जवानी पर चढ़ गयी है सर्दियां
रात की ठिठुरन से बचने, भूल सब शिकवे ,गिले
शाम ,डर कर,उलटे पैरों,दोपहर से जा मिले
ओढ़ ले कोहरे की चादर ,धूप ,तज अपनी अकड़
छटपटाये चमकने को ,सूर्य पीला जाये पड़
हवायें जब कंपकंपाये ,निकलना मुश्किल करे
चूमने को चाय प्याला ,बारहां जब दिल करे
जेब से ना हाथ निकले ,दिखाये कन्जूसियाँ
पास में बैठे रहे बस ,लगे मन भाने पिया
लिपट तन से जब रजाई ,दिखाये हमदर्दियाँ
तो समझ लो ,जवानी पर,चढ़ गयी है सर्दियाँ
घोटू
पतंजलि कैवल्यपाद सूत्र 18,19,20 पुरुष एवं प्रकृति संबंध
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सूत्र : 18 , 19 , 20 चित्त और पुरुष संबंध
कैवल्य पाद सूत्र 18 , 19 और 20 का सार
त्रिगुणी जड़ प्रकृति और निर्गुण शुद्ध चेतन पुरुष के संयोग से प्रसवधर्मी...
8 घंटे पहले