लक्ष्मी जी का परिवार प्रेम (समुद्र मंथन से १४ रत्न प्रकट हुए थे-शंख,एरावत,उच्च्श्रेवा ,धवन्तरी, कामधेनु,कल्प वृक्ष,इंद्र धनुष,हलाहल,अमृत,मणि,रम्भा,वारुणी,चन्द्र और लक्ष्मी -तो लक्ष्मी जी के तेरह भाई बहन हुए,और समुद्र पिताजी-और क्योंकि विष्णु जी समुद्र में वास करते है,अतः घर जमाई हुए ना )
एक दिन लक्ष्मी जी,अपने पति विष्णु जी के पैर दबा रही थी और उनको अपने भाई बहनों की बड़ी याद आ रही थी बोली इतने दिनों से ,घरजमाई की तरह, रह रहे हो अपने ससुराल में कभी खबर भी ली कि तुम्हारे तेरह, साला साली है किस हाल में प्रभु जी मुस्काए और बोले मेरी प्यारी कमले मुझे सब कि खबर है,वे खुश है अच्छे भले तेरह में से एक 'अमृत 'को तो मैंने दिया था बाँट बाकी बचे चार बहने और भाई आठ तो बहन 'रम्भा'स्वर्ग में मस्त है और दूसरी बहन 'वारुणी'लोगों को कर रही मस्त है 'मणि 'बहन लोकर की शोभा बड़ा रही है और 'कामधेनु'जनता की तरह ,दुही जा रही है तुम्हारा भाई 'शंख'एक राजनेतिक पार्टी का प्रवक्ता है और टी.वी.चेनल वालों को देख बजने लगता है दूसरे भाई 'एरावत'को ढूँढने में कोई दिक्कत नहीं होगी यू.पी,चले जाना,वहां पार्कों में,हाथियों की भीड़ होगी हाँ ,'उच्च्श्रेवा 'भैया को थोडा मुश्किल है ढूंढ पाना पर जहाँ अभी चुनाव हुए हो,ऐसे राज्य में चले जाना जहाँ किसी भी पार्टी नहीं मिला हो स्पष्ट बहुमत और सत्ता के लिए होती हो विधायकों की जरुरत और तब जमकर 'होर्स ट्रेडिंग' होता हुए पायेंगे उच्च श्रेणी के उच्च्श्रेवा वहीँ मिल जायेंगे 'धन्वन्तरी जी 'आजकल फार्मा कम्पनी चला रहे है और मरदाना कमजोरी की दवा बना रहे है बोलीवूड के किसी फंक्शन में आप जायेंगी तो भैया'इंद्र धनुष 'की छटा नज़र आ जाएगी और 'कल्प वृक्ष'भाई साहब का जो ढूंढना हो ठिकाना तो किसी मंत्री जी के बंगले में चली जाना और यदि लोकसभा का सत्र रहा हो चल तो वहां,सत्ता और विपक्ष, एक दूसरे पर उगलते मिलेंगे 'हलाहल' अपने इस भाई से मिल लेना वहीँ पर और भाई 'चंद्रमा 'है शिवजी के मस्तक पर और शिवजी कैलाश पर,बहुत है दूरी पर वहां जाने के लिए,चाइना का वीसा है जरूरी और चाइना वालों का भरोसा नहीं, वीसा देंगे या ना देंगे फिर भी चाहोगी,तो कोशिश करेंगे तुम्हारे सब भाई बहन ठीक ठाक है,कहा ना फिर भी तुम चाहो तो मिलने चले जाना
ये तेरा हाथ जिस दिन से,है आया मेरे हाथों में जुलम मुझ पर ,शुरू से ही,है ढाया तेरे हाथों ने तुम्हारे थे बड़े लम्बे,नुकीले ,तेज से नाख़ून, दबाया हाथ तो नाखून,चुभाया तेरे हाथों ने इशारों पर तुम्हारी उंगुलियों के ,रहा मै चलता, बहुत ही नाच है मुझको, नचाया तेरे हाथों ने हुई शादी तो अग्नि के,लगाए सात थे फेरे, तभी से मुझको चक्कर में,फंसाया तेरे हाथों ने कभी सहलाया है मुझको,नरम से तेरे हाथों ने, निकाला अपना मतलब फिर,भगाया तेरे हाथों ने शरारत हमने तुमने बहुत की है,मिल के हाथों से, कभी सोते हुए मुझको जगाया तेरे हाथों ने रह गया चाटता ही उंगुलियां मै अपने हाथों की, पका जब प्रेम से खाना ,खिलाया तेरे हाथों ने मै रोया जब,तो पोंछे थे,तेरे ही हाथ ने आंसू, ख़ुशी में भी ,गले से था,लगाया तेरे हाथों ने सफ़र जीवन का हँसते हंसते,कट गया यूं ही, कि संग संग साथ जीवन भर,निभाया तेरे हाथों ने
