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मंगलवार, 25 मई 2021

 साधो, हम बट्टी साबुन की 
 जितना घिसो,झाग दे उतना, खान ज्ञान और गुण की
 बहुत किया सबका तन उज्जवल ,मेल निकाला मन का 
घिस घिस कर अब चीपट रह गए, अंत आया जीवन का
 अब न अकेले कुछ कर पाते ,यूं ही जाएंगे बस गल
 नव पीढ़ी की बट्टी यदि जो, संग  चिपकाले केवल 
 पहले स्वयं घिसेंगे जब तक, साथ रहेंगे लग के
  जीवन के अंतिम पल तक हम ,काम आएंगे सबके इससे अच्छी और क्या होगी ,सद्गति इस जीवन की 
  साधो,हम बट्टी साबुन की

घोटू

सोमवार, 24 मई 2021

चुंबन

यह चुंबन होता है क्या 
मुख की रखवाली करने वाले अधरों की प्यार प्रदर्शन करने की एक नैसर्गिक प्रक्रिया
 या नन्हे से चंचल मुस्कुराते बच्चे के कोमल कपोलों पर दुलार का प्रदर्शन करती हुई अधरों की मोहर 
 या बुजुर्गों द्वारा अपने बच्चों को उनके माथे पर प्यार से चूम कर दिया हुआ आशीर्वाद 
 या उभरती जवानी के उत्सुक पलों में प्यार की अनुभूति का पहला पहला स्वाद पाने को चुराया हुआ अधरामृत
 या दूरस्थ प्रेमिका को अपने हाथों को चूम कर हवा में उछाल कर प्रेषित किया हुआ हवाई प्रेमोपहार
  या अपने अधरों पर लाली लगाकर प्रेम पत्र पर अंकित कर प्रेमिका द्वारा प्रेमी को प्रेषित प्यार का सुहाना और प्यारा संदेश
 या अभिसार के आनंददायक पलों की मंजिल तक पहुंचने का पहला सोपान 
 या विदेशी नव दंपत्ति द्वारा गिरजाघर में विवाह की स्वीकृति के बाद सार्वजनिक रूप से निभाई जाने वाली रस्म
 या स्वादिष्ट व्यंजन का आनंद लेकर स्वयं की उंगलियों को चाटने के बाद, पकाने वाली पत्नी की उंगलियों को चूमकर उसकी पाक प्रवीणता की सराहना करने का उपक्रम
 या  पत्नी को पति की अन्य गतिविधियों से आगाह करता हुआ उसके कपड़ों पर किसी और द्वारा लगाया लिपस्टिक का ओष्ट चिन्ह 
 या प्रेम अमृत से परिपूर्ण रक्तिम अधरों का दूसरे रसासिक्त और प्यासे अधरों  द्वारा अमृतपान करने की प्रक्रिया जिसमें किसी का भी अधर  अमृत कभी रिक्त नहीं होता और जो स्वाद हीन होकर भी लगता लजीज है 
 यार यह चुम्बन भी अजीब चीज है

घोटू

शनिवार, 22 मई 2021

ऑक्सीजन
 हवा अहम की भरी हुई मगरूर बहुत था
  बहुत हवा में उड़ता मद में चूर बहुत था 
  खुद पर बहुत गर्व था नहीं किसी से डरता
   अहंकार से भरा हुआ था डींगे भरता 
   किंतु करोना ऐसा आया हवा बदल दी 
   मुझे हुआ एहसास बहुत थी मेरी गलती 
   बौना है इंसान नहीं कुछ भी कर सकता 
   पड़े नियति की मांग सिर्फ रह जाए बिलखता
   लेती श्वास हवा ,पर पीती ऑक्सीजन है 
   ऑक्सीजन के कारण ही चलता जीवन है
    मन का मेल निकाल, हटी जब नाइट्रोजन 
    निर्मल मन हो गया ,रह गई बस ऑक्सीजन

घोटू

बुधवार, 19 मई 2021

चलो हम करे हास परिहास

भूल कर कोरोना के त्रास
चलो हम करे हास परिहास

मिल कर बैठें ,हँसे गाये हम ,बदले ये माहौल
हंसी खोखली ,लेकिन देगी ,पोल हमारी खोल
फिर भी खुशियां लाने का हम ,थोड़ा करे प्रयास
चलो हम करें हास परिहास

सुख दुःख तो जीवन में सबके ,आते जाते रहते
सब दिन हॉट न एक समाना ,बड़े बूढ़े ये कहते
फिर क्यों डरे डरे हम रहते ,ख़ुशी नहीं उल्हास
चलो हम करे हास परिहास

ऐसी आयी  बिमारी सबका उड़ा  हुआ है रंग
कहाँ गए वो हंसी कहकहे , मस्ती भरी तरंग
लाये जिंदगी में फिरसे हम खुशियों का आभास
चलो हम करे हास परिहास

एक दिन सबको जाना फिर क्यों छोड़े हंसना गाना
जितने भी दिन शेष बचे है ,जीवन जियें सुहाना
कठिन वक़्त ये गुजर जाएगा मन में है विश्वास
चलो हम करे हास परिहास ,

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
बाद में भूल जाएंगे

तुम स्वर्ग जाओ या नर्क
किसी को पड़े न कोई फर्क
तुम्हे स्वर्गवासी कह कर पर ,लोग बुलाएँगे
कुछ दिन तुम्हारी फोटो पर ,फूल चढ़ाएंगे
बाद में भूल जाएंगे
बाद में भूल जाएंगे
जब तुम हो से थे हो जाते
कुछ दिन याद बहुत हो आते
साथ समय के धीरे धीरे ,
तुमको है सब लोग भुलाते
जो आया है ,सो जायेगा ,
इस प्रकृति का यही नियम है
साथ नहीं कुछ भी जाएगा ,
ये मेरा है ,केवल भ्रम है
करो सद्कर्म,निभाओ धर्म
यही है इस जीवन का मर्म
पुण्य तुम्हारे बेतरणी को पार कराएँगे
कुछ दिन तुम्हारी फोटो पर फूल चढ़ायेगे
बाद में भूल जाएंगे
बाद में भूल जाएंगे

तुमने जीवन भर मेहनत कर ,
कोड़ी कोड़ी ,माया जोड़ी
लेकिन खाली हाथ गए तुम ,
दौलत सभी यहीं पर छोड़ी
देह दहन हो ,अस्थि रूप में ,
गंगाजी में जाओगे बह
जब तक तुम्हारे बच्चे हैं ,
बने वल्दियत जाओगे रह
और बाद में ,एक बरस में
वो भी केवल श्राद्धपक्ष में ,
तुम्हारा प्रिय भोजन ,ब्राह्मण को खिलवायेंगे
कुछ दिन  तुम्हारी फोटो पर ,फूल चढ़ाएंगे
बाद में भूल जाएंगे
बाद में भूल जाएंगे

मदन मोहन बाहेती 'घोटू ' 

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