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मंगलवार, 9 अक्टूबर 2018

सुंदरता 


सुंदरता ,
न तन के रंग  में होती है 
न किसी अंग में होती है 
वो तो बस ,आपके ,
मन की तरंग में होती है 
विचारों की सादगी  और 
जीने के ढंग में होती है 
लक्ष्य की लगन ,उत्साह 
और उमंग में होती है
मिलजुल कर मनाई हुई , 
खुशियों के रंग में होती है 
अपने  अच्छे और सच्चे ,
मित्रों के संग में होती है 

घोटू 

सोमवार, 8 अक्टूबर 2018

कैसे कैसे लोग 
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यह ऐसा है ,वह वैसा है
उसके बारे में मत पूछो,वह कैसा है
सदा चार की बातें करनेवाले,
     जब सदाचार की  बातें करते है
            तो कैसे लगते है?

कुछ विष इसके खिलाफ उगला
कुछ विष उसके खिलाफ उगला
जब जब जिसकी भी बात चली,
कुछ विष उसके खिलाफ उगला
  साँस साँस में जिसके विष का वास रहे
      वो विश्वास की बातें करते है
            तो कैसे लगते है?

जरुरत पर इसके चरण छुए
मतलब पर उसके चरण छुए
जब जब भी जिससे काम पड़ा
हरदम बस उसके चरण छुए
    सदा चरण छूने वाले कुछ चमचे
       जब सदाचरण की  बातें करते है
           तो कैसे लगते है?

मदन मोहन बहेती 'घोटू'
मकई  का भुट्टा और कॉर्न 

जबसे मकई का भुट्टा ,
अमेरिकन कॉर्न बन गया है 
गर्व से तन गया है 
देसी मकई की धानी ,
अब 'पॉपकॉर्न 'बन कर इतराने लगी है 
उसकी पौबारह हो गयी है क्योंकि ,
नयी जनरेशन भी उसे चाव से खाने लगी है 
अमरीकन कॉर्न के दाने 
हो गए है मोतियों से सुहाने 
कभी रोस्ट कर ,कभी उबाल कर ,
मसाला मिला कर खाये जाते है 
पिज़्ज़ा पर बिखराये जाते है 
इन्ही से  'कॉर्न फ्लेक्स 'बनाया जाता है 
जो की एक सेहतमंद नाश्ता कहलाता है 
और तो और ,नए नए बोर्न 
बेबी कॉर्न ,
भी मोहते सबका मन है 
स्नेक्स और सब्जी के रूप में ,
सबका प्रिय भोजन है 
मक्का की राबड़ी भी ,
अब विदेशी स्वाद के अनुरूप बन गयी है 
वो अब स्वीटकॉर्न सूप बन गयी है 
मकई का भुट्टा ,
कितने ही विदेशी रंग में रंग जाए मगर 
अंगारों पर सेक ,नीबू नमक लगा कर 
खाने का मज़ा ही कुछ और होता है 
तृप्त मन का पौर पौर होता है 
और मक्का की रोटी ,
सरसों के साग और गुड़ के साथ  
देती है गजब का स्वाद 
हम हिन्दुस्थानियों को इससे बड़ा प्यार है 
इसके आगे अमेरिकन कॉर्न से बने ,
सब के सब व्यंजन बेकार है 

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
सौभाग्य काअंकगणित 

जैसे अंक गणित में 
एक संख्या के आगे एक बिंदी लगाने पर 
उसकी कीमत दस गुनी ,
दो बिंदी लगाने पर सौ गुनी,  
तीन बिंदी लगाने पर हज़ार गुनी हो जाती है 
और जितनी बिंदी लगाओ ,
उतनी ही बढ़ती ही जाती है 
वैसे ही कनक छड़ी सी कामिनी ,
जब एक बिंदी अपने मस्तक पर लगाती है 
उसकी आभा बढ़ कर दस गुनी हो जाती है 
और बिंदी सी गोल सगाई की अंगूठी पहन ,
वो सौभग्यकांक्षिणी  बन जाती है 
शादी कर बिंदी सी गोल बिछियाए पहन 
वो कहलाती है सुहागन 
कानो की बाली या सोने का कंगन 
नाक की नथुनी या और अन्य आभूषण 
सब गोल गोल बिंदी से ,जब नारी तन पर सजते है 
उसकी शोभा और सौभाग्य को 
कई गुना बढ़ा देते है 
खनखनाती गोल गोल चूड़ियां भी 
सुहाग की निशानी है ,ऐसा माना जाता है 
इससे बिंदी का महत्व स्पष्ट नज़र आता है 
यही सौभाग्य का अंकगणित कहलाता है 

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '  

रविवार, 7 अक्टूबर 2018

बुलंद हौंसले 

आते नहीं है हमको ज्यादा दंद फंद है 
दिखते जलेबी ,दिल से मगर कलाकंद है 
आती न चमचागिरी ना ही मख्खन मारना ,
मुहफट्ट है ,कुछ लोगों को हम नापसंद है 
हमने किसी के सामने ना हाथ पसारे ,
अल्लाह का करम है कि हम हुनरमंद है 
ना टोकते ,ना रोकते रास्ता हम किसीका ,
ना बनते दाल भात में हम मूसरचंद  है 
है नेक इरादे तो सफलता भी मिलेगी ,
करके रहेंगे साफ़ ,ये फैली जो गंद  है 
कुछ करने की जो ठान ले ,करके ही रहेंगे ,
जज्बा है मन में ,हौंसले अपने बुलंद है 

घोटू 

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