पौराणिक कथाओं में पढ़ा था, जब कोई बड़ा या महात्मा, छोटे को आशीर्वाद देता था तो "चिरंजीव भव"या "आयुष्मान भव " या "जीवही शरदम शतः " कहता था और मै जब अपनी दादी को धोक देता था तो "खूब बूढों डोकरो होजे "की आशीष लेता था और आज जब मेरे केश सब हो गए है सफ़ेद दांत चबा नहीं पा रहे है घुटने डगमगा रहें है बदन पर झुर्रियां छागयी है काया में कमजोरी आ गयी है क्षुधा हो गयी मंद है मिठाई पर प्रतिबन्ध है सांस फूल जाती है चलने में जरा मतलब कि मै हो गया हूँ बूढा डोकरा फलित हो गया है बढों का आशीर्वाद पर कई बार मन में उठता है विवाद एकल परिवार के इस युग में, जब बदल गयी है जीवन कि सारी मान्यताएं और ज्यादा लम्बी उमर पाना, देता है कितनी यातनाएं एक तो जर्जर तन और उस पर टूटा हुआ मन तो कौन चाहेगा,लम्बा हो जीवन ज्यादा लम्बी उमर ,लगती है अभिशाप और ये पुराने आशीर्वाद, आज के युग में बन गए हैं श्राप
ॐ
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ॐजो आकाश है वही सूरज बन गया है जो सूरज है वही धरा बना जो धरा है वही चाँद और
सभी निरंतर होना चाहते हैं वह, जो थे जाना चाहते हैं वहाँ जहाँ से आये थे
!आदमी मे...
बचपन के रंग -
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बहुत पुरानी , घोर बचपन की बातें याद आ रही है.
मुझसे पाँच वर्ष छोटे भाई का जन्म तब तक नहीं हुआ था. पिताजी का ट्रांस्फ़र
होता रहता था - उन दिनों हमलोग तब ...
किताब मिली --शुक्रिया - 21
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जो तू नहीं तो ये वहम-ओ-गुमान किसका है
ये सोते जागते दिन रात ध्यान किसका है
कहां खुली है किसी पे ये वुसअत-ए -सहारा
सितारे किसके हैं ये आसमान किसका है
वुस...
स्मृतियों की झालर
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स्मृतियों की झालर
पूरे चांद की आधी रात में
एक मधुर कविता
पूरे मन से बने
हमारे अधूरे रिश्ते के नाम लिख रही हूं
चांद के चमकीले उजास में
सर्दीली रात में
तु...
दीप जलता रहे
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हमारे चारों ओर केइस घने अंधेरे में समय थोड़ा ही हो भले उजेला होने
में विश्वास आत्म का आत्म पर यूं ही बना रहेसाकार हर स्वप्न सदा होता रहेअपने
हर सरल - कठिन र...
प्लैजर मैरिज- मुस्लिम समुदाय
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विश्व में सबसे ज्यादा मुस्लिम जनसंख्या वाले देश इंडोनेशिया में वर्तमान
में निकाह का एक ढंग ट्रेडिंग हो रहा है , जिसमें गरीबी का जीवन गुजार रही
म...
लीज एंड लाइसेंस से सुरक्षित रहेगा घर
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आज तक मकान मालिक घर किराये पर देने से पहले रेंट एग्रीमेंट बनवाते आ रहे
हैं जिसमें घर को किराएदारी पर देने का 11 महीने का अनुबन्ध रहता है. घर के
कब्ज...
A visit to Frankfurt
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*अभी मैं तुम्हारे शहर से गई नहीं हूँ *
*अभी तो मैं बाक़ी हूँ उन अहसासों में *
*अभी तो सुनाई देती है मुझे गोयथे यूनिवर्सिटेट और तुम्हारे घर के बीच की सड़क
...
