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शनिवार, 3 अप्रैल 2021

बुढ़ापे की उमर

दौड़ने की ना रही ,अब टहलने की उमर है
जरा सा बाजा बजा कर बहलने की उमर है

अच्छे अच्छे सूरमा को मात करते थे कभी
चाँद तारे ,तोड़ने की बात करते थे कभी
थे कभी वो हौंसले पर हो गए अब पस्त है
नहीं खुद पे खुद का अब ,औरों का बंदोबस्त है
अब तो पग पग ,संभल आगे चलने की ये उमर है  
दौड़ने की ना रही ,अब टहलने की उमर है

अपने बल और बाजुओं पर नाज़ था हमको बड़ा
अब तो थोड़ी दूर चल कर ,कदम जाते लड़खड़ा
उम्र के जिस दौर में हम ,आ गए है आजकल
कल खिले से फूल थे ,मुरझा गए है आजकल
याद कर बातें पुरानी ,मचलने की उमर है
दौड़ने की ना रही अब टहलने की उमर है

बुढ़ापे का स्वाद चखने लग गए है इन दिनों
प्यार से परहेज रखने लग गए है इन दिनों
दे रहे ढाढ़स है अपने मन को हम समझा रहे
नौ सौ चूहे मार बिल्ली की तरह हज़  जा रहे
कुछ न मिलता ,हाथ केवल मलने की ये उमर है
दौड़ने की ना रही अब टहलने की उमर है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
जिंदगी

हमने  जैसे तैसे कर के ,बस गुजारी जिंदगी
दूसरों खातिर  लुटा दी अपनीसारी  जिंदगी
भाव में  बहते रहे और पीड़ाएँ  सहते रहे ,,
उलझनों में रही उलझी सीधीसादी जिंदगी
सबको खुश करने के चक्कर में न कोई खुश रहा ,
और हमने व्यर्थ ही अपनी गमा दी जिंदगी
भूल कर भी आजकल वो ,पूछते ना हाल है ,,
जिनके खातिर दाव  पर ,हमने लगा दी जिंदगी
किसीकी भी जिंदगी में ,दखल देना है गलत ,
हमने जी ली अपनी ,तुम जी लो तुम्हारी जिंदगी  

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

गुंजाइश


मुफ्त की दावत में उनने देखे इतने आइटम ,
भर लिया उनने लबालब  खाना इतना प्लेट में
और जब खाने लगे तो इतना ज्यादा खा लिया
पानी पीने की भी गुंजाइश बची  ना पेट  में  

इतनी पतली मोहरी की जीन्स टाइट का चलन ,
बैठे ,उठते जोर लगता ,घुटनो से जाती है फट
इसलिए ही फटी जीने आ गयी फैशन में है ,
पहनने और चलने उठने में है मिलती सहूलियत

सिलवाती जब कुशल गृहणी ब्लाउज या कुर्तियां ,
नाप में वो रखवाती है ,थोड़ी गुंजाइश सदा
जिससे यदि जो बदन फूले ,थोड़े टाँके हटा कर ,
काम में आ सके कपडा ,हो के फिट ,बाकायदा

जहाँ नाडा या इलास्टिक लाया जाता काम में ,
रहती उन कपड़ों में गुंजाईश की गुंजाईश सदा
कभी भी जिद ठान  करके ,अकड़ना अच्छा नहीं ,
समझौते की मन में रखना चाहिए ख्वाइश सदा  
५  
रेल का डिब्बा खचाखच ,है मुसाफिर से भरा ,
भीड़ इतनी कि नहीं है ,तिल भी रखने की जगह
स्टेशन पर चार चढ़ते ,हो जाते  एडजस्ट  है ,
थोड़ी गुंजाईश हमेशा रखो दिल में इस तरह

किसी से भी दुश्मनी यदि हो गयी कोई वजह ,
नहीं सख्ती ,लचीलापन हो सदा व्यवहार में
दोस्ती की फिर से गुंजाईश भी रखना चाहिए ,
क्या पता कब दुश्मनी जाए बदल फिर प्यार में

मारती थी डींग कॉलेज की वो लड़की गर्व से ,
सात उसके फ्रेंड है और सारा कॉलेज है फ़िदा
हमने बोला  द्रोपदी से आगे हो तुम दो कदम ,,
और भी क्या एक की ,गुंजाईश है हमको बता

मदन मोहन बहती 'घोटू '
 
गुंजाइश


गए लेने सौदा जब हम तो ,हमने लाला से कहा ,
और कुछ हो अगर गुंजाईश बतादो रेट में
मुफ्त की दावत में उनने इतना जम कर खा लिया ,
पानी पीने की भी गुंजाइश बची  ना पेट   में

इतनी पतली मोहरी की जीन्स टाइट का चलन ,
बैठे ,उठते जोर लगता ,घुटनो से जाती है फट
इसलिए ही फटी जीने आ गयी फैशन में है ,
पहनने और चलने उठने में है मिलती सहूलियत

सिलवाती जब कुशल गृहणी ब्लाउज या कुर्तियां ,
नाप में वो रखवाती है ,थोड़ी गुंजाइश सदा
जिससे यदि जो बदन फूले ,थोड़े टाँके हटा कर ,
काम में आ सके कपडा ,हो के फिट ,बाकायदा

जहाँ नाडा या इलास्टिक लाया जाता काम में ,
रहती उन कपड़ों में गुंजाईश की गुंजाईश सदा
कभी भी जिद ठान  करके ,अकड़ना अच्छा नहीं ,
समझौते की मन में रखना चाहिए ख्वाइश सदा  
५  
रेल का डिब्बा खचाखच ,है मुसाफिर से भरा ,
भीड़ इतनी कि नहीं है ,तिल भी रखने की जगह
स्टेशन पर चार चढ़ते ,हो जाते  एडजस्ट  है ,
थोड़ी गुंजाईश हमेशा रखो दिल में इस तरह

किसी से भी दुश्मनी यदि हो गयी कोई वजह ,
नहीं सख्ती ,लचीलापन हो सदा व्यवहार में
दोस्ती की फिर से गुंजाईश भी रखना चाहिए ,
क्या पता कब दुश्मनी जाए बदल फिर प्यार में

मारती थी डींग कॉलेज की वो लड़की गर्व से ,
सात उसके फ्रेंड है और सारा कॉलेज है फ़िदा
हमने बोला  द्रोपदी से आगे हो तुम दो कदम ,,
और भी क्या एक की ,गुंजाईश है हमको बता

मदन मोहन बहती 'घोटू '
 

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