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सोमवार, 19 मार्च 2012

खामोश चाहत

मैं छूना चाहता हूँ ,
तुम्हें ,
कुछ इस तरह कि,
छूने का अहसास ,
भी होने पायें तुम्हें ,
क्योंकि , तुम मेरी खामोश चाहत का ,
मंदिर हो ,
मेरी चाहत का भूले से भी ,
अहसास ना करना ,
क्योंकि ये अहसास ,
तुम्हें चुभन और तड़पन देगा ,
और मैं तुम्हें तडपाना तो नहीं चाहता ,
मैं तो बस चाहते ही