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मंगलवार, 5 मई 2020

कोरोना स्वामी की आरती

 
ॐ जय कोरोना हरे स्वामी जय कोरोना हरे

भक्त  जनों के संकट ,क्षण में दूर करे। ॐ।


जो भी  भीड़ से भागे ,दुःख बिनसे मन का

पास न आये कोरोना ,कष्ट मिटे तन का । ॐ।


दूरी रखूँ बना कर ,पास आना रिस्की

तुम बिन सुख और शांति ,आस करूँ जिसकी। ॐ।


तुम चाइना के आये , फैल रहे स्वामी

 मुश्किल भेद तुम्हारा ,तुम अन्तर्यामी। ॐ।


तुम हो दुःख के सागर, खुशियों के हरता

बार बार कर धोये , हर कोई डरता। ॐ।


तुम हो एक अगोचर  कितने प्राण हरे

किस विधि बचें त्रास से , विनती सब ही करें। ॐ।


नालायक,दुःखदायक , भक्षक बहुतेरे

मैं घर में घुस बैठा ,पास न ,आओ  मेरे। ॐ।


मुख  पर पट्टी बाँध ,करें सब तुम्हारी सेवा

खांसी आने ना दो ,ज्वर भी दूर करो देवा। ॐ।


यह कोरोना आरती   जो भी नर गावे  

वासे वाइरस भागे  पास नहीं आवे। ॐ


कवि घोटू रचित कोरोना आरती पूर्ण 
घोटू के पद

कोरोना ,मैं मोदी तुम मच्छर
ले पिचकारी ,तुम पर छिड़कूं ,मैं सेनेटाइजर
बिजली का रैकेट हाथ ले ,झपट झपट कर मारूं
छुओ मरोगे ,वरन भगोगे ,ऐसी गति बिगाडूं
धोकर हाथ ,पडूंगा पीछे ,ऐसे मैं  तुम्हारे
याद आएंगे ,नानी ,मौसी ,वाले रिश्ते सारे
लोग सभी घर घुस बैठेंगे ,फैल नहीं पाओगे
बहुत मार खाओगे यदि जो हमसे टकराओगे
देखो तुम्हे वार्निंग है, मत लो मोदी से पंगा
वरना उलटे पैर लौटना होगा ,होकर नंगा
यहाँ तुम्हारी नहीं चलेगी भागो सर पर पग धर
कोरोना ,मैं मोदी तुम मच्छर

घोटू  
सचिवालय सेक्रेटरी उचाव

सर जी ,काम चलेगा कैसे
सब उद्द्योग बाजार बंद है ,कोरोना के भय से
होती नहीं कमाई कोई भी ,ऐसे हो या वैसे
राज्य कोष में ख़तम हो रहे ,धीरे धीरे पैसे
नहीं भरोसा कोरोना का ,जाएगा कब,कैसे
घर बैठे सब लोग त्रसित है ,सूखे हुए गले से
उनको नहीं नसीब सोमरस ,वक़्त गुजारें कैसे
दारू के ठेके  खुलवा दो ,भीड़ उमड़ेगी ऐसे
दाम बढा  दो,सभी पियक्कड़ ,देंगे दूने पैसे
कोरोना दुःख भूल जाएंगे ,दारू पिये मजे से
'घोटू 'सभी समस्याओं का ,हल होता है ऐसे

घोटू  
कोरोना स्वामी की आरती
 
ॐ जय कोरोना हरे स्वामी जय कोरोना हरे
भक्त  जनों के संकट ,क्षण में दूर करे। ॐ।

जो दूर भीड़ से भागे ,दुःख बिनसे मन का
पास न आये कोरोना ,कष्ट न हो तन का । ॐ।

दूरी रखूँ बना कर सबके ,पास आना रिस्की
तुम बिन सुख और शांति ,आस करूँ जिसकी। ॐ।

तुम चाइना के जाये जग में, फैल रहे स्वामी
पाना मुश्किल भेद तुम्हारा ,तुम अन्तर्यामी। ॐ।

तुम हो दुःख के सागर, खुशियों के हरता
बार बार कर धोये तुमसे हर कोई डरता। ॐ।

तुम हो एक अगोचर तुमने कितने प्राण हरे
किस विधि बचें त्रास से , विनती सब ही करें। ॐ।

नालायक,दुःखदायक ,तुम हो भक्षक बहुतेरे
मैं घर में घुस बैठा ,पास न ,तुम आओ  मेरे। ॐ।

मुख  पर पट्टी बाँध ,करें सब तुम्हारी सेवा
खांसी आने ना दो ,ज्वर भी दूर करो देवा। ॐ।

यह कोरोना आरती बेबस हो जो नर गावे  
वासे वाइरस दूर रहे यह पास नहीं आवे। ॐ।

'घोटू 'कवि  रचित कोरोना आरती पूर्ण
 
 

सोमवार, 4 मई 2020

गांधारी

गांधारी  
जन्मांध धृतराष्ट से ब्याह दी गयी थी बिचारी
उसकी थी लाचारी  
वह चाहती तो अपने अंधे ,
पति का सहारा बन सकती थी
उसका पथ प्रदर्शन कर सकती थी
पर उसने हस्तिनापुर का माहौल देखा
भीष्म और द्रोणाचार्य जैसे बड़े महारथी
साधे बैठे रहते है चुप्पी
तो उसने भी चुप्पी साध ली
और अपनी आँखों पर पट्टी बाँध  ली
वरना अपनी हर गलती की जिम्मेदारी ,
धृतराष्ट्र , गांधारी पर डाल सकता था
कहता मैं तो अँधा हूँ ,मुझे क्या पता था
पर तुम्हे तो दिखता है ,
तुम तो मुझे टोक सकती थी
मुझे गलत निर्णय लेने से रोक सकती थी
उसने सोचा होगा कि पति की हर गलती का
दोषारोपण क्यों अपने सर पर लेना
इससे तो अच्छा है आँखों पर पट्टी बाँध लेना
इससे बच गया उसके जी का जंजाल
और वो बन गयी पतिव्रता धर्म
निभाने वाली पत्नी की एक मिसाल
इसी में थी उसकी समझदारी
गांधारी ,एक बुद्धिमान नारी

घोटू 

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