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सोमवार, 20 अक्टूबर 2014

ब्यूटी चाइनीज-कितनी लजीज

  ब्यूटी चाइनीज-कितनी लजीज

लगती हो 'मंचूरियन 'जैसी,सॉफ्ट सॉफ्ट  तुम ,
               नूडल की तरह लटक रहे सर के बाल है    
नाइस सा प्यार स्वाद'फ्राइड राईस'की तरह,
               'स्प्रिंग रोल 'की तरह   तू  बेमिसाल  है
हो कभी 'चॉप्सी'की तरह लगती कुरमुरी ,
              'चिली पनीर' की तरह का   टेस्ट है कभी ,
तू है लजीज ,चाइनीज फ़ूड की तरह,
              'चिल्ली पोटेटो' की तरह  जलवा कमाल है

घोटू

रविवार, 19 अक्टूबर 2014

रमोना, तुम ठीक तो हो ना...?!



















रमोना,
तुम ठीक तो हो ना
नहीं,
बता रहे हैं तुम्हारे शुष्क होंठ
कि
नहीं हो तुम ठीक,
बता रही हैं तुम्हारी
बुझी - बुझी सी आंखें
कि कत्तई ठीक
नहीं हो तुम...
पता है कुछ तुम्हें?
न तुम ठीक हो और
न वो जल प्रपात नियाग्रा का
मिलते थे हम जिसके किनारे,
न ही ठीक है 'सूमी'
तुम्हारी प्यारी डॉलफिन
जिसे खिलाती थी तुम
चने - मूंगफलियां
और न जाने क्या - क्या...
अब वैसी नहीं लहलहाती
आल्पस की पहाड़ी वादियां भी
जैसे कि तुम्हारे स्वागत में
पहले लहलहाती थी...
भीलों का बच्चा 'कारू'
अब नहीं लाता किसी के लिये
जंगल से मीठी - मीठी बेर
मेरे लिये भी नहीं...
अब वैसे
नहीं मुस्कुराते
सिकोया के वृक्ष
जैसे कि पहले मुस्कुराते थे
तुम्हें देखकर हमेशा,
उनमें अब मधुमक्खियां भी
नहीं लगाती शहद के छत्ते...
सच में, एक तुम्हारे रूठ जाने से
पूरी कायनात लगती है जैसे
सहारा रेगिस्तान,
यहां तक कि खुद तुम भी...
गुस्सा छोड़ो और मेरे साथ चलो
हम फिर से मुस्कुरायेंगे
उन सबको जगायेंगे
उन सबके साथ झूमेंगे गुनगुनायेंगे
सुबह सूरज को चिढ़ायेंगे
रात में चांद को जलायेंगे
चलो, उठो... मान भी जाओ अब...

- विशाल चर्चित

शनिवार, 18 अक्टूबर 2014

ऑरेन्ज काउंटी का नया 'स्पा'

     ऑरेन्ज काउंटी का नया 'स्पा'
                        १ 
पत्नी जी स्पा गयी,लाई रूप निखार
पतझड़ वाले पेड़ पर,आयी नयी बहार
आयी नयी बहार,बाल रंगवाये काले
'कर्लिंग कर्लिंग'प्यारे लेटेस्ट फैशनवाले
'घोटू'खुश है किस्मत उनपर हुई मेहरबां
पेंसठ की बीबी ,पेंतीस सी ' लगे है जवां
                        २
देखा कायाकल्प ये ,उनका निखरा रंग
फिर से दिखें जवान हम,मन में उठी उमंग
मन में उठी उमंग,जोश कुछ ऐसा आया
'स्पा'जा हमने 'पेडी मेनी क्योर'कराया
करा 'फेशियल 'मुंह की रंगत ,हुई सुहानी
और 'बॉडी मसाज'लाई फिर नयी जवानी

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
 

शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2014

दक्षिण भारतीय व्यंजन और हुस्न

         दक्षिण भारतीय व्यंजन और हुस्न

सुन्दर है प्यारा  चेहरा ,जैसे हो 'उत्तप्पम'
           'रस्सम 'के जैसी चटपटी ,'साम्भर 'सी स्वाद हो
'डोसे 'की तरह पूरी मसाले से भरी हो,
             'उपमा' हो कभी  और  कभी 'दही भात ' हो
'इडली'से नरम गाल ,जिनमे 'मेदूबड़े 'से,
             पड़ते है डिम्पल ,हंसती ,लगती  लाजबाब हो
हो 'केसरी हलवे'सी मीठी और रस भरी,
              जाने बहार  तुम  किसी  भूखे  का  ख्वाब हो

घोटू 

हुस्न या मिठाई की दूकान

          हुस्न या मिठाई की दूकान


सुन्दर तिकोनी नाक ज्यों  बर्फी बादाम की,
                  हो  टेढ़ीमेढ़ी  जलेबी या जैसे इमरती
है गाल भी गुलाबजामुन जैसे रसीले ,
                 रबड़ी के लच्छों की तरह बात तुम करती     
तन में भरे है  जैसे लड्डू मोतीचूर के,
                  मीठा है बड़ा स्वाद ,हर एक अंग तुम्हारा ,
लगता है तुम मिठाई की पूरी दूकान हो,
                   रसगुल्ले की तरह पूरी रस से टपकती

घोटू

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