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गुरुवार, 18 सितंबर 2014

मोदी जी के जन्मदिन पर

         मोदी जी के जन्मदिन पर

आज विश्वकर्मा दिवस है,करें हम उनको नमन,
      सृष्टिकर्ता ,देवता वह,सृजन का ,निर्माण का
आज मोदी का जन्मदिन ,यह सुखद संयोग है,
      लिया है संकल्प जिसने ,देश नवनिर्माण का
देश का 'प्रगति पुरुष'यह,बड़ी लम्बी सोच है ,
      हौसला मन में भरा है,साथ ले विज्ञान का
 आओ हम तुम, सच्चे दिल से,करें प्रभु से प्रार्थना ,
    पूर्ण होवे स्वप्न उसका ,देश के  उत्थान का

घोटू
(पोस्टिंग में एक दिन के विलम्ब के लिए क्षमा याचना )

मंगलवार, 16 सितंबर 2014

सच्चा मिलन

        सच्चा मिलन

किलकारी जब भरता ,नन्हा प्यारा  बच्चा ,
         ममता से गोदी में उसको हम भर लेते
मिलते है जब दोस्त पुराने ,दिनों बाद तो ,
           उसकी झप्पी लेते,बाहों में भर लेते 
कोई अपना मिले ,गले उसके लग कर हम,
      काँधे से चिपकाते,अपनापन होता है
किन्तु प्रेम में पागलप्रेमी है जब मिलते,
    बाहुपाश में  बंधते ,वही मिलन होता है

घोटू

चुम्बन

              चुम्बन

कोई बच्चा अगर तुम्हे लगता है प्यारा ,
      तो गोदी में लेकर उसके गाल चूमना
कोई अच्छा लिखता उसकी कलम चूमना ,
    अच्छा कोई पकाता   उसके हाथ चूमना
जो मेहनत करते है चूमे उन्हें सफलता ,
    ये सबके सब ,होते है एकतरफा  चुम्बन
किन्तु मिलन में ,प्रेमीद्वय के लब जब मिलते,
   पागल से रसपान करें,वो सच्चा चुम्बन

घोटू 

वो नरेंदर -ये नरेन्दर

        वो नरेंदर -ये नरेन्दर

था एक नरेंदर ,शिकागो ,जाकर के जिसने दिया ज्ञान
उस तेजोमय तपस्वी का ,छा गया ,विवेकानंद  नाम
भगवां वस्त्रों में सजा हुआ ,माथे पर बांधा था साफा
होगया अमरिका मन्त्रमुग्ध,लख उसके चेहरे की आभा
एक ये नरेंद्र है भारत का ,हर जगह बढ़ा जो रहा मान
छा गया वहां ,ये जहाँ गया ,नेपाल भले हो या जापान
अमरीका में भी इसका जादू ,सर पर चढ़ कर बोलेगा
जब बहा प्यार की गंगा ,सबके मन की गांठे खोलेगा
भारत की शान बढ़ाएगा ,भारत का डंका गूंजेगा
अमरीका में 'मोदी मोदी 'का नारा हर घर गूंजेगा

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

नज़रे इनायत

           नज़रे इनायत

तुम जो भी करो ,है मुनासिब तुम्हे ,
         हम जो भी करें,हम कसूरवार  है
है हमारी खता,सिर्फ इतनी ही बस,
         चाहते है तुम्हे ,करते हम  प्यार है
जो तुम्हारी रजा,वो हमारी रजा ,
         ना तुम्हारी,हमारा भी  इंकार है
ऐसे आशिक़ कहीं भी मिलेंगे नहीं ,
        जो कि होने को कुर्बान ,तैयार है
आप नज़रें उठा कर ,हमें देखती ,
       चाँद का हमको हो जाता ,दीदार है
होगी नज़रे इनायत कभी हम पे भी,
       आएगा वो भी दिन हमको इन्तजार है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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