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शनिवार, 22 अप्रैल 2023

म की महिमा 

बच्चा जब बोलना सीखता है 
तो सबसे पहले वो म सीखता है 
पाकर मां की ममता और दुलार 
पिता और भाई बहनों का प्यार 
मिलजुल कर रहने का भाव हम सीखता है 
बच्चा सबसे पहले जब बोलना सीखता है 
तो सबसे पहले म सीखता है 

फिर वह सीखता है बारहखड़ी 
पढ़कर किताबें फिर बड़ी-बड़ी 
उसका मैं जागृत हो जाता है 
और वह अहम सीखता है 
बच्चा जब बोलना सीखता है 
तो सबसे पहले वह म सीखता है 

फिर जब जगती किसी के प्रति चाह
 और हो जाता है उसका विवाह 
 तो वह मां की ममता का म भुला देता है 
 भाई बहन के प्यार का हम भुला देता है 
 यहां तक की अपना मैं याने अहम भुला देता है पत्नी के आगे पीछे डोलता है 
और बस यस मैडम यस मैडम ही बोलता है 
बच्चा जब बोलना सीखता है
तो सबसे पहिले वह म सीखता है 

और जब बुढ़ापा आ जाता है 
तो फिर कोई भी म काम नहीं आता है 
और एक ही म करता है मुक्ति देने का काम 
और वह होता है राम का नाम 
बचपन की मां के नाम के साथ सीखा म,
राम के नाम के म में बदल जाता है 
और यह म ही अन्त समय काम आता है
बच्चा जब बोलना सीखता है
तो सबसे पहले वह म सीखता है

मदन मोहन बाहेती घोटू 
घोटू के पद 

साधो, मान बात निज मन की 
वही करो जिसको मन माने और लगे जो ढंग की साधो,मान बात निज मन की

बहुत सलाहे देने वाले ,मिल जाएंगे तुमको 
लेकिन तुम्हें परखना होगा गुण को और अवगुण को 
कई बार मन और मस्तक में ,होगी खींचातानी 
पर जो सोच समझ निर्णय लें, वह है सच्चा ज्ञानी 
भाव वेग में बहने देते ,हैं जो अपनी नैया
कभी भंवर में फंस जाते तो मिलता नहीं खिवैया 
सद्बुद्धि ही पार कराती है नदिया जीवन की 
साधो,मान बात निज मन की

 घोटू 
शिकायत पत्नी की 

प्रिय मुझको बिल्कुल ना पसंद 
तुम्हारे दोहरे मापदंड 

जब आई तुम्हारी देहरी थी 
मैं दुबली और छरहरी थी 
मैं लगती प्यारी तुम्हें बड़ी 
तुम मुझको कहते कनक छड़ी 
फिर मुझे प्यार आहार खिला 
तुमने तन मेरा दिया फुला 
बढ़ गए बदन के सब घेरे 
और तंग हुए कपड़े मेरे 
तो मोटी मोटी कह कर के 
करते रहते हो मुझे तंग 
प्रिय मुझको बिल्कुल ना पसंद 
तुम्हारे दोहरे मापदंड 

जुल्फें मेरी काली काली 
लगती है तुमको मतवाली 
मोहती है इनकी छटा तुम्हें 
कहते हो काली घटा इन्हे
पर गलती से यदि एक बार 
इन जुल्फों का जो एक बाल
आ जाए दाल में अगर नजर 
तो मुझे कोसते हो जी भर 
तुम थाली छोड़ चले जाते 
मुझको देते इस तरह दंड 
प्रिय मुझको बिल्कुल नापसंद 
तुम्हारे दोहरे मापदंड 

है मेरी ननंद बड़ी प्यारी 
लगती है बहना तुम्हारी 
तुम उसे चिढ़ाते रहते हो 
और उल्टा सुल्टा कहते हो 
लेकिन मेरी बहना प्यारी 
जो लगती तुम्हारी साली 
तुम जान लुटाते हो उस पर 
आधी घरवाली कह अक्सर 
उसके संग फ्लर्टिंग करते हो 
क्या अच्छे हैं यह रंग ढंग
प्रिय मुझको बिल्कुल ना पसंद 
तुम्हारे दोहरे मापदंड

मदन मोहन बाहेती घोटू 

गुरुवार, 20 अप्रैल 2023

प्यार

बीमार हुआ जब से ,रखती है ख्याल पत्नी,
पलकों पर बिठा मुझको,पल-पल वो पालती है

 इंतहा है प्यार की यह ,चलती है छड़ी लेकर,
 खुद तो संभल न पाती, मुझको संभालती है

घोटू 

रविवार, 16 अप्रैल 2023

मेरी बेटी 

मेरी बेटी ,मुझे खुदा की ,बड़ी इनायत 
हर एक बात में, मेरी करती रहे हिमायत

कितनी निश्चल ,सीधी साधी, भोली भाली 
हंसती रहती, उसकी है हर बात निराली 
कुछ भी काम बताओ ,करने रहती तत्पर
कुछ भी कह दो,नहीं शिकन आती चेहरे पर 
सच्चे दिल से ,मेरा रखती ख्याल हमेशा 
नहीं प्यार करता है कोई उसके जैसा 
कितनी ममता भरी हुई है उसकी चाहत 
मेरी बेटी ,मुझे खुदा की बड़ी नियामत 

जितना प्यार दिया बचपन में मैंने उसको 
उसे चोगुना करके ,बांट रही है सबको 
चुस्ती फुर्ती से करती सब काम हमेशा 
उसके चेहरे पर रहती मुस्कान हमेशा 
कुछ भी काम बता दो ,ना कहना, ना सीखा 
सब को खुश रखने का आता उसे तरीका 
हर एक बात पर ,देती रहती मुझे हिदायत 
मेरी बेटी ,मुझे खुदा की ,बड़ी इनायत 

मैके,ससुराल का रखती ख्याल बराबर 
दोनों का ही रखती है बैलेंस बनाकर 
सबके ही संग बना रखा है रिश्ता नाता 
कब क्या करना ,कैसे करना ,उसको आता जिंदादिल है खुशमिजाज़ है लगती अच्छी 
मुझको गौरवान्वित करती है मेरी बच्ची 
होशियार है ,उसमें है भरपूर लियाकत 
मेरी बेटी ,मुझे खुदा की बड़ी इनायत 

मदन मोहन बाहेती घोटू 

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