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रविवार, 27 दिसंबर 2020

नीला आसमान खो गया

नीला आसमान खो गया
उगलती काला धुंवां है ,फैक्टरी की चिमनियां
कार,ट्रक ,डीज़ल ,प्रदूषित कर रहे सारी हवा
खेत में जलती पराली
पटाखों वाली दिवाली
नीला आसमान खो गया

वृक्ष ,जंगल कट रहे है बन रहे नूतन भवन
बिगड़ता जाता दिनोदिन ,प्रकृति का संतुलन
सांस लेने में घुटन है
बहुत ज्यादा प्रदूषण है
नीला आसमान खो गया

सरदियों  में धुंध कोहरा,गरमियों में आंधियां
बनी दूरी चाँद तारों और  इंसान  ,दरमियां
टिमटिमाते थे जो तारे
नज़र आते नहीं  सारे
नीला आसमान खो गया

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

शुक्रवार, 25 दिसंबर 2020

बुढ़ापा और प्यार

तेरे गेसू भले ही अब गजब नहीं ढाते ,
श्वेत है ,सादगी है ,साधुओं से रहते है
नयन तेरे नहीं अब तीर चला पाते है ,
मोतियाबिंद से ढक ,बुझे बुझे रहते है
गुलाबी गाल का भी हाल बड़ा खस्ता है
लरजते होंठ हंसी हँसते है ,फीकी ,सादी
कसाव जिस्म का ,जाता है दिनबदिन ढलता
उफनता जिस्म भी अब रहा नहीं उन्मादी
न रही वो पुरानी शोखियाँ और वो जलवे ,
न बची जिस्म में  बाकी  वो पुरानी गरमी
न अदाओं में  ही बचा  है  वो पुराना जादू ,
नहीं बातों में बेतकल्लुफी और बेशरमी
मगर फिर भी न जाने क्यों ये हुआ जाता है ,
दिनों दिन बढ़ती ही जाती है मोहब्बत अपनी
तू मेरे साथ है और पास है ये क्या कम है ,
खुदा के ख़ैर से जोड़ी है सलामत  अपनी
मोहब्बत तन की ना बस मन की हुआ करती है ,
ये ही अहसास उमर ढलती है ,तब  होता है
 प्यार तो रहता है कायम सदा मरते दम तक,
करना पड़ता मगर हालात से समझौता  है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
मैं और मेरी रजाई

मैं और मेरी रजाई
अक्सर ये बातें करते है ,
तुम ना होती तो क्या होता
मैं सरदी में कैसे सोता

बैठ धूप  में दोपहरी तो
जैसे तैसे कट भी जाती
ठिठुरन भरी सर्द रातों में,
नींद मुझे पर कैसे आती
नरम ,मुलायम और रेशमी ,
ये कोमल आगोश तुम्हारा
जैसे चाहूँ ,तुम्हे  दबा  लूँ ,
पर रहना खामोश तुम्हारा
नहीं तकल्लुफ  हममें तुममें ,
हुआ प्यार का है समझौता
मै  और मेरी रजाई ,
अक्सर ये बातें करते है ,
तुम ना होती तो क्या होता

तभी रजाई ,हुई रुआंसी ,
करी शिकायत ,कसक कसक के
क्यों ये झूंठा प्यार दिखाते ,
तुम हो यार बड़े मतलब के
तुम्हारा ये प्यार मौसमी ,
मौसम बदला ,तुम बदलोगे
नहीं सुहाउंगी मै तुमको ,
दबा मुझे बक्से में दोगे
मैं बरसों तक साथ निभाती ,
लेकिन प्यार तुम्हारा थोथा
मैं और मेरी रजाई,
अक्सर ये बातें करते है ,
तुम ना होती तो क्या होता

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

सोमवार, 21 दिसंबर 2020

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