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सोमवार, 21 दिसंबर 2020
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मंगलवार, 15 दिसंबर 2020
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बुधवार, 9 दिसंबर 2020
१
कोरोना काल के संग
बदल गए है यूं रंग ढंग
कि कुछ प्रचलित व्यंग ,
होने लग गये है साकार
चूहा चिन्दियाँ पाकर ,
बजाज तो नहीं बना ,पर
'मास्क' बनाने का आजकल ,
करने लगा है व्यापार
२
कोरोना के पहले
हसीनो के चेहरे
बड़े मतवाले होते थे
सुंदर सुहानेअधर
लिपस्टिक लगाकर
रस भरे प्याले होते थे
पर कोरोना से डर
मास्क में छिपे अधर ,
लिपस्टिक की बिक्री पर
असर पड़ा है भारी
आई इस तरह मन्दी
करनी पड़ी तालाबंदी
कोरोना की मारी
लिपस्टिक इंडस्ट्री बेचारी
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
बुधिया रोए हाय किसानी
झर झर झरते आंख से आंसू
बुधिया रोए हाय किसानी....
छुट भैये कुछ नेता आए
डांट डपट कर उन्हें मनाए
हंडिया बर्तन खाली करके
मंगरू काका गठरी बांधे
ठंड ठिठुरते आंख में आंसू
छोड़ गांव घर बेमन भागे
झर झर झरते आंख से आंसू....
चार दिना आंदोलन ठानी
अमृत वर्षा सब बेईमानी
लल्ली की थम गई पढ़ाई
बिन सींचे जल गई किसानी
साहूकार रोज घर झांके
गिद्ध सरीखा बैठे ताके
झर झर झरते आंख से आंसू....
भूसा जैसे भर ट्राली में
दो टुकड़े डाले थाली में
भालू बंदर और मदारी
सर्कस खेल दिखाए रहे हैं
तम्बू और मशाल साथ लेे
चिंगारी भड़काय रहे हैं
झर झर झरते आंख से आंसू....
बाराती से सज कुछ बैठे
काजू मेवा खाय रहे
भोंपू माइक अख बा रन मा
फोटू रोज खिंचाइ रहे
वो दधीचि की हड्डी खातिर
खीस निपोर रिझाय रहे
झर झर झरते आंख से आंसू
बुधिया रोए हाय किसानी....
कुछ पाएं या छिन सब जाए
मेरे ' वो ' सकुशल घर आएं
मंगल सूत्र रहे गर मेरे
दो गज माटी मिल ही जाए
प्रेम प्रीति सपने संग छौना
घास फूस का रहे बिछौना
झर झर झरते आंख से आंसू
बुधिया रोए हाय किसानी....
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर5
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश
भारत
मंगलवार, 8 दिसंबर 2020
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भ्रष्ट आचार - स्वतंत्र भारत की नीव में उस समय के नेताओं ने अपनी महत्त्वाकांक्षाओं के रख दिये थे भ्रष्ट आचार फिर देश से कैसे खत्म हो भ्रष्टाचार ?11 वर्ष पहले
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अन्त्याक्षरी - कभी सोचा नहीं था कि इसके बारे में कुछ लिखूँगी: बचपन में सबसे आमतौर पर खेला जाने वाला खेल जब लोग बहुत हों और उत्पात मचाना गैर मुनासिब। शायद यही वजह है कि इ...11 वर्ष पहले
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संघर्ष विराम का उल्लंघन - जम्मू,संघर्ष विराम का उल्लंघनकरते हुए पाकिस्तानी सेना ने रविवार को फिर से भारतीय सीमा चौकियों पर फायरिंग की। इस बार पाकिस्तान के निशाने पर जम्मू जिले के का...11 वर्ष पहले
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प्रतिभा बनाम शोहरत - “ हम होंगें कामयाब,हम होंगें कामयाब,एक दिन ......माँ द्वारा गाये जा रहे इस मधुर गीत से मेरे अन्तःकरण में नए उत्साह का स्पंदन हो रहा था .माँ मेरे माथे को ...11 वर्ष पहले
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रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 7 ........दिनकर - 'हाय, कर्ण, तू क्यों जन्मा था? जन्मा तो क्यों वीर हुआ? कवच और कुण्डल-भूषित भी तेरा अधम शरीर हुआ? धँस जाये वह देश अतल में, गुण की जहाँ नहीं पहचान? जाति-गोत्...11 वर्ष पहले
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आवरण - जानती हूँ तुम्हारा दर्प तुम्हारे भीतर छुपा है. उस पर मैं परत-दर-परत चढाती रही हूँ प्रेम के आवरण जिन्हें ओढकर तुम प्रेम से भरे सभ्य और सौम्य हो जाते हो जब ...11 वर्ष पहले
