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बुधवार, 2 अप्रैल 2014

चुनाव के प्रत्याशी-तरह तरह के

         चुनाव के प्रत्याशी-तरह तरह के
                            १
               हम भी लड़े प्रत्याशी 
प्रत्याशी बारह  तरह,किसका करे बखान
'हम भी लड़े चुनाव में,हो जाएगा नाम 
                           २
             पब्लिसिटी प्रेमी
टी वी और अखबार में,हो जाएगा नाम
इसीलिये चुनाव में,उतरे कुछ अनजान
                     ३
          पेराशूट प्रत्याशी
जिनने पहले ना कभी ,देखा था जो गाँव
उतरे  पेराशूट से ,लड़ने  वहाँ  चुनाव
                      ४
          बहुत बूढ़े प्रत्याशी
उम्र पिचासी कब्र में ,लटके जिनके पाँव
पर सत्ता के मोह में ,लड़ते रहें चुनाव
                      ५
             दलबदलू प्रत्याशी
बांह दूसरी थाम ली ,    देख डूबती नाव
टिकिट मिला परसाद में,लड़ने लगे चुनाव
               ६ 
     रिजर्व   प्रत्याशी 
सरकारी नीती करे ,कोई सीट रिजर्व
वो भी लड़े चुनाव है,जो ना करे डिजर्व
                     ७
        वोट काटू प्रत्याशी
कौमी लीडर कर रही ,जाति  जिसे सपोर्ट
उस जाति को दे टिकिट,काटो उसके वोट
                      ८
         लालची प्रत्याशी
होते खड़े चुनाव में,लेकिन दे  जो माल
देकर उसे सपोर्ट ये ,कर लेंते  विड्राल 
                     ९
        पुश्तेनी प्रत्याशी
दादा फ्रीडम फाइटर ,नेता है माँ  बाप
पोते पोती ले रहे,देखो इसका  लाभ 
                      १०
               शहीद प्रत्याशी 
मोटी हस्ती सामने ,होगी हार नसीब
फेंके जाते जंग में ,होने वहाँ  शहीद
                       ११
             निर्दलीय प्रत्याशी
जिनको पार्टी ने दिया ,नहीं टिकिट इस बार
निर्दलीय  बन इलेक्शन , वो,लड़ने तैयार
                           १२
                   रईस प्रत्याशी        
   गाँव गाँव घूमो फिरो,अपना खून जलाओ
राज्य सभा का टिकिट तुम,कुछ करोड़ में पाओ                     
        
मदन मोहन बाहेती'घोटू'                  

मंगलवार, 1 अप्रैल 2014

शादी के बाद

               शादी के बाद
                         १

आते है हमको याद ,जवानी के प्यारे  दिन,
                  मस्ती थी मन में,मौज थी,अपने भी ठाठ थे
मरती थी हमपे लड़कियां,कॉलेज की  सभी,
                    हम चुलबुले थे,तेज थे, लगते स्मार्ट थे 
उनसे जब मिले ,जाल में हम उनके फंस गए ,
                     शादी हुई और बने उनके स्वीटहार्ट  थे
वो मीठी प्यारी रसभरी ,रसगुल्ले की तरह,
                      चटखारे लेके खानेवाली,हम भी चाट थे
अब हाल ये है ,टोकती हर बात पर हमें,
                      हरदम हमारी बीबी हमें ,रखती डाट के
दफ्तर में पिसें ,घर में  भी सब काम करें हम,
                      धोबी के गधे बन गए,घर के न घाट  के
                               २
किस्मत ने  हमारी ये चमत्कार दिखाया
बीबी ने हमपे इस तरह उपकार दिखाया
होटल से खाना आएगा ,बरतन तुम मांझ लो,
कम काम का बोझा किया और प्यार दिखाया
                        ३
वो जा रही थी रूठ कर के,मइके ,माँ के घर,
       हमने जो छींका,अपशकुन कह कर ठहर गयी
जाता है टूट छींका भी बिल्ली के भाग्य से ,
         'घोटू' हमारी  छींक ,ऐसा  काम  कर  गयी
 
मदन मोहन बाहेती'घोटू'     

सोमवार, 31 मार्च 2014

मेरे मन की भी सुन लेते

       मेरे मन की भी सुन लेते

तुमने जो भी किया ,किया बस,जो आया तुम्हारे मन में ,
अपने मन की सुनी ,कभी तो,मेरे मन की भी सुन लेते

जब हम तुम थे मिले,मिल गए ,बिन सोचे और बिना विचारे
 तब तुम तुम थे ,और मैं ,मैं थी,अलग अलग व्यक्तित्व हमारे
शायद ये विधि का लेखा था , किस्मत से मिल गए ,आप,हम
तुम गंगा थे,मैं जमुना  थी, किन्तु हुआ जब अपना  संगम
 हम मिल कर एक सार हो गए ,दोनों  गंगा धार हो गए ,
 अपना ही वर्चस्व जमाया ,जमुना के भी कुछ गुन लेते
अपने मन की सुनी ,कभी तो ,मेरे मन की भी सुन लेते
ये सच है कि हम तुम मिल कर, विस्तृत और विराट हो गए               
कितनो को ही साथ मिलाया , चौड़े  अपने  पाट  हो गए
मैं अपने  बचपन की यादें,राधा और कान्हा  की बातें
वृन्दावन में छोड़ आ गयी ,तुम संग भागी ,हँसते ,गाते
पकड़ तुम्हारी ऊँगली तुम संग, चली जहां तुम मुझे ले गए,
मिलना था खारे सागर से ,किसी और का संग  चुन लेते
अपने मन की सुनी कभी तो,मेरे मन की भी सुन लेते

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

प्यार और बीमारी

         प्यार और बीमारी

दे मीठी मीठी पप्पियाँ ,बचपन से आजतक,
                      लोगों ने मेरे खून में मिठास बढ़ाया
तेजी से इतनी तरक्की की चढ़ी सीढ़ियां ,
                      धड़कन ने बढ़ कर, खून का दबाब बढ़ाया
उनसे मिलन की चाह में ,ऐसा जला बदन,
                       लोगों को लगा ,हमको है बुखार हो गया
 जबसे है उनके साथ  हमने  नज़रें  लड़ाई ,
                        ऐसी लड़ी  लड़ाई है कि प्यार हो गया
यूं देखते ही देखते ,दिल का सुकून गया ,
                        हम सो न पाते ,रात की नींदें है उड़ गयी
रहते हैं खोये खोये हम उनके ख़याल में ,
                        जोड़ी हमारी ,जब से उनके साथ जुड़ गयी

मदन मोहन बाहेती'घोटू'
                       

सच्चा प्यार

          सच्चा प्यार

कहा गदहे ने गदही से ,उठा कर प्यार से टांगें,
 तेरे चेहरे में ,मुझको ,चाँद का  दीदार होता है
तेरी आहट भी होती है ,महक जाती मेरी दुनिया ,
गदही  बोली ये होता है जब सच्चा प्यार होता है
ढेर से कपड़ों का बोझ ,दिया जब लाद  धोबी ने ,
वो बोली क्यों हमारे साथ ये हर बार होता है
हमारे प्यार में हरदम अड़ंगे डालता  रहता ,
बड़ा बेरहम ,जालिम कितना ये संसार होता है
 
मदन मोहन बाहेती'घोटू'



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