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मंगलवार, 17 दिसंबर 2013

बीबीजी की दुनिया की सैर

    बीबीजी की दुनिया की सैर

किया था मैंने ये वादा ,तुम्हे  दुनिया  दिखाऊंगा
मगर अब तुमसे कहने में ,ज़रा ना हिचकिचाऊंगा
सिमट कर रह गयी दुनिया ,मेरी तुम्हारी बाँहों में,
दिखाती तुम मुझे दुनिया ,मै  तुमको क्या घुमाऊंगा

घोटू

चुनाव में हार के फल

          चुनाव में हार के फल

'आम' ने ऐसा निचोड़ा 'आम' सा,
                    अब तो हम बस गुठली बन कर रह गए
'संतरे'का सूख सारा रस गया ,
                        थे तने 'केले',अकेले रह गए
बेबसी ने हाल ऐसा कर दिया ,
                         बहलाते मन बेटी से 'अंगूर'की ,
'चीकू'चाहा था मगर आलू मिला ,
                          दिल के अरमाँ  आंसूओ में बह गए

घोटू

सोमवार, 16 दिसंबर 2013

फ्लेट संस्कृती

           फ्लेट संस्कृती

कोई को किसी की नहीं परवाह यहाँ पर ,
वो खुश हैं अपने फ्लेट में ,तुम अपने फ्लेट  में
होती है 'हाई 'हल्लो'जब मिल जाते लिफ्ट में ,
पर दोस्ती होती नहीं ,पल भर की भेट में
कल्चर गया ,गली का,मोहल्ले ,पड़ोस का,
रहते है व्यस्त टी वी में और इंटरनेट  में
सब अपनी अपनी खा रहे,मस्ती में जी रहे ,
किसको पडी है झाँके जो,औरों की प्लेट में

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

सर्दी में -सवेरे सवेरे

 सर्दी में -सवेरे सवेरे

कहा बीबी ने ये डीयर ,
बड़ी ही सर्दी है बाहर ,
रहो दुबके यूं ही अंदर ,रजाई ये सुहाती है
ये मौसम सर्द है आया
बड़ा कोहरा ,घना छाया
कि बाहर  देखो बर्फानी ,हवायें सनसनाती है
कहा मन ने यूं भर आलस
आज सोये रहो तुम बस
नहीं उठने का जी करता ,आँख भी खुल न पाती है
भले मन कितना ही चाहे ,
मगर हम रुक नहीं पाये
भली सेहत की चाहत ही,सवेरे नित  जगाती  है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

कोंग्रेस -कथा

    कोंग्रेस  -कथा

पहले थी 'जोड़ी बैल की'फिर ' गाय और बछड़ा',
फिर 'हाथ',बदले रंग कितने कांग्रेस  ने
नाना से नातियों के युग में आते आते ही ,
थी जो रईस ,अब है भिखारी के भेस में
आयी अर्श से फर्श तक ,इस अंतराल में,
बेडा किया है गर्क,मचा लूट देश में
खा खा के मोटी हो गयी है दौड़ ना पाती ,
कितने ही दल निकल गए है आगे रेस में

घोटू

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