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बुधवार, 29 अप्रैल 2020

बुढ़ापे में मज़ा ले लें

अगर आये परेशानी ,तो हंस झेले बुढ़ापे में
मज़ा हम जिंदगानी का ,चलो ले लें ,बुढ़ापे में

लचकती चाल तुम्हारी ,कमर के दर्द के कारण ,
चलो इठलाती तुमको मैं ,लचकती कामिनी बोलूं
बदन थोड़ा भरा सा है ,है गदराया मोटापे से ,
चलो अल्हड सी मस्ती में ,तुम्हे गजगामिनी  बोलूं
मेरा भी हाल क्या कम है ,बुढ़ापे का हूँ मैं मारा ,
बची ना देह में फुर्ती ,जो बैठूं ,उठ नहीं  पाता
अधिक है खून  शक्कर ,बड़ा रहता है ,ब्लडप्रेशर ,
फूलने लगती है साँसें ,नहीं ज्यादा  चला जाता
ताश का खेल ,अच्छा है ,चलो खेलें  बुढ़ापे मे
मज़ा हम जिंदगानी का ,चलो ले लें बुढ़ापे में

तुम्हारी आँख पर चश्मा हमारी आँख पर चश्मा
चलो चश्मे के अंदर से ,मिलाएं बैठ कर आँखें
है पीड़ा मेरे पैरों में ,दबा दो तुम इन्हे थोड़ा ,
खुजा दूँ पीठ तुम्हारी , नरम से गाल सहला के
तुम्हारे काम मैं आऊं ,करो तुम भी मेरी सेवा ,
बढे नाखून पैरों के ,एक दूजे के हम काटें
बनाऊं चाय मैं और तुम ,पकोड़े तल के ले आओ ,
ले सुख भरपूर ,करदें दूर ,हम जीवन के सन्नाटे
यूं ही सुख एक दूजे को ,चलो दे लें बुढ़ापे में
मज़ा हम जिंदगानी का ,चलो ले लें बुढ़ापे में

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
विवाह की वषगांठ पर पत्नी से

मीते !तुम संग बरसों बीते
लगे बात कल की जब थामे ,हाथ रचे मेहँदी ते
तुमने हंस हंस,अपनों सरवस,प्रेम लुटा मन जीते
मधुर,सरस,मदभरे बरस कुछ,तो कुछ तीते तीते
जब से तुम आई जीवन में ,समय कट्यो  मस्ती ते
जो बाँध्यो  ,प्रेमपाश में ,बंदी हूँ तब ही ते
तुम ही मेरी ,राधा ,रुक्मण ,और तुम्ही हो सीते
पर 'घोटू ' की प्यास बुझी ना ,रोज अधर रस पीते

घोटू
बुहान के मेहमान से

ओ बुहान के मेहमान तुम कब जाओगे
देखो भाग जाओ वरना तुम पछताओगे
 
अतिथि का सत्कार हमारी परम्परा है ,
लेकिन इसने परेशानियां ,दर्द दिया है
इसके चलते ही मुगलों और अंग्रेजों ने ,
हमको लूटा मारा,हम पर राज किया है
ये सच है हम मेहमानो का स्वागत करते ,
उनकी सेवा आदर  में दिन रात लगाते
लेकिन अतिथि की भी कुछ मर्यादा होती ,
परेशान जो करता ,उसको लात लगाते
तुम अतिथि ना ,घर में घुसे ,आतयायी हो ,
सता रहे हो ,हम पर करके जबरजस्तियां
ऐसे हमलावर को है हम सीख सिखाते ,
उलटे पैर भगा दी हमने कई हस्तियां  
तुम घर में घुस ,घुसो गले में ,प्राण छीनलो
पता नहीं कब वेश बदल,किसके संगआओ
हमने इसीलिये सबसे दो गज की दूरी ,
बना रखी है ताक़ि हम तक पहुँच न पाओ
कर रख्खे है द्वार बंद मुख के भी हमने ,
ताला लगा लिया है मुंह पर मास्क पहन कर
काम धाम कर बंद लोग  घर  में है बैठे ,
ताकि तुम चोरी से घुसो न घर के अंदर
है सुनसान बज़ार ,देख सन्नाटा लौटो ,
 तुम्हे भगाने की करली है सब तैयारी
भागो वरना सेनेटाइजर ,मार मार कर ,
हालत बहुत बुरी हम देंगे बना तुम्हारी
देखो मान जाओ अब भी और भारत छोडो ,
 मोदी के मारे ,तुम सांस न ले पाओगे
बहुत हो गया, सीधे सच्चे ये बतलादो ,
कब छोड़ोगे पिंड ,पीठ कब दिखलाओगे

वादा करो कि वापस लौट नहीं आओगे
 ओ बुहान के मेहमान ,तुम कब आओगे

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '


 
बुहान के मेहमान से

ओ बुहान के मेहमान तुम कब जाओगे
वादा करो कि वापस लौट नहीं आओगे

अतिथि का सत्कार हमारी परम्परा है ,
लेकिन इसने परेशानियां ,दर्द दिया है
इसके चलते ही मुगलों और अंग्रेजों ने ,
हमको लूटा मारा,हम पर राज किया है
ये सच है हम मेहमानो का स्वागत करते ,
उनकी सेवा आदर  में दिन रात लगाते
लेकिन अतिथि की भी कुछ मर्यादा होती ,
परेशान जो करता ,उसको लात लगाते
तुम अतिथि ना ,घर में घुसे ,आतयायी हो ,
सता रहे हो ,हम पर करके जबरजस्तियां
ऐसे हमलावर को है हम सीख सिखाते ,
उलटे पैर भगा दी हमने कई हस्तियां  
तुम घर में घुस ,घुसो गले में ,प्राण छीनलो
पता नहीं कब वेश बदल,किसके संगआओ
हमने इसीलिये सबसे दो गज की दूरी ,
बना रखी है ताक़ि हम तक पहुँच न पाओ
कर रख्खे है द्वार बंद मुख के भी हमने ,
ताला लगा लिया है मुंह पर मास्क पहन कर
काम धाम कर बंद लोग  घर  में है बैठे ,
ताकि तुम चोरी से घुसो न घर के अंदर
है सुनसान बज़ार ,देख सन्नाटा लौटो ,
 तुम्हे भगाने की करली है सब तैयारी
भागो वरना सेनेटाइजर ,मार मार कर ,
हालत बहुत बुरी हम देंगे बना तुम्हारी
देखो मान जाओ अब भी और भारत छोडो ,
 मोदी के मारे ,तुम सांस न ले पाओगे
बहुत हो गया, सीधे सच्चे ये बतलादो ,
कब छोड़ोगे पिंड ,पीठ कब दिखलाओगे
भाग जाओ तुम जल्दी वरना पछताओगे
 ओ बुहान के मेहमान ,तुम कब आओगे

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

 

मंगलवार, 28 अप्रैल 2020

कोरोना -एक पद

माई री मोहे ,बहुत सतायो कोरोना
मौ से कहत रहो घर माही ,बाहर घूमो फिरो ना
मुंह पर पट्टी बाँध सभी से ,गज भर दूर रहो ना
बार बार साबुन से अपने ,हाथ पड़े अब   धोना
मुख से छीनी ,गरम जलेबी ,अरु रबड़ी का दोना
काम धाम की हो गयी छुट्टी ,दिनभर केवल सोना
आलस के बस फूल गयो अब तन का कोना कोना
ग्वाल बाल सब कंवारे बिचारे ,ना शादी नहीं गौना
कह 'घोटू 'सब तंग हो गये ,अब तो मुक्ति दो ना

घोटू  
 

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