ निभाती ,केवल पत्नी 

तू था कभी कमाया करता 
घर का खर्च उठाया करता 
खूब कमाता था मेहनत कर 
परिवार था तुझ पर निर्भर 
बच्चे तेरे बड़े हुए सब 
अपने पैरों खड़े हुए सब 
अच्छा खासा कमा रहे हैं 
मौज और मस्ती उड़ा रहे हैं 
अब बूढ़ा लाचार हुआ तू 
उनके सर पर भार हुआ तू 
सबने तुझको भुला दिया है 
पीड़ा ,दुख से रुला दिया है 
मतलब नहीं रहा ,बंद कर दी
तेरे नाम की माला जपनी
पड़ी है सबको अपनी अपनी 

देती दूध गाय है जब तक 
चारा उसे मिलेगा तब तक 
अब तेरी कुछ कदर नहीं है 
जीवन का कटु सत्य यही है 
जिन पर तूने जीवन वारा
वो ना देते तुझे सहारा 
तेरा ख्याल में रखते किंचित 
करते रहते सदा उपेक्षित
हर घर की है यही हकीकत 
वृद्ध हुए ,घट जाती कीमत 
तू चुप रह कर सब कुछ सह ले 
थोड़ा नाम प्रभु का ले ले 
काम, राम का नाम आएगा ,
जिंदगी अब ऐसे ही कटनी 
पड़ी है सबको अपनी-अपनी

मदन मोहन बाहेती घोटू 

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