वृद्ध चालीसा
दोहा
हे ज्ञानी और महामना ,तुम अनुभव की खान
देव तुल्य तुम हो पुरुष ,कोटिशः तुम्हे प्रणाम
वृद्ध नहीं समृद्ध तुम , उमर साठ से पार
कृपादृष्टी बरसाइये ,कर हम पर उपकार
चौपाई
जय जय देव बुजुर्ग हमारे
तुम्ही विरासत दुर्ग हमारे
बरसे सब पर प्यार तुम्हारा
सर पर आशीर्वाद तुम्हारा
पग पग पर हो ,सच्चे शिक्षक
मन से हो सबके शुभ चिंतक
करते फ़िकर सभी घरभर की
रखो खबर ,अन्दर बाहर की
सिखलाते हो ,पाठ ज्ञान का
शुभ स्वास्थ्य और खान पान का
परम्पराओं के रखवाले
सब रीति रिवाज संभाले
सुना पुराने किस्से ,गाथा
गर्वित ऊंचा होता माथा
आती चमक बुझी आँखों में
तुमसे कोई नहीं लाखों में
अनुभव की जब होती वृद्धि
आत्मा में आ जाती शुद्धि
साठ साल इसमें लग जाते
तब जाकर तुम वृद्ध कहाते
कर देती सरकार रिटायर
तुम्हे बैठना पड़ता है घर
दिन भर पेपर करते चाटा
गलती पर ,बच्चों को डांटा
टीवी से बस चिपके रहते
बुरा न कभी ,किसी से कहते
ढला हुआ तन ,मन में गर्मी
छूट न पाती ,पर बेशरमी
आँखे फाड़ करो तुम देखा
रूप षोडसी ,सुंदरियों का
ये आदत ,अब भी है बाकी
करते रहते ,ताका झांकी
बना बहाने ,करते बातें
इसी तरह बस मन बहलाते
यूं तो बिगड़ा ,साज तुम्हारा
है आशिक़ मिज़ाज तुम्हारा
हो कितना ही बूढा बन्दर
नहीं गुलाटी वो भूले पर
ढीले है पुरजे सब तन के
फिर भी रहते हो बनठन के
बालों पर ख़िज़ाब लगाते
याद जवानी की फिर लाते
दिन दिन सेहत बिगड़ रही है
तुमको इसका ख्याल नहीं है
है मधुमेह ,बढ़ रही ,शक्कर
पर मिठाइयां ,खाते जी भर
और स्वाद के मारे थोड़े
खाओ समोसे ,चाट पकोड़े
बड़ा हुआ रहता ब्लड प्रेशर
फ़िक्र नहीं करते रत्ती भर
बस करते ,जो आये मन में
चाह पूर्ण हो सब जीवन में
पास डॉक्टरों के भी जाते
दवा,गोलियां रहते खाते
यही सोच कर ,लेते टॉनिक
जीवन हो लम्बा ,जाऊं टिक
इतनी जीर्ण शीर्ण है काया
नहीं छूटती ,तुमसे माया
कितनी बार हृदय है टूटा
परिवार का मोह न छूटा
देता ध्यान न कोई तुम पर
तुमको सबकी चिंता है पर
त्योंहारों में घर के सारे
छूते है आ चरण तुम्हारे
बस तुम इससे खुश हो जाते
लगते प्यारे ,रिश्ते नाते
लेकिन तुम्हे जान कर बूढा
लोग समझते ,घर का कूड़ा
तन कमजोर न मन कमजोरी
विनती इसीलिये कर जोरी
उलझो मत परिवार मोह में
सिमटे मत तुम रहो खोह में
सबकी चिंता करना छोडो
मोह माया का ,पिंजरा तोड़ो
अब भी समय,जाग तुम जाओ
प्रभु चरणों में ध्यान लगाओ
भजन करो तुम सच्चे मन से
हरि सुमरन में लगो लगन से
इस जीवन से तर जाओगे
वरना यूं ही मर जाओगे
दोहा
चालीसा यह वृद्ध का ,कह घोटू समझाय
मोह तजो प्रभु को भजो ,जन्म सफल हो जाय
अथः श्री वृद्ध चालीसा सम्पूर्ण