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शनिवार, 6 दिसंबर 2014

नींद क्यों आती नहीं

              नींद क्यों  आती नहीं       

आजकल क्या हो गया है रात भर ही ,
उचट जाती ,नींद क्यों आती नहीं है
कभी दायें,कभी बांयें ,करवटें भर
कभी तकिये को दबाता,बांह में भर
तड़फता रहता हूँ सारी रात भर ,पर,
भाग जाती,नींद क्यों आती नहीं है
उचट जाती ,नींद क्यों आती नहीं है
रात की सुनसान सी तन्हाइयों में
भावनाओं की दबी  गहराइयों में
कभी चादर ,कम्बलों,रजाइयों में ,
लिपट जाती,नींद क्यों  आती नहीं है
उचट जाती,नींद क्यों आती नहीं  है
न तो चिंता से ग्रसित ना कोई डर है
न हीं कोई बुरी या अच्छी खबर  है
कितने ही अनजान सपनो का सफर है
भटक जाती ,नींद क्यों आती नहीं है
उचट जाती,नींद क्यों आती नहीं है
फेर मे ननयान्वे के   रहा फंस कर
रह न पाया ,जिंदगी भर स्वार्थ तज कर
कुटिलता की जटिलता में बस उलझ कर
छटपटाती ,नींद क्यों आती नहीं है
उचट जाती ,नींद क्यों आती नहीं है

मदन मोहन बाहेती''घोटू'


शुक्रवार, 5 दिसंबर 2014

निवेदन - पत्नी से

    निवेदन  - पत्नी से

प्रियतमे !
बड़ी जलन होती है हमें
बैठती हो जब तुम टी वी से सटी
देखती हो उसे लगा टकटकी
बड़ी निष्ठां और नियम से
बड़े चाव और सच्चे  मन से
तल्लीन होकर हर पल
देखती हो टीवी के सीरियल
तब लगता है कि काश
आप आकर हमारे भी पास
करें हम पर नज़रें इनायत
और उस समय का बस दस प्रतिशत
भी हमारे लिए निकाल कर दें
तो सचमुच  हमें निहाल कर दें
सीरियल की तरह  हम में उलझ कर
चिपक कर बैठें ,हमें टीवी समझ कर
हमारी नज़रों से   नज़रें मिलाये
कभी कभी प्यार से मुस्करायें
सच हम धन्य हो जाएंगे
अगले एपिसोड तक ,आपके गुण गाएंगे
वैसे भी हम में और टीवी में एक कॉमन बात है
दोनों का ही रिमोट ,आपके हाथ है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

मोदी,पटेल और विलय

         मोदी,पटेल और विलय
             घोटू के छक्के
                      १
आये है गुजरात से, मोदी और  पटेल
दोनों माहिर खेलते ,राजनीति का खेल   
राजनीति का खेल ,खिलाड़ी दोनों पक्के
छुड़ा दिये ,अच्छे अच्छों के इन ने छक्के
एक  ने रजवाड़ों  की सत्ता   दूर  हटा  दी
और  एक  ने  कांग्रेस को  धूल    चटा  दी
                        २
जब आजादी मिली थी ,गया ब्रिटिश साम्राज्य
बंटा    हुआ   था   देश , थे,  छोटे  छोटे   राज्य
छोटे  छोटे   राज्य ,सभी  का विलय   कराया
और पटेल  ने  कैसे  भारत  संघ     बनाया
बिखरे थे  समाजवादी भी  कितने  दल में
विलय  कराया इन  सबका ,मोदी के ङर ने 

घोटू

मंगलवार, 2 दिसंबर 2014

आशिक़ की उल्फत

              आशिक़ की उल्फत

इतनी ज्यादा महोब्बत ,करता मेरा मेहबूब है
निभाने का आशिक़ी  ,उसका तरीका  खूब है
इतना ज्यादा दीवाना वो ख्याल रखता है मेरा
रोक डाला निकलने का ,रस्ता ही उसने  मेरा
चाहता है ,साथ उसके रहूँ  ,हरदम , हर  घड़ी
जब भी घर निकलूं, गुजरूं ,हो के ,मै उसकी  गली

घोटू

'रामा रामा सीपों सीपों - कृष्णा कृष्णा सीपों सीपों'

पुराने जमाने में
संगीत के शिष्य ने
कोमल की जगह
तीव्र 'म' लगाया,
तो गुरू ने
छ्ड़ी से की धुलाई, और
नानी याद दिलाया..
इसतरह मार - मार के उसका
हर सुर होता था पक्का,
और इसीतरह हर शिष्य
लगाता था संगीत में छक्का...
आज का गुरू जब
बड़े बाप के बच्चों को सिखाता है,
तो दस हजार की फीस पर
दो हजार चाय पानी के पाता है,
इसलिये ज्यादा दिमाग नहीं लगाता है...
चेला हमेशा 'स रे' की जगह
'ग ध' का सुर लगाता है,
गुरू इसको आधुनिक संगीत में
एक अनूठा एवं नव प्रयोग बताता है...
अब बेटा जब गर्दभ स्वर में
'सीपों सीपों' गाता है,
सुन के अमीर मां - बाप का
सीना चौड़ा हो जाता है...
करके पच्चीस लाख खर्च
बनवाते हैं लाल के लिये
संगीत का महान एल्बम...
मीडिया भी पाता है जब
मुंहमांगा पैसा, तो -
प्रचार करता है कुछ ऐसा,
कि देखते ही देखते
पूरे देश में गूंज उठता है शोर -
'रामा रामा सीपों सीपों'
'कृष्णा कृष्णा सीपों सीपों'...
म्युजिक हो जाता है सुपरहिट
आज की पीढ़ी पर एकदम फिट,
पुराने जानकार पीटते हैं माथा
"हे भगवान - ओह शिट !!!"

- विशाल चर्चित

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