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बुधवार, 19 मई 2021

चलो हम करे हास परिहास

भूल कर कोरोना के त्रास
चलो हम करे हास परिहास

मिल कर बैठें ,हँसे गाये हम ,बदले ये माहौल
हंसी खोखली ,लेकिन देगी ,पोल हमारी खोल
फिर भी खुशियां लाने का हम ,थोड़ा करे प्रयास
चलो हम करें हास परिहास

सुख दुःख तो जीवन में सबके ,आते जाते रहते
सब दिन हॉट न एक समाना ,बड़े बूढ़े ये कहते
फिर क्यों डरे डरे हम रहते ,ख़ुशी नहीं उल्हास
चलो हम करे हास परिहास

ऐसी आयी  बिमारी सबका उड़ा  हुआ है रंग
कहाँ गए वो हंसी कहकहे , मस्ती भरी तरंग
लाये जिंदगी में फिरसे हम खुशियों का आभास
चलो हम करे हास परिहास

एक दिन सबको जाना फिर क्यों छोड़े हंसना गाना
जितने भी दिन शेष बचे है ,जीवन जियें सुहाना
कठिन वक़्त ये गुजर जाएगा मन में है विश्वास
चलो हम करे हास परिहास ,

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
बाद में भूल जाएंगे

तुम स्वर्ग जाओ या नर्क
किसी को पड़े न कोई फर्क
तुम्हे स्वर्गवासी कह कर पर ,लोग बुलाएँगे
कुछ दिन तुम्हारी फोटो पर ,फूल चढ़ाएंगे
बाद में भूल जाएंगे
बाद में भूल जाएंगे
जब तुम हो से थे हो जाते
कुछ दिन याद बहुत हो आते
साथ समय के धीरे धीरे ,
तुमको है सब लोग भुलाते
जो आया है ,सो जायेगा ,
इस प्रकृति का यही नियम है
साथ नहीं कुछ भी जाएगा ,
ये मेरा है ,केवल भ्रम है
करो सद्कर्म,निभाओ धर्म
यही है इस जीवन का मर्म
पुण्य तुम्हारे बेतरणी को पार कराएँगे
कुछ दिन तुम्हारी फोटो पर फूल चढ़ायेगे
बाद में भूल जाएंगे
बाद में भूल जाएंगे

तुमने जीवन भर मेहनत कर ,
कोड़ी कोड़ी ,माया जोड़ी
लेकिन खाली हाथ गए तुम ,
दौलत सभी यहीं पर छोड़ी
देह दहन हो ,अस्थि रूप में ,
गंगाजी में जाओगे बह
जब तक तुम्हारे बच्चे हैं ,
बने वल्दियत जाओगे रह
और बाद में ,एक बरस में
वो भी केवल श्राद्धपक्ष में ,
तुम्हारा प्रिय भोजन ,ब्राह्मण को खिलवायेंगे
कुछ दिन  तुम्हारी फोटो पर ,फूल चढ़ाएंगे
बाद में भूल जाएंगे
बाद में भूल जाएंगे

मदन मोहन बाहेती 'घोटू ' 

रविवार, 16 मई 2021

 जी करता है तुमको डाटूं

पकड़ूँ गलती छोटी मोटी
खूब सुनाऊँ खरी और खोटी
यूं ही बेतुकी बातें करके
तुम्हे सताऊं मैं जी भर के
गुस्से में तुमको पागल कर ,
मैं दिमाग तुम्हारा चाटूँ
जी करता है तुमको डाटूं

ढूँढूँ कोई न कोई बहाना
अच्छा नहीं बनाया खाना
आज दाल में नमक नहीं है
चावल भी ना पके सही है
रोज कमी रहती कुछ ना कुछ
लापरवाह हुई तुम सचमुच
जब दिखलाने लगता तेवर
बात टालती तुम मुस्का कर
मेरा नाटक पकड़ा जाता
मैं पानी पानी हो जाता  
तुम कहती क्यों मुझे चिढ़ाते
झूंठ ठीक से बोल न पाते
ये सच तुम्हारा खाना है ,
स्वाद बहुत ,मैं ऊँगली चाटूँ
जी करता है तुमको डाटूं

घर को रखती सदा सजा कर
सबसे मिलती हो मुस्काकर
ख्याल सदा है परिवार का
तुम हो सागर भरा प्यार का
ना रूठो ना किचकिच करती
गलत काम करने से डरती
ना फरमाइश ना झगड़ा है
हृदय तुम्हारा बहुत बड़ा है
नहीं ढूंढती कमियां मेरी
तुम में खूबी है बहुतेरी
बहुत चहेती  सबके मन की
मूरत  हो तुम अपनेपन की
भरी हुई तुम सद्भावों से ,
तुममे गलती कैसे छांटूं
जी करता है तुमको डाटूं

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

शुक्रवार, 14 मई 2021

पत्नीजी को खुश रखो

जिसकी किचकिच ,किस''जैसी है ,
जिसके ताने ,लगे सुहाने
जिसकी  तूतू मैमै में भी ,
प्यार बसा ,माने ना माने
जो नयना ,बरसाते शोले ,
नैनमटक्का करते थे कल
आज होंठ जो बकबक करते ,
उनसे चुंबन झरते थे कल
जिनकी रूप अदा का चुंबक ,
खींचा करता आकर्षित कर
उनके संग क्यों खींचातानी ,
अब चलती रहती है दिनभर
क्या कारण घर बना हुआ रण ,
जो  होता ,रमणीक कभी था
जहाँ रोज अब ठकठक होती ,
बहुत शांत और ठीक कभी था
उनको आज शिकायत रहती ,
उनका रखता ना ख्याल मैं
उनकी बातें ,एक कान सुन ,
दूजे से देता निकाल मैं
दिन भर व्यस्त काम में रह कर ,
होती पस्त और जाती थक
और शिकायतों का गुबार भी
सारा जाता निकल रात तक
तब वह बिस्तर पर पड़ जाती।
आता कुछ सुकून है मन में
मिट जाती सारी थकान है ,
मेरी बाहों के बंधन में
और फिर आने वाले कल हित ,
संचित ऊर्जा हो जाती है
जो मधुमख्खी ,शहद पिलाती ,
कभी काट भी तो जाती है
उनकी लल्लोचप्पो करना ,
डरना उनकी नाराजी से
उनकी हाँ जी हाँ जी करना ,
खुश रखना,मख्खनबाजी से
यह छोटा सा ही नुस्खा पर ,
भर देता जीवन में खुशियां  
इसको अपना कर तो देखो ,
देगा बदल ,आपकी दुनिया

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
सांत्वना

यादें कल की थोड़ा तो तड़फायेगी
आदतें  तन्हाई की पड़ जायेगी
जीना है तो सम्भलना ही पड़ेगा ,
मुश्किलें वर्ना बहुत बढ़ जायेगी
आशाओं का सूर्य जब होगा उदय ,
गम की बदली छायी जो,छट जायेगी
जिंदगी में आई है जो खाइयां ,
समय के संग संग ,सभी पट जायेगी
जीने की जागेगी मन में फिर ललक,
और चिंताये भी कुछ घट जायेगी
हौंसला रखना पडेगा आपको ,
लम्हा लम्हा जिंदगी कट जायेगी

मदन मोहन बाहेती 'घोटू ' 

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