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शुक्रवार, 16 जुलाई 2021

अपने ही मेहमान हो गए

अपने घर में अपने वाले ही अपने मेहमान हो गए 
बस दो दिन के लिए आ गए समारोह की शान हो गए

अब शादी और समारोह में ,भीड़ जुटाना बड़ी भूल है
यूं ही वक्त की बरबादी है और खर्चा करना फिजूल है
पास किसी के समय नहीं है फिर भी पड़ जाता है आना हो करीब की रिश्तेदारी, पड़ता है व्यवहार निभाना
 वैसे रहते व्यस्त सभी है ,किंतु व्यस्तता इनकी ज्यादा
 मिलती नहीं जरा भी फुरसत,काम बोझ ने ऐसा बांधा 
फिर भी जैसे तैसे करके,वक्त निकाला और वो आए इतना था इसरार प्यार का , कि वो टाल उसे ना पाए
आए सबसे मिले,कृपा की,और फिर अंतर्ध्यान हो गए
 अपने घर में, अपने वाले, ही अपने मेहमान हो गए

घोटू
 
  

रविवार, 4 जुलाई 2021

अब मैं नाच्यो बहुत गोपाल 
 लड़की एक जिया को भायी,दिल ना सक्यो संभाल खुशी फिरयो मैं नाच्यो नाच्यों, अपना जियो उछाल
 हुई सगाई सखा संग नाच्यो,खूब मचाई धमाल 
 शादी में ,बारात में नाच्यो,गले पड़ी वरमाल 
 बाद इशारन पर पत्नी के ,नाच रयो हर हाल
 शादी बाद गृहस्थी को फिर ऐसो फस्यो जंजाल
 अब दिन रात फिरत हूं नाच्यो, लाने रोटी दाल
 अब मैं नाच्यो बहुत गोपाल

घोटू
बुढ़ापा अब इस तरह से कट रहा है

 एक जगह पर ध्यान केंद्रित नहीं रहता 
 बादलों सा भटक ,मन, दिन-रात रहता 
 नाचती यादें पुरानी ,नयन आगे 
 प्यार को रहते तरसते, हम अभागे
 मोह का अंधकार सारा छट रहा है 
 बुढापा अब इस तरह से कट रहा है 
 
सोते-सोते , जाग कर उठ बैठते हैं 
न जाने क्या सोचते, फिर लेटते हैं 
उचटी उचटी नींद भी है,नहीं आती 
सवेरे की प्रतीक्षा, लंबी सताती 
प्रभु सिमरन, ध्यान थोड़ा बंट रहा है 
बुढ़ापा अब इस तरह से कट रहा है 

कोड़ी कोड़ी माया जोड़ी आना पाई 
उम्र भर की बचाई, सारी कमाई 
बाद में बंटवारे को सब ही लड़ेंगे 
अभी दोगे बांट,तो सेवा करेंगे 
सोच यह मन करता बस खटपट रहा है 
बुढापा अब इस तरह से  कट रहा है 

बची तन में नहीं फुर्ती, जोश बाकी
मगर जीते ,सांस लेते, होश बाकी
भेषजों के भरोसे चलता गुजारा 
रुग्ण है मन और तन कमजोर सारा 
उम्र का दिन ,रोज ही तो घट रहा है 
बुढ़ापा अब इस तरह से कट रहा है 

उपेक्षा में अपेक्षा में तब्दील अब है
बोझ सा हमको  समझते लोग सब हैं
 प्यार की दो बात कोई भी न करता 
 यह तो वो ही जानता, जिस पर गुजरता 
 राम का ही नाम अब मन रट रहा है 
 बुढ़ापा अब इस तरह से कट रहा है

मदन मोहन बाहेती घोटू
चलो डायवोर्स ले ले 

इतने दिन तक साथ रहे हम, खुशियों के संग खेले लेकिन नखरे नहीं तुम्हारे, अब जाते हैं झेले 
जी करता है बाकी दिन में खुल कर रहे हैं अकेले 
हम पत्नी से बोले ,हम भी चलो डाइवोर्स ले ले 

आमिर खान अमृता ने भी तोड़ी अपनी शादी खुशी-खुशी अपने तलाक की कर दी आज मुनादी 
पंद्रह वर्ष पुराने रिश्ते,टूट गए पल भर में 
तू जा खुश रहअपने घर में ,मैं खुश अपने घर में 
एक दूजे पर कंट्रोल के ,होंगे दूर झमेले 
हम पत्नी से बोले ,हम भी चलो डायवर्स लेलें

पत्नी बोली,आमिर फिल्मी , छूटेगा झंझट से 
मौका मिलते ही डायवर्सिफाय करेगा ,झट से
 जल्दी और किसी के संग वो कर निकाह उलझेगा
 तुम बुढ़ऊ को ,फोकट में भी ,कोई नहीं पूछेगा 
 अपने मन में मत देखो तुम ,यूं ही ख्वाब अलबेले 
 हम पत्नी से बोले, हम भी चलो डाइवोर्स ले ले 
 
पत्नी बोली बिना विचारे करे जो वह पछताए 
आधी भी ना रहे हाथ में ,पूरी भी ना पावे 
यूं ही फिल्मी समाचार पर,ध्यान नअपना बांटे
जो भी थोड़ी उम्र बची है मिलजुल कर हम काटे 
सबकी अलग अलग परिस्थितियां अपने अपने खेले
हम पत्नी से बोले ,हम भी चलो डाइवोर्स ले ले

मदन मोहन बाहेती घोटू

शुक्रवार, 2 जुलाई 2021

भाई साहब आपकी याद आ रही है

 आज सुबह छोटे भाई का फोन आया, 
 बोला भाई साहब हम अल्फांजो आम खा रहे हैं 
 आप बहुत ज्यादा रहे हैं 
 कल जीजाजी का फोन आया था ,
आपकी बहन जी गरम गरम जलेबी बना रही है 
आपकी बहुत याद आ रही है
दो दिन पहले बहन जी का फोन आया था,
 आज शादी में दाल बाफले की रसोई थी खाई 
 आपकी बहुत याद आई 
 हद तो तब हो गई जब मायके गई बीबी का फोन आया उससे बताया 
 आज कल काले काले जामुन की बहार है 
 जब भी हम खाते हैं 
 आप बहुत याद आते हैं 
 जब इस तरह के फोन आते हैं 
 कि कुछ खाद्यपदार्थ, लोगों को मेरी याद दिलाते हैं
 तो मेरे मन में होती है एक चुभन 
 क्या इसीलिए याद किए जाते हैं हम 
 कोई मेरे प्यार को
 मेरे दुलार को 
 मेरी आत्मीयता के बंधन को
  मेरे अपनेपन को 
  मेरी अच्छाइयों बुराइयों को लेकर 
  मुझे क्यों नहीं करता है कोई याद 
  तेरी मन में भर जाता है अवसाद 
  क्या मेरी यादों के लिए खाली नहीं उनके दिल का कोइ कोना है 
  मैं सिर्फ़ खाने पीने की चीजों को देखकर याद किया जाता हूं 
  क्या मेरा मेरा व्यक्तित्व इतना बौना है?

मदन मोहन बाहेती घोटू

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