अनजान हमसफर
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इंदौर से खरगोन अब तो आदत सी हो गई है आने जाने की। बस जो अच्छा नहीं लगता वह
है जाने की तैयारी करना। सब्जी फल दूध खत्म करो या साथ लेकर जाओ। गैस
खिड़कियाँ ...
डमरू घनाक्षरी
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डमरू घनाक्षरी - शृंगार रस
वर्णिक छंद- 8, 8, 8, 8 की एक पंक्ति
हर अठकल अमात्रिक - त्रिकल त्रिकल द्विकल से
चार समतुकांत पंक्तियाँ
अनत जगत यह, सरल सहज व...
अब चक्र सुदर्शन उठाओ ना।
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बहुत सुना दी मुरली धुन मीठी ,
अब चक्र सुदर्शन उठाओ ना।
मोहित-मोहक रूप दिखा कर,
मोह चुके मनमोहन मन को,
अधर्म मिटाने इस धरती से ,
धर्म सनातन की रक्षा हित,
...
पुरानी तस्वीर...
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कल से लगातार बारिश की झड़ी लगी है। कभी सावन के गाने याद आ रहे तो कभी बचपन
की बरसात का एहसास हो रहा है। तब सावन - भादो ऐसे ही भीगा और मन खिला रहता था।
...
संवाद
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एकांत में संवाद
*************
उदास काले फूलों वाली रात
उतरी पहाड़ो की देह पर
जैसी सरकती हैं जमी पर असंख्य लाल चीटियां
झूठी हँसी लिए स्नोड्राप बह रहे हैं
एक ब...
बीज - मंत्र .
-
शब्द बीज हैं!
बिखर जाते हैं,
जिस माटी में ,
उगा देते हैं कुछ न कुछ.
संवेदित, ऊष्मोर्जित
रस पगा बीज कुलबुलाता
फूट पड़ता ,
रचता नई सृष्टि के अंकन...
अज़रबैजान यात्रा (भाग 11)
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*अज़रबैजान यात्रा (भाग 11) - **निजामी स्ट्रीट और हैदर अलिएव सेंटर और भारत
वापसी*
*अज़रबैजानी चाय के कप प्लेट *
दोपहर के भोजन के उपरांत हम लोग दो जगह ज...
हरियाली खुशहाली है... संध्या शर्मा
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बच्चों आओ मैं हूँ पेड़
मुझे लगाओ करो ना देर
जब तुम मुझे उगाओगे
धरती सुखी बनाओगे
दुनिया मेरी निराली है
हरियाली खुशहाली है
रोको मुझपर होते प्रहार
मै...
मैं जीवन हूँ
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न मैं सुख हूँ न दुख
न राग न द्वेष
मैं जीवन हूँ
बहता पानी
तुम मिलाते हो इसमें
जाने कितने केमिकल्स
अपने स्वार्थों के
भरते हो इसमें
कभी धूसर रंग
कभी लाल तो ...
गुमशुदा ज़िन्दगी
-
ज़िन्दगी
कुछ तो बता
अपना पता .....
एक ही तो मंज़िल है
सारे जीवों की
और वो हो जाती है प्राप्त
जब वरण कर लेते हैं
मृत्यु को ,
क्यों कि असल
मंज़िल म...
एक अनूठी फ़िल्म- 'नज़र अंदाज़'.
-
37° C, तापमान से बचने के लिये,, कमरे के परदे खींचे, A.C. चलाया और ओटीटी
प्लेटफार्म पर कोई फ़िल्म खोजने लगे. इत्तेफ़ाक़ से एक फ़िल्म का ट्रेलर चलने लगा,
और...
हाथी तो हाथी होता है
-
हाथी तो हाथी होता है ।
जंगल का साथी होता है ।
हरदम उसकी मटरगशतियां,
कभी खेत में, कभी बस्तियां;
कभी नदी के बैठ किनारे,
देखा करता है वो कश्तियां ।
कभी हि...
'साहित्य' अलग है, 'भाषा' अलग है
-
भाषा में होता है ज्ञानऔर...अपना ज्ञान भी होता है भाषा काछोटे शब्दों में
कहिए तोभाषा यानिज्ञान भीन मौन हैभाषाऔर न हीज्ञान मौन हैएक पहचान हैभाषा...जो
अपने आ...
युद्ध
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युद्ध / अनीता सैनी
…..
तुम्हें पता है!
साहित्य की भूमि पर
लड़े जाने वाले युद्ध
आसान नहीं होते
वैसे ही
आसान नहीं होता
यहाँ से लौटना
इस धरती पर आ...
जो मेरे अन्दर से गुजरता है
-
जाने कौन है वो
जो मेरे अन्दर से गुजरता है
थरथरायी नब्ज़ सा खामोश रहता है
मैं उसे पकड़ नहीं सकती
छू नहीं सकती
एक आखेटक सा
शिकार मेरा करता है
जाने क...
ओ साथी मेरे
-
मुझसे रुकने को कह चल पड़ा अकेले
सितारों की दुनिया में जा छिपा कहीं ...
वादा किया था उससे -कहा मानूंगी
राह तक रही हूँ ,अब तक खड़ी वहीं...
वो अब हमेशा के लिए म...
रामलला का करते वंदन
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कौशल्या दशरथ के नंदन
आये अपने घर आँगन,
हर्षित है मन
पुलकित है तन
रामलला का करते वंदन.
सौगंध राम की खाई थी
उसको पूरा होना था,
बच्चा बच्चा थ...
कल्पना
-
आज मैं जो कुछ भी लिखने जा रही हूँ वह एक ऐसी घटना है जिसे यदि आप जीना चाहते
हैं तो अपनी कल्पना शक्ति को बढ़ाईये. जितना ज्यादा आप अपनी कल्पना के घोड़े
दौड़ाए...
डॉल्बी विजन देखा क्या?
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इससे पहले, अपने पिछले आलेख में मैंने आपसे पूछा था – डॉल्बी एटमॉस सुना क्या?
यदि आपने नहीं सुना, तो जरूर सुनें.
अब इससे आगे की बात –
डॉल्बी विजन देखा क...
चन्द्रशेखर आज़ाद
-
चंद्रशेखर "आज़ाद"
**************
उदयाचल से अस्तातल तक इसकी जय जयकार रही,
शिक्षा और ज्ञान की इस पर बहती सतत बयार रही,
वैभव में दुनियाँ का कोई देश न इसका सानी...
Measuring Astronomical distances in Space
-
क्या आप जानते हैं कि दूरी कैसे मापी जाती है? बिल्कुल!!! हम सब जानते हैं, है
ना?मान लीजिए कि मैं एक नोटबुक को मापना चाहती हूं, मैं एक पैमाना/रूलर लूंगी,
एक ...
भकूट - कूट-कूट कर भरा हुआ प्रेम..
-
सबको भकूट दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। आप सब भी हैरान हो रहे होंगे कि आज तो
वैलेंटाइन डे है, हैप्पी वैलेंटाइन डे बोलना होता है, यह भकूट दिवस क्या और
कैसा। त...
ज़िन्दगी पुरशबाब होती है
-
क्या कहूँ क्या जनाब होती है
जब भी वो मह्वेख़्वाब होती है
शाम सुह्बत में उसकी जैसी भी हो
वो मगर लाजवाब होती है
उम्र की बात करने वालों सुनो
ज़िन्दगी पुरशबाब ह...
Boond
-
Samay ki dhara bahati hai
Nirantar abadhit.
Main to usability ek choosing boond
Jo ho jayegi jalashay men samarpit.
Ya dhara me awashoshit.
N...
जाले: घोड़ा उड़ सकता है
-
जाले: घोड़ा उड़ सकता है: घोड़ा उड़ सकता है. पिछली शताब्दी के दूसरे दशक में जब
मुम्बई-दिल्ली रेल लाइन की सर्वे हो रही थी तो एक अंग्रेज इंजीनियर ने कोटा व
सवाई...
नाच नचावे मुरली
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क्या-क्या नाच नचावे मुरली,
जहां कहीं बज जावे मुरली।
मीठी तान सुनावे मुरली,
हर मन को हर्षावे मुरली ,
जिसने भी सुनली ये तान,
नहीं रहे उसमें अभिमान।
मुरली तेर...
"संविदा कर्मियों का दर्द" @गरिमा लखनवी
-
*संविदा कर्मियों का दर्द*
*@**गरिमा लखनवी*
*--*
*कोई क्यों नहीं समझता*
*दर्द हमारा*
*हम भी इंसान हैं*
*योगदान भी है हमारा*
*--*
*सरकारी हो या निजी*
* कैसा भ...
आजमाइश
-
आजमाना न था साथी
जीवन की आजमाइश में
जिंदगी को तौलता तराजू
सूरज बना,
तुम कंधे पर बैठ उसके
थामनें लगे दुनिया
पकड़ने लगे पीलापन
मुट्ठी बंद करते ही
अंधेरा हो ...
Tara Tarini Maha Shaktipeeth.
-
*Tara Tarini Maha Shaktipeeth*
*गंजम जिले में पुरुषोत्तमपुर के पास रुशिकुल्या नदी के तट पर कुमारी
पहाड़ियों पर तारा-तारिणी ओडिशा के सबसे प्राचीन शक्तिपीठों...
मशहूर कथाएं : काव्यानुवाद
-
*दो बैलों की कथा :मुंशी प्रेमचंद)*
(1)
बछिया के ताऊ कहो, कहो गधा या बैल।
हीरा मोती मे मगर, नहीं जरा भी मैल।
नही जरा भी मैल, दोस्ती बैहद पक्की।
मालिक झूरी म...
अनूठा रहस्य प्रकृति का...
-
रात भर जागकर हरसिंगार वृक्ष
उसकी सख्त डालियों से लगे
नरम नाजुक पुष्पों की करता रखवाली
कि
नरम नाजुक से पुष्प
सहला देते सख्त वृक्ष के भीतर
सुकोमल...
उद्विग्नता
-
जीवन की उष्णता
अभी ठहरी है ,
उद्विग्न है मन
लेकिन आशा भी
नहीं कर पा रही
इस मौन के
वृत्त में प्रवेश
बस एक उच्छवास ले
ताकते हैं बीता कल ,
निर्निमे...
क्षणिका
-
हां
सच है
देहरी पार की मैंने
वर्जनाओं की
रुढ़िवाद की
पाखंड की
कुंठा की ....
ओह
सभ्य समाज ....!
तुम्हारी ओर से
सिर्फ घृणा .?
कहो
इतने नाजुक कब से हो लि...
महिला दिवस - विशेष
-
मैंने माँ से पहचाना
एक स्त्री होना
कितना दुसाध्य है
कोई देवता हो जाने से
पहचाना
अपनी बहिनों से
कैसे वो जोड़े रखती हैं
एक घर को दूसरे से
सीख पाया
अपनी बेटियो...
चुप गली और घुप खिडकी
-
एक गली थी चुप-चुप सी
इक खिड़की थी घुप्पी-घुप्पी
इक रोज़ गली को रोक ज़रा
घुप खिड़की से आवाज़ उठी
चलती-चलती थम सी गयी
वो दूर तलक वो देर तलक
पग-पग घायल डग भर प...
Pooja (laghukatha)
-
पूजा
" सुनिये ! ", पत्नी ने पति से कहा
" जी कहिये", पति ने पत्नी की तरह जवाब दिया तो पत्नी चिढ़ गयी. पति को समझ आ
गया और पत्नि से पूछा कि क्या बात है...
लाॅकडाउन 2
-
मोदी जी....सुनो:-
धीरे धीरे ही सही बीते इक्किस वार
सोम गया मंगल गया कब बीता बुधवार
कब बीता बुधवार हो गया अजब अचंभा
लगता है इतवार हो गया ज्यादा लंबा
दाढ़ी भी ...
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कोरोना को दूर भगाना है
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ख़ुशियों का संसार बसाना है
कोरोना को दूर भगाना है ।
आयी है सर पर विपदा भारी
दहशत में है यह दुनि...
Gatyatmak Jyotish app
-
विज्ञानियों को ज्योतिष नहीं चाहिए, ज्योतिषियों को विज्ञान नहीं चाहिए।दोनो
गुटों के झगडें में फंसा है गत्यात्मक ज्योतिष, जिसे दोनो गुटों के मध्य
सेतु ...
2019 का वार्षिक अवलोकन (अट्ठाईसवां)
-
खत्म होनेवाला है हमारा इस साल का सफ़र। 2020 अपनी गुनगुनी,कुनकुनी आहटों के
साथ खड़ा है दो दिन के अंतराल पर।
चलिए इस वर्ष को विदा देते हुए कुछ बातें कहती...
इंतज़ार और दूध -जलेबी...
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वोआते थे हर साल। किसी न किसी बहाने कुछ फरमाइश करते थे। कभी खाने की कोई खास
चीज, कभी कुछ और। मैं सुबह उठकर बहन को फ़ोन पे अपना वह सपना बताती, यह सोचकर
कि ब...
गुड्डू आओ ... गोलगप्पे खाएँ ....
-
गुड्डू आओ ... चलें ..
गोलगप्पे खाएँ
कुछ खट्टे-मीठे .. तो कुछ चटपटे-चटपटे खाएँ
चलो .. चलें ...
अपने उसी ठेले पे .. स्कूल के पास ...
आज .. जी भर के ... मन भ...
cara mengobati herpes di kelamin
-
*cara mengobati herpes di kelamin* - Penyakit herpes genital baik pada pria
maupun pada wanita kerap menjadi permasalahan tersendiri, karena resiko
yang le...
आइने की फितरत से नफरत करके क्या होगा
-
आईने की फितरत से नफरत करके क्या होगा
किरदार गर नहीं बदलोगे किस्सा कैसे नया होगा
हर बार आईना देखोगे धब्बा वही लगा होगा
आईने लाख बदलो सच बदल नहीं सकते
ज...
शर्मसार होती इंसानियत..
-
*इंसानियत का गिरता ग्राफ ...*
आज का दिन वाकई एक काले दिन के रूप में याद किया जाना था. सबेरे जब समाचार
पत्रों में इंसानियत को शर्मसार कर देने वाले इस समाचा...
कूड़ाघर
-
गैया जातीं कूड़ाघर
रोटी खातीं हैं घर-घर
बीच रास्ते सुस्तातीं
नहीं किसी की रहे खबर।
यही हाल है नगर-नगर
कुत्तों की भी यही डगर
बोरा लादे कुछ बच्चे
बू का जिनपर...
एक अधूरी [ पूर्ण ] कविता
-
घर परिवार अब कहाँ रह गए है ,
अब तो बस मकान और लोग बचे रहे है बाकी
रिश्ते नाते अब कहाँ रह गए है
अब तो सिर्फ \बस सिर्फ नाम बचे है बाकी
तीज त्योहार कहाँ ...
लिखते रहना ज़रूरी है !
-
पिछले कई महीनों में जीवन के ना जाने कितने समीकरण बदल गए हैं - मेरा पता,
पहचान, सम्बन्ध, समबन्धी, शौक, आदतें, पसंद-नापसंद और मैं खुद | बहुत कुछ नया
है लेकिन...
इन आँखों में बारिश कौन भरता है ..
-
बेतरतीब मैं
(३१.८.१७ )
`
कुछ पंक्तियाँ उधार है मौसम की मुझपर , इस बरस पहले तो बरखा बरसी नहीं ,अब
बरसी है तो बरस रही ,शायद ये पहली बारिशों का मौसम...
ब्लॉगिंग : कुछ जरुरी बातें...3
-
पाठक हमारे ब्लॉग पर हमारे लेखन को पढने के लिए आता है, न कि साज सज्जा देखने
के लिए. लेखन और प्रस्तुतीकरण अगर बेहतर होगा तो यकीनन हमारा ब्लॉग सबके लिए
लाभदा...
गुरुपूर्णिमा मंगलमय हो
-
*गुरुपूर्णिमा मंगलमय हो *
लगभग दो वर्ष के लंबे अंतराल के पश्चात् परम श्रद्धेय स्वामीजी संवित् सोमगिरि
जी महाराज के दर्शन करने (अभी 1 जुलाई) को गया तो मन भ...
जिन्द्गी
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जिन्दगी
कल खो दिया आज के लिए
आज खो दिया कल के लिए
कभी जी ना सके हम आज के लिए
बीत रही है जिन्दगी
कल आज और कल के लिए.
दोस्तों आज मेरा जन्म दिन भ...
हम चाँद को सिक्का बना दुनिया खरीद लेंगे
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*हम चाँद को सिक्का बना दुनिया खरीद लेंगेहाँ ! चाँद को सिक्का बना दुनिया
खरीद लेंगे*
जो रात होगी तो जमी से चाँदी बटोर लेंगे
चाँदी की फिर पायल बना लम्हों ...
Demonetization and Mobile Banking
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*स्मार्टफोन के बिना भी मोबाईल बैंकिंग संभव...*
प्रधानमंत्री मोदीजी ने अपनी मन की बात में युवाओं से आग्रह किया है कि हमें
कैशलेस सोसायटी की तरफ बढ़ना है औ...
गीत अंतरात्मा के: आशा
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गीत अंतरात्मा के: आशा: मैं एक आशा हूँ मेरे टूट जाने का तो सवाल ही नहीं
होता मैं बनी रहती हूँ हर एक मन में ताकि हर मन जीवित रह सके मुझे खुद को
बचाए ही र...
पानी की बूँदें
-
पानी की बूँदे भी,
मशहूर हो गई ।
कल तक जो यूँही,
बहती थी बेमतलब,
महत्वहीन सी यहाँ वहाँ,
फेंकी थी जाती,
समझते थे सब जिसके,
मामूली सी ही बूँदें,
आज वो पहुँच स...
खोया बच्चा.....
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आज एक हास्य कविता
एक बच्चा रो रहा था , मेले में अनाउंसमेंट हो रहा था ,
जल्दी आएं जिन का बच्चा हो ले जाएँ |
तभी सौ से ज्यादा लोग वहां आते है
जल्दी से बच...
सृजन
-
सृजन
जो मचलता है
स्फ़ुटन के लिए
भीतर ही भीतर।
डालियों में होती है बेचैनी
शायद चीर कर टहनियों के बाजुओं को
कोई निकालना चाहता है बाहर
एक नए सृजन के लिए।
...
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हनुमंथप्पा देश तुम्हें, करता है प्रणाम ।
जीत हिम को मौत से हारे, ले लो आखरी सलाम ।।
ले लो आखरी सलाम, देशहित जान गँवाई ।
प्रकृति की मार झेल भी, करते रहे अगुव...
स्वागतम्
-
मित्रों,
सभी को अभिवादन !!
बहुत दिनों के बाद कोई पोस्ट लिख रहा हूँ |
इतने दिनों ब्लॉगिंग से बिलकुल दूर ही रहा | बहुत से मित्रों ने इस बीच कई
ब्लॉग के लि...
विंडोज आधारित सिस्टम में गुगल वाइस टाइपिंग
-
*विंडोज आधारित सिस्टम में गुगल वाइस टाइपिंग*
हममें से अधिकांश लोगों को टंकण करना काफी श्रमसाध्य एवं उबाऊ कार्य लगता है
और हम सभी यह सेाचते हैं कि व्यक...
Happy Teacher's Day - “गुरु का हाथ”
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*पिसते… घिसते… तराशे जाते…*
*गिरते… छिलते… लताडे जाते…*
*मांगते… चाहते… ठुकराए जाते…*
*गुजर जाते हैं चौबीस या इससे ज्यादा साल…*
*लगे बचपन से… बहुत लोग फरिश...
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*जरा अपनी पॉलटिक्स तो बताओ राहुल!*
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राहुल गांधी सिर्फ एक व्यक्ति नहीं बल्कि एक पूरी बीट हैं ...
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बिखरती ही रही
कभी सिमटी ही नही ।
वफ़ा के साये में
बेवफाई पलटी रही ।
बातों किस्सों में
उलझकर रह गई ...
जमाना खामोश रहा
किसी की एक न चली ।
धुवाँ बनकर उड़ती रह...
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ख्वाबों की ताबीर
सुना है उसके शहर की ...
बात बड़ी निराली है ,
सुना है ढलते सूरज ने ...
कई दास्ताँ कह डाली है ,
सुना है जुगनुओं ने ...
कई बारात निकाली है ,
...
हमारा सामाजिक परिवेश और हिंदी ब्लॉग
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वर्तमान नगरीय समाज बड़ी तेजी से बदल रहा है। इस परिवेश में सामाजिक संबंध
सिकुड़ते जा रहे हैं । सामाजिक सरोकार से तो जैसे नाता ही खत्म हो गया है। प्रत्येक...
ज़िन्दगी का गणित
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कोण नज़रों का मेरे सदा सम रहा
न्यून तो किसी को अधिक वो लगा
घात की घात क्या जान पाये नहीं
हम महत्तम हुए न लघुत्तम कहीं
रेखा हाथों की मेरे कुछ अधिक वक्र ...
आहटें .....
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*आज भोर *
*कुछ ज्यादा ही अलमस्त थी ,*
*पूरब से उस लाल माणिक का *
*धीरे धीरे निकलना था *
*या *
*तुम्हारी आहटें थी ,*
*कह नहीं सकती -*
*दोनों ही तो एक से...
झाँसी की रानी पर आधारित "आल्हा छंद"
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झाँसी की रानी पर आधारित 'अखंड भारत' पत्रिका के वर्तमान अंक में सम्मिलित
मेरी एक रचना. हार्दिक आभार भाई अरविन्द योगी एवं सामोद भाई जी का.
सन पैंतीस नवंबर उ...
हम,तुम और गुलाब
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आज फिर
तुम्हारी पुरानी स्मृतियाँ झंकृत हो गई
और इस बार कारण बना
वह गुलाब का फूल
जिसे मैंने
दवा कर
किताबों के दो पन्नों के
भूल गया गया था
और उसकी हर पंखुड़िय...
गाँव का दर्द
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गांव हुए हैं अब खंढहर से,
लगते है भूल-भुलैया से।
किसको अपना दर्द सुनाएँ,
प्यासे मोर पप्या ?
आंखो की नज़रों की सीमा तक,
शहरों का ही मायाजाल है,
न कहीं खे...
संघर्ष विराम का उल्लंघन
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जम्मू,संघर्ष विराम का उल्लंघनकरते हुए पाकिस्तानी सेना ने रविवार को फिर से
भारतीय सीमा चौकियों पर फायरिंग की। इस बार पाकिस्तान के निशाने पर जम्मू जिले
के का...
प्रतिभा बनाम शोहरत
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“ हम होंगें कामयाब,हम होंगें कामयाब,एक दिन ......माँ द्वारा गाये जा रहे इस
मधुर गीत से मेरे अन्तःकरण में नए उत्साह का स्पंदन हो रहा था .माँ मेरे माथे
को ...
आवरण
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जानती हूँ
तुम्हारा दर्प
तुम्हारे भीतर छुपा है.
उस पर मैं
परत-दर-परत
चढाती रही हूँ
प्रेम के आवरण
जिन्हें ओढकर
तुम प्रेम से भरे
सभ्य और सौम्य हो जाते हो
जब ...
OBO -छंद ज्ञान / गजल ज्ञान
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उर्दू से हिन्दी का शब्दकोश
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ग़ज़ल शब्दावली (उदाहरण सहित) - 2 गीतिका छंद
वीर छंद या आल्हा छंद
'मत्त सवैया' या 'राधेश्यामी छंद' :एक ...
इंतज़ार ..
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सुरसा की बहन है
इंतज़ार ...
यह अनंत तक जाने वाली रेखा जैसी है
जवानी जैसी ख्त्म होने वाली नहीं ..
कहते हैं ..
इंतज़ार की घड़ियाँ लम्बी होती हैं
ख़त्म भ...
यार की आँखों में.......
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मैं उन्हें चाँद दिखाता हूँ
उन्हे दिखाई नही देता।
मैं उन्हें तारें दिखाता हूँ
उन्हें तारा नही दिखता।
या खुदा!
कहीं मेरे यार की आँखों में
मोतियाबिंद...
आज का चिंतन
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अक्सर मैं ऐसे बच्चे जो मुझे अपना साथ दे सकते हैं, के साथ हंसी-मजाक करता
हूँ. जब तक एक इंसान अपने अन्दर के बच्चे को बचाए रख सकता है तभी तक जीवन उस
अंधकारमय...
क्राँति का आवाहन
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न लिखो कामिनी कवितायें, न प्रेयसि का श्रृंगार मित्र।
कुछ दिन तो प्यार यार भूलो, अब लिखो देश से प्यार मित्र।
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अब बातें हो तूफानों की, उम्मीद करें परिवर्तन ...
कल रात तुम्हारी याद
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कल रात तुम्हारी याद को हम
चाह के भी सुला न पाये
रात के पहले पहर ही
सुधि तुम्हारी घिर कर आई
अहसास मुझको कुछ यूँ हुआ
पास जैसे तुम हो खड़े
व्याकुल हुआ कुछ मन...
HAPPY NEW YEAR 2012
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*2012*
*नव वर्ष की शुभकामना सहित:-*
*हर एक की जिंदगी में बहुत उतार चढाव होता रहता है।*
*पर हमारा यही उतार चढाव हमें नया मार्ग दिखलाता है।*
*हर जोखिम से ...
अपनी भाषाएँ
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*जैसे लोग नहाते समय आमतौर पर कपड़े उतार देते हैं वैसे ही गुस्से में लोग
अपने विवेक और तर्क बुद्धि को किनारे कर देते हैं। कुछ लोगों का तो गुस्सा ही
तर्क...
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दिल को आदत सी हो गयी है चोट खाने की
तुमसे दर्द पाकर भी मुस्कुराने की ....
ये जानते हुए की तुम आओगे नहीं कभी
फिर भी न जाने क्यूँ आस लगी है तुम्हारे आन...