दो का ठाठ
हो अगर अकेला कोई तो,
मुश्किल से वक्त कटा करता,
पर जब दो मिलकर दोस्त बने,
तो अच्छी संगत कहते हैं
जब एक आंख मारी जाती,
तो उसे छेड़खानी कहते ,
पर जब दो आंखें मिल जाती,
तो उसे मोहब्बत कहते हैं
हो एक टांग तो फिर उस से ,
आगे ना कदम बढ़ा सकते ,
दो टांगे जब संग चलती है ,
तब कोई आगे बढ़ता है
एक होंठ अकेला बेचारा,
कुछ काम नहीं कर सकता है ,
दो होंठ मगर जब मिलते हैं,
तब ही चुंबन हो सकता है
हो अगर अकेला एक हाथ ,
तो बस चुटकी बज सकती है ,
दो हाथ मगर जब मिल जाते ,
तो फिर बज जाती ताली है
इंसान अकेला हो घर में ,
तो काटा करता है सूनापन,
घर में रौनक छा जाती है ,
जब आ जाती घरवाली है
मदन मोहन बाहेती घोटू