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रविवार, 25 मार्च 2012

करवटों का मज़ा

      करवटों का मज़ा
नींद ना आती किसी को ,ये सजा है
करवटों का,मगर अपना ही मज़ा  है
एक तरफ करवट करो तो दिखे पत्नी,
                    पड़ी है चुपचाप कुछ बोले  नहीं है
एक ये समय है वो मौन रहती,
                     शांत,शीतल,कोई फरमाईश नहीं है
इस तरह के क्षण बड़े ही प्रिय लगें है,
                     शांत रहती जब कतरनी सी जुबां है
अगर खर्राटे नहीं यदि भरे बीबी,
                      भला इतनी शांति मिलती ही कहाँ  है
और दूजी ओर जो करवट करो तुम,
                      छोर दूजा खुला है,आजाद हो तुम
इस तरफ तुम पर नहीं प्रतिबन्ध कोई,
                        तुम्हारा जो मन करे,वैसा  करो तुम
कभी सीधे लेट ,छत के गिनो मच्छर,
                       बांह में तकिया भरो,जी भर  मज़ा लो
करवटों का फायदा एक और भी है,
                      करवटें ले,पीठ तुम अपनी खुजा लो
करवटें कुछ है विरह की,कुछ मिलन की,
                      है निराला स्वाद लेकिन करवटों में
करवटों का असर दिखता है सवेरे,
                      बिस्तरों की चादरों की,सलवटों में
करवटें तुम भी भरो और  भरे पत्नी,
                      नींद दोनों को न आये,एक बिस्तर
जाएँ टकरा ,यूं ही दोनों,करवटों में,
                   मिलन की यह विधा होती,बड़ी सुख कर
अगर मच्छर कभी काटे,करवटें लो,
                      जायेंगे दो,चार ,मर,कमबख्त,दब कर
भार सारा इक तरफ ही क्यों सहे तन,
                       बोझ तन का,हर तरफ बांटो बराबर
  नींद के आगोश में चुपचाप जाना,
                        भला इसमें भी कहीं आता मज़ा है
करवटों से पेट का भोजन पचेगा,
                        करवटों के लिए ही बिस्तर  सजा है
    नींद ना आती  किसी को ये सजा है
     करवटों का मगर अपना ही मजा है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'             

'स्माईल प्लीज'

         स्माईल  प्लीज

आपकी एक मुस्कान
जीत सकती है सारा जहान
बस,थोड़ी सी बांछें फैलाइये
और मुस्कराइये
आपकी स्माईल
जीत लेगी लोगों के दिल
गिले शिकवे सब मिट जायेंगे
दुश्मन भी दोस्त बन जायेंगे
क्योंकि मुस्कान
नहीं जानती रंग का भेद,
ना भाषा का ज्ञान
फिर भी दोस्ती करा देती है,
अंजानो को अपना बना देती है
बच्चों की मुस्कान निश्छल होती है,
सब का मन जीत लेती है
मासूम  सी किलकारियां,
सभी का ध्यान अपनी और खींच लेती है
जवानी की मुस्कान चंचल  होती है,
बिजलियाँ गिराती है
सभी के मन भाती है
कई बार इसे मुस्कराते मुस्कराते ही,
प्रीत हो जाती है
 बुढ़ापे की मुस्कान,
पर अगर दो ध्यान,
तो थोड़ी सी बेबस और लाचार होती है
पर ढलती उमर में,
वक़्त गुजारने का,
सबसे बड़ा आधार होती है
इसीलिए जब भी हो कोई आसपास,
जिसको आप,नहीं जानते हो खास,
लिफ्ट में मिले या घूमने में,
उसे देख  कर,हल्का सा मुस्कराइये
और अपना दोस्त बनाइये
क्योंकि मुस्कान है ही इसी चीज
इसलिये '
स्माईल प्लीज'
  
मदन मोहन बाहेती'घोटू'

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा सम्मवत् 2069 शुक्रवार तदानुशार 23 मार्च 2012 आपके लिए मंगलमय हो…

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा सम्मवत् 2069 शुक्रवार तदानुशार 23 मार्च 2012 आपके लिए मंगलमय हो…

शनिवार, 24 मार्च 2012

हमारा आज-तुम्हारा कल

             हमारा आज-तुम्हारा कल
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ये न समझो ,यूं ही हमने ,काट दी अपनी उमर है
भीग करके ,बारिशों में,अनुभव की हुए तर  है
आज तुम जिस जगह पर हो,क्या कभी तुमने विचारा
तुम्हारी इस प्रगति में,सहयोग है कितना   हमारा
तुम्हारे सुख ,दुःख ,सभी पर,आज भी रखते नज़र है
हमारा मन मुदित होता,तुम्हे बढ़ता देख कर है
प्यार तुम से कल किया था,प्यार तुमसे आज भी है
देख तुम्हारी तरक्की,हमें तुम पर नाज़ भी है
हमें है ना गिला कोई,आ गया बदलाव तुम मे
बदलना नियम प्रकृति का,क्यों रखें हम क्षोभ मन में
भाग्य का लेखा सभी को,भुगतना है,ख्याल रखना
आज हम को जो खिलाते,पड़ेगा कल तुम्हे  चखना

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

शुक्रवार, 23 मार्च 2012

किया इक तुरंती अगर टिप्पणी

सही को सराहो बिराओ नहीं ।
विरुद-गीत भी व्यर्थ गाओ नहीं ।

किया इक तुरंती अगर टिप्पणी-
अनर्गल गलत भाव लाओ नहीं । 

करूँ भेद लिंगी धरम जाति ना 
खरी-खोटी यूँ तो सुनाओ नहीं ।

सुवन-टिप्पणी पर बड़े खुश दिखे 
मगर मित्र को तो भगाओ नहीं ।

टिप्पणी का जरा ब्लॉग देखो इधर-
रूठ कर इस तरह दूर जाओ नहीं ।। 

दिनेश की टिप्पणी - आपका लिंक 

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