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बुधवार, 11 जुलाई 2012

आज फिर मौसम सुहाना हो गया है

आज फिर मौसम सुहाना हो गया है

शुरू तेरा मुस्कराना  हो गया है

आज फिर मौसम सुहाना हो गया है
 जिंदगी बदली है जब से इस गली में,
शुरू तेरा आना जाना हो गया है
तरसती आँखें तेरे दीदार को,
आरजू बस तुझको पाना हो गया है
दिखा कर हुस्नो अदाये, नाज़ से,
काम  बस हमको   सताना हो गया है
अब भी आतिश है हमारे जिगर में,
जिस्म का चूल्हा पुराना हो गया है
बारिशों में भीगता देखा तुम्हे,
बेसबर ये दिल दीवाना हो गया है
ऐसी तडफन बस गयी दिल में मेरे,
हँसे खुलके,एक ज़माना हो गया है
क्या बतायें,आजकल अपना मिजाज़,
कुछ अधिक ही आशिकाना हो गया  है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

कंसल्टंट(consultant )

 कंसल्टंट(consultant )

जिंदगी की राह   में कुछ लोग,

जब मुश्किलों से घिर जाते है
ठोकर खाते है और गिर जाते है
और फिर उठ कर जब खड़े होते है
उनके पास अनुभव बड़े होते है
मैदाने जंग में गिरने वाले शहसवार
जब फिर से होते है घोड़े पर सवार
अनुभवों की धूल से सन जाते है
और कुछ बने न बने,
कंसल्टंट  जरूर बन जाते है

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 

सोमवार, 9 जुलाई 2012

प्याज और प्यार

          प्याज  और प्यार

प्याज                                      प्यार

आज                                       मेरे यार
कितने ही रसोईघरों में,             जीवन का
कर रहा है राज                          है सच्चा  सार
कितनी ही परतों में,                  दिल की गहराइयों में
छुपा हुआ रहता है                     बसा हुआ रहता है
बाहर सूखा दिखता पर,              उम्र बीत जाने पर भी,
अन्दर ताज़ा रहता है                 सदा जवान रहता है
 अगर काटतें है तो,                  विरह की रातों में,
आंसू भी लाता है                       आंसू बन बहता है
लेकिन वो खाने का,                  जीवन के जीने का,
 स्वाद भी बढाता है                     स्वाद भी बढाता है
दबाये ना दबती,                        छुपाये ना छुपती,
पर इसकी गंध है                       पर इसकी सुगंध है
पर सेहत के लिये,                     प्यार हो जीवन में,
फायदेबंद  है                              आता आनंद है
                   प्याज का आकार
                  दिल के आकार से,
                   कितना मिलता जुलता है
                   प्याज हो या प्यार,
                   दोनों में सचमुच में,
                   कितनी समानता है
 मदन मोहन बाहेती'घोटू' 
 
  

रविवार, 8 जुलाई 2012

आशा की डोर

        आशा की डोर

आसमां को देखते थे रोज इस उम्मीद से,

          घुमड़ कर बादल घिरें,और छमाछम  बरसात हो
ताकते थे अपनी खिड़की से हम छत पर आपकी,
          दरस पायें आपका और आपसे  कुछ   बात हो
बादलों ने तो हमारी बात ससरी मान ली,
          और वो दिल खोल बरसे,  बरसता है प्यार ज्यूं
हम तरसते  ही रहे पर आपके दीदार को,
          आपने पूरी नहीं की,मगर दिल की आरजू
हो गयी निहाल धरती ,प्यार की बौछार  से,
            सौंधी सौंधी महक से वो गम गमाने लग गयी
और हम मायूस से है,मिलन के सपने लिये,
            बेरुखी ये आपकी  दिल को जलाने  लग गयी
मोर नाचे पंख फैला,बीज  बिकसे खेत में,
            बादलों की बरस से मन सभी का हर्षित  रहा
भीगने को बारिशों में तुम भी छत पर आओगी,
              ये ही सपने सजा छत को देखता  मै नित रहा
और मुझको आज भी है,आस और विश्वास  ये,
              तमन्नायें मेरे दिल की एक दिन रंग लायेगी
बारिशों में आई ना तो  सर्दियों में  आओगी,
               कुनकुनी सी धुप जब छत पर  तुम्हारे छायेगी

मदन मोहन बाहेती'घोटू'


    
       
                

बदलते मौसम

 बदलते मौसम

जब ज्यादा गर्मी पड़ती है

तो कितनी मुश्किल बढती है
बार बार बिजली  जाती है
पानी की दिक्कत आती है
और जब आती बारिश ज्यादा
वो भी हमको नहीं सुहाता
सीलन,गीले कपडे, कीचड
और जाने कितनी ही गड़बड़
और जब पड़ती ज्यादा सर्दी
तो मौसम लगता बेदर्दी
तन मन की ठिठुरन बढ़ जाती
गरम धूप है हमें सुहाती
जब भी मौसम कोई बदलता
थोड़े दिन तो अच्छा लगता
लेकिन फिर लगता चुभने
क्यों होता सोचा क्या तुमने?
क्योंकि लालसा जिसकी मन में
जब वो आता है जीवन में
थोड़े दिन तो मन को भाता
लेकिन फिर है जी उकताता
ये तो मानव का स्वभाव है
कुछ दिन रहता बड़ा चाव है
किन्तु चाहता फिर परिवर्तन
स्वाद चाहिये  नूतन,नूतन
प्रकृति काम करे है अपना
ठिठुरन कभी बरसना,तपना
वैसे ही निज काम करें हम
और मौसम से नहीं डरें हम
मौसम तो है आते ,जाते
मज़ा सभी का लो मुस्काते

मदन मोहन बाहेती'घोटू'


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