एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

शनिवार, 6 जून 2020

गजल -इश्क़ की आग

उनको भी बुढ़ापे में लगी ,आग इश्क़ की
गाने लगे है आजकल वो ,राग इश्क़ की
उनका मिज़ाज़ सख्त ,मुलायम है हो गया
  बेसबरे  लगाने को है ,छलांग इश्क़ की
ज्यों ज्यों करीब कब्र के दिन आरहे है पास
बढ़ती ही जा रही है उनकी ,मांग इश्क़ की
जिन्दा जिगर में हसरतें ,अब भी हजार है ,
रहते है धुत नशे में ,पी के भांग इश्क़ की
देखा जो उनका बावलापन ,'घोटू 'ने कहा ,
इस उम्र में क्यों खींचते हो टांग इश्क़ की

मदन मोहन बहती 'घोटू '
फर्क क्यों है ?

सीधा सादा आदमी ,सदा गधा कहलाय
सीधी हो औरत अगर ,तो कहलाती गाय
तो कहलाती गाय ,फर्क क्यों ऐसा रहता
हो उच्श्रंखल मर्द ,सांड उसको जग कहता
कह घोटू कविराय ,अगर औरत उच्श्रंखल
उसको कहते लोग ,हिरणिया जैसी चंचल

घोटू 
जीने की राह -पांच छक्के

अपने सभी वरिष्ठ का ,करता मैं सन्मान
जिनके आशीर्वाद से ,मैंने  पाया  ज्ञान
मैंने पाया ज्ञान ,गर्व से नहीं फूलता
कोई का अहसान कभी मै नहीं भूलता
'घोटू 'सब शुभचिंतक ,प्रेमी और मित्रगण
का कृतज्ञ मैं ,जिनसे मिल कर संवरा जीवन

चले महाजन जिस डगर,उनके चरण निशान
पर  चल  मैं आगे बढ़ा , तो  पाया  उत्थान
तो पाया उत्थान ,वही पथ ,प्रगति पथ था
उनका हर एक वचन ,ज्ञानमय और प्रेरक था
कह घोटू  थोड़ा भी ज्ञान जहाँ से पाओ
छोटा बड़ा न देख ,उसे तुम गुरु बनाओ

कभी मुसीबत के समय ,जिनने देकर साथ
गिरने से था बचाया ,पकड़ तुम्हारा हाथ
पकड़ तुम्हारा हाथ ,तुम्हे ढाढ़स बंधवाया
एसों का अहसान कभी ना जाय भुलाया
कह घोटू कवि सच्चे दोस्त वो ही कहलाते
एक दूजे के काम ,मुसीबत में जो आते

करो दोस्ती किसी से ,तो निभाओ भरपूर
उंच नीच का मत रखो ,मन में कोई गरूर
मन में कोई गरूर ,कभी ऊंचा पद पाके
अपने मित्रों को मत भूलो ,तुम इतरा के
कृष्ण द्वारकाधीश ,दीन था मित्र सुदामा
धोये उसके चरण ,बात ये भूल न जाना

रोज सुबह सूरज उगे ,लिये  ओज ,उत्साह
करू प्रकाशित जगत को ,मन में ये ही चाह
मन में ये ही  चाह ,प्रखर रहता है दिन भर
और जब होती शाम ,अस्त हो जाता थक कर
सुबह भरा है जोश ,इसलिए आभा स्वर्णिम
कार्य पूर्ण ,संतोष ,शाम को आभा स्वर्णिम

मदन मोहन बाहेती'घोटू ' 
देश की दशा -तीन छक्के

केरल से कश्मीर तक ,परेशान  है देश
दिन दिन बढ़ते जा रहे ,कोरोना के केस
कोरोना के केस ,चीन आँखें दिखलाता
आतंकी हरकत से पाक ,बाज ना आता
बार बार भूकम्प आ रहे , जाते है धमका
तूफानों ने बदला है मिज़ाज़ मौसम का

अर्थव्यवस्था देश की ,काफी खस्ता हाल
नहीं सुधरती आ रही ,हमे नज़र फिलहाल
हमे नज़र फिलहाल ,खुल रही तालाबंदी
खुलने लगे बाजार ,मगर छाई  है मंदी
पृथ्वी की ग्रह दशा और दिन लगते बिगड़े
एक माह में ,तीन तीन जब ग्रहण है पड़े

धीरे धीरे हो रहा ,लॉक डाउन ,अनलॉक
पर दिल्ली ने कर रखे ,अपने रस्ते ब्लॉक
अपने रस्ते ब्लॉक ,आदमी परेशान है
राजनीति की चला रहे नेता दूकान है
बीच बीच पप्पूजी भी  टी वी पर आते
हम भी है मौजूद ,जगत को ये दिखलाते

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
 

re: please send me the Facebook traffic offer

hi
09610899625956458172noreply

here it is, social website traffic:
http://www.mgdots.co/detail.php?id=113


Full details attached




Regards
Gerry Grothe  












Unsubscribe option is available on the footer of our website

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-