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OBO -छंद ज्ञान / गजल ज्ञान - उर्दू से हिन्दी का शब्दकोश *http://shabdvyuh.com/* ग़ज़ल शब्दावली (उदाहरण सहित) - 2 गीतिका छंद वीर छंद या आल्हा छंद 'मत्त सवैया' या 'राधेश्यामी छंद' :एक ...12 वर्ष पहले
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इंतज़ार .. - सुरसा की बहन है इंतज़ार ... यह अनंत तक जाने वाली रेखा जैसी है जवानी जैसी ख्त्म होने वाली नहीं .. कहते हैं .. इंतज़ार की घड़ियाँ लम्बी होती हैं ख़त्म भ...12 वर्ष पहले
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यार की आँखों में....... - मैं उन्हें चाँद दिखाता हूँ उन्हे दिखाई नही देता। मैं उन्हें तारें दिखाता हूँ उन्हें तारा नही दिखता। या खुदा! कहीं मेरे यार की आँखों में मोतियाबिंद...12 वर्ष पहले
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आज का चिंतन - अक्सर मैं ऐसे बच्चे जो मुझे अपना साथ दे सकते हैं, के साथ हंसी-मजाक करता हूँ. जब तक एक इंसान अपने अन्दर के बच्चे को बचाए रख सकता है तभी तक जीवन उस अंधकारमय...12 वर्ष पहले
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Pujya Tapaswi Sri Jagjivanjee Maharaj Chakchu Chikitsalaya, Petarbar - Pujya Tapaswi Sri Jagjivanjee Maharaj Chakchu Chikitsalaya, Petarbar is a Charitable Eye Hospital which today sets an example of a selfless service to the...12 वर्ष पहले
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क्राँति का आवाहन - न लिखो कामिनी कवितायें, न प्रेयसि का श्रृंगार मित्र। कुछ दिन तो प्यार यार भूलो, अब लिखो देश से प्यार मित्र। ……… अब बातें हो तूफानों की, उम्मीद करें परिवर्तन ...12 वर्ष पहले
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कल रात तुम्हारी याद - कल रात तुम्हारी याद को हम चाह के भी सुला न पाये रात के पहले पहर ही सुधि तुम्हारी घिर कर आई अहसास मुझको कुछ यूँ हुआ पास जैसे तुम हो खड़े व्याकुल हुआ कुछ मन...12 वर्ष पहले
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HAPPY NEW YEAR 2012 - *2012* *नव वर्ष की शुभकामना सहित:-* *हर एक की जिंदगी में बहुत उतार चढाव होता रहता है।* *पर हमारा यही उतार चढाव हमें नया मार्ग दिखलाता है।* *हर जोखिम से ...12 वर्ष पहले
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"भइया अपने गाँव में" -- (बुन्देली काव्य-संग्रह) -- पं० बाबूलाल द्विवेदी - We're sorry, your browser doesn't support IFrames. You can still <a href="http://free.yudu.com/item/details/438003/-----------------------------------------...13 वर्ष पहले
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अब बक्श दे मैं मर मुकी - चरागों से जली शाम ऐ , मुझे न जला तू और भी, मेरा घर जला जला सा है,मेरा तन बदन न जला अभी, मैंने संजो रखे हैं बहुत से राख के ढेर दिल मैं कहीं, सुलग सुलग के आय...13 वर्ष पहले
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अपनी भाषाएँ - *जैसे लोग नहाते समय आमतौर पर कपड़े उतार देते हैं वैसे ही गुस्से में लोग अपने विवेक और तर्क बुद्धि को किनारे कर देते हैं। कुछ लोगों का तो गुस्सा ही तर्क...13 वर्ष पहले
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दरिन्दे - बारूद की गन्ध फैली है, माहौल है धुआँ-धुआँ कपड़ों के चीथड़े, माँस के लोथड़े फैले हैं यहाँ-वहाँ। ये छोटा चप्पल किसी मासूम का पड़ा है यहाँ ढूँढो शयद वह ज़िन...14 वर्ष पहले
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