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बुधवार, 29 मार्च 2023

बचपन और बुढ़ापे की यह बात निराली होती है 
उगते और ढलते सूरज की एक सी लाली होती है 
 होता है स्वभाव एक जैसा, वृद्धों का और बालक का 
क्योंकि जवानी सदा न रहती,अंत बुढ़ापा है सबका 
जैसे हमको आया बुढ़ापा,कभी तुम्हे भी आयेगा 
जो पीड़ा हम भोग रहें हैं,तुमको भी दिखलाएगा 
हमने तुम पर प्यार लुटाया, बचपन में जितना ज्यादा
 हमें बुढ़ापे में तुम लौटा देना बस उसका आधा 
क्योंकि उस समय हमको होगी ,जरूरत प्यार तुम्हारे की 
 तन अशक्त को आवश्यकता होगी किसी सहारे की
जो जिद तुम बचपन में करते यदि हम करें बुढ़ापे में 
तो तुम हम पर खफा ना होना, रहना अपने आपे मे 
तिरस्कार व्यवहार न करना हमको पीड़ित मत करना 
तुमसे यही अपेक्षा है कि हमे उपेक्षित मत करना

मदन मोहन बाहेती घोटू
जीवन का कुछ ऊबा ऊबा 
तो मन ने बांधा मनसूबा 
जीने की राह नजर आई,
 तन्मय तन, भक्ति में डूबा 
 
कुछ प्राणायाम और योग किया 
तन ने पूरा सहयोग दिया 
मन रहता हे अब खिला-खिला 
खुशियां भी दी, आरोग्य दिया 

कर जीवन शैली परिवर्तन 
अब खुश है तन,अब खुश है मन 
आ गई नई चुस्ती फुर्ती 
अब बदल गया मेरा जीवन 

प्रभु भक्ति की पाई भेषज 
श्री राम और गोविंदा भज 
संचित है शांति और प्रेम
उलझा जीवन अब गया सुलझ

मदन मोहन बाहेती घोटू 

शुक्रवार, 17 मार्च 2023

प्रकृति से बातचीत 

आज सवेरे ,प्रातः प्रातः
मैंने प्रकृति से करी बात 
 
कोयल को कूकी, मैं भी कुहका
चिड़िया चहकी , मैं भी चहका
कलियां चटकी और फूल खिले,
वे भी महके , मैं भी महका

 जब चली हवाएं मंद मंद 
 मैंने त्यागे सब प्रतिबंध 
 मैं भी बयार के संग संग 
 स्वच्छंद बहा, लग गए पंख 
 
 और जब कपोत का झुंड उड़ा 
 तो मैं भी उनके साथ जुड़ा 
 पूरे अंबर की सैर करी ,
 मैंने भी उनके साथ साथ 
 मैंने प्रकृति से करी बात 
 
जब रजनी बीती, भोर हुआ 
तो मैं आनंद विभोर हुआ 
पूरब में छाई जब लाली 
तो आसमान चितचोर हुआ 

भ्रमरों ने किया मधुर गुंजन 
हो गया रसीला मेरा मन 
तितली फुदकी, मैं भी फुदका,
कर नर्तन पाया नवजीवन 

बादल से जब सूरज झांका 
तो मैंने भी उसको ताका 
किरणे चमकी , मैं भी चमका
 फिर की प्रकाश से मुलाकात 
 मैंने प्रकृति से करी बात 

मदन मोहन बाहेती घोटू 
भूनना 

कई चीजों का स्वाद 
बढ़ जाता है भूनने के बाद 
जैसे जब भुनता है चना 
स्वाद हो जाता है चौगुना 
भुनी हुई मूंगफली 
होती है स्वाद भरी 
पापड़ का असली स्वाद 
आता है भूनने के बाद 
मकई के दाने जब भुने जाते हैं 
स्वादिष्ट पॉपकॉर्न बन जाते हैं 
हम चाव से भुनी हुई शकरकंद खाते हैं 
चावल भी भूनकर पर परमल हो जाते हैं
भुने हुए बैंगन से बनता है भरता 
जिसको की खाने को सब का मन करता 
भुने हुए आलू का स्वाद होता है कमाल 
भुने खोए से बनते है,पेड़े लाल लाल 
और बड़े नोट को भुनाया जाय अगर
हमें प्राप्त होती है ढेर सारी चिल्लर
लेकिन जब आदमी जला भुना होता है 
तो वह खतरनाक ,कई गुना होता है

मदन मोहन बाहेती घोटू
जब बूढ़े बूढ़े मिलते हैं 

1
गणित का एक नियम जो हमें सिखलाया है जाता 
 माइनस से मिले माइनस नतीजा प्लस में हैआता 
हो बूढ़े माइनस तुम और बूढ़े माइनस हम है,
मिले तो प्लस,जवानी का, मजा दूना है हो जाता

2
परीक्षा में अगर मिलते, हैं नंबर साठ से ज्यादा सफलता तुम को मिलती है डिवीजन फस्ट कहलाता 
उम्र के साठ से ज्यादा, गुजारे वर्ष ,मेहनत कर,
डिवीजन फस्ट पाया है,जिएं हम ठाठ से ज्यादा 
3
 अनुभव से भरे रहते ,भले ही वृद्ध होते हैं 
 करा लो काम कुछ भी तुम, सदा कटिबद्ध होते हैं 
अगर मिलते इकट्ठे हो,जवानी लौट फिर आती,
  इन्हे कमजोर मत समझो ,बड़े समृद्ध होते हैं
  4
भले धुंधली सी आंखें हैं, भले कमजोर होता तन 
जवानी जोश जज्बे से ,भरा रहता है लेकिन मन 
न जाओ उम्र पर ,चावल पुराने स्वाद होते हैं महकता उतना ज्यादा है पुराना जितना हो चंदन
  5 
जमा पूंजी है अनुभव की, किसी के ना सहारे हम 
बुलंद है हौसले अपने, नहीं समझो बिचारे हम 
रहे हम दोस्त बन कर के, हमारे तुम, तुम्हारे हम 
यूं मिल खुशियों से जीवन के, बचे दिन भी गुजारे हम

मदन मोहन बाहेती घोटू 

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