चटनी
तू लहराती हरे धने सी
मैं हूं पत्ती पुदीने की
मिलते हैं गुणधर्म हमारे
हम दोनों में अच्छी पटनी
तो आओ फिर दिल की सिल पर ,
संग संग आपस में मिलकर,
पिस कर एक जान हो जाए,
हम और तुम बन जाए चटनी
हरी मिर्च सी छेड़छाड़ हो
और मसालेदार प्यार हो
नींबू रस की पड़े खटाई
और लवण से मिले लुनाई
थोड़ी सी हो मीठी संगत
जीवन में आ जाए रंगत
ऐसा निकले रूप मनोहर
नजर नहीं कोई की हटनी
हम और तुम बन जाए चटनी
चाट पकौड़ी आलू टिकिया
दही बड़े भी लगते बढ़िया
चाहे सभी स्वाद के मारे
खायें ले लेकर चटकारे
संग एक दूजे का पाकर
अलग अलग अस्तित्व भुला कर
मिलजुल एकाकार प्यार से ,
सुख से यूं ही जिंदगी कटनी
हम और तुम बन जाए चटनी
मदन मोहन बाहेती घोटू