विवाह की वषगांठ पर पत्नी से
मीते !तुम संग बरसों बीते
लगे बात कल की जब थामे ,हाथ रचे मेहँदी ते
तुमने हंस हंस,अपनों सरवस,प्रेम लुटा मन जीते
मधुर,सरस,मदभरे बरस कुछ,तो कुछ तीते तीते
जब से तुम आई जीवन में ,समय कट्यो मस्ती ते
जो बाँध्यो ,प्रेमपाश में ,बंदी हूँ तब ही ते
तुम ही मेरी ,राधा ,रुक्मण ,और तुम्ही हो सीते
पर 'घोटू ' की प्यास बुझी ना ,रोज अधर रस पीते
घोटू
मीते !तुम संग बरसों बीते
लगे बात कल की जब थामे ,हाथ रचे मेहँदी ते
तुमने हंस हंस,अपनों सरवस,प्रेम लुटा मन जीते
मधुर,सरस,मदभरे बरस कुछ,तो कुछ तीते तीते
जब से तुम आई जीवन में ,समय कट्यो मस्ती ते
जो बाँध्यो ,प्रेमपाश में ,बंदी हूँ तब ही ते
तुम ही मेरी ,राधा ,रुक्मण ,और तुम्ही हो सीते
पर 'घोटू ' की प्यास बुझी ना ,रोज अधर रस पीते
घोटू