मगर माँ बस एक है
कई तारे टिमटिमाते,आसमां में रात भर,
मगर सूरज एक है और चंद्रमां बस एक है
कहने को तो दुनिया में कितने करोड़ों देवता,
मगर जो दुनिया चलाता,वो खुदा बस एक है
कई टुकड़ों में गयी बंट,देश कितने बन गए,
ये धरा पर एक ही है,आसमां भी एक है
कई रिश्ते है जहाँ में,भाभियाँ है चाचियाँ,
बहने है,भाई कई है ,मगर माँ बस एक है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
शिक्षक पुरस्कारों के आवेदन के बोझ तले दबी शिक्षक गरिमा
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*शिक्षक पुरस्कारों के आवेदन के बोझ तले दबी शिक्षक गरिमा*
*खुद की प्रशंसा करने को मजबूर, वो क्या आदर्श बन पाएंगे,*
*खुद को ही साबित करने में जुटे, दूसरों को...
9 घंटे पहले