शरद पूनम की रात
कल की रात शरद पूनम थी, धुंधलाया सा चाँद दिखा
मुझको रोता और सिसकता ,मुरझाया सा चाँद दिखा
कहते है कि शरद रात में वह अमृत बरसाता है ,
पीत वर्ण था ,अमृत वर्षा का न कहीं आल्हाद दिखा
अमृत बरसाया तो होगा हवा बीच में गटक गयी ,,
मुझे हवा जहरीली का ,इतना ज्यादा उत्पात दिखा
मैंने छत पर खीर रखी थी ,आत्मसात करने अमृत ,
उठ कर सुबह सुबह जो खाई ,तीता तीता स्वाद दिखा
इतना ज्यादा आज प्रदूषित ,वातावरण हो गया है ,
मुझे प्रकृति के चेहरे पर ,दुःख और पीड़ा अवसाद दिखा
पता नहीं हम कब सुधरेंगे , पर्यावरण सुधारेंगे ,
हमको जो भी दिखा सिर्फ वह अपना ही अपराध दिखा
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
कल की रात शरद पूनम थी, धुंधलाया सा चाँद दिखा
मुझको रोता और सिसकता ,मुरझाया सा चाँद दिखा
कहते है कि शरद रात में वह अमृत बरसाता है ,
पीत वर्ण था ,अमृत वर्षा का न कहीं आल्हाद दिखा
अमृत बरसाया तो होगा हवा बीच में गटक गयी ,,
मुझे हवा जहरीली का ,इतना ज्यादा उत्पात दिखा
मैंने छत पर खीर रखी थी ,आत्मसात करने अमृत ,
उठ कर सुबह सुबह जो खाई ,तीता तीता स्वाद दिखा
इतना ज्यादा आज प्रदूषित ,वातावरण हो गया है ,
मुझे प्रकृति के चेहरे पर ,दुःख और पीड़ा अवसाद दिखा
पता नहीं हम कब सुधरेंगे , पर्यावरण सुधारेंगे ,
हमको जो भी दिखा सिर्फ वह अपना ही अपराध दिखा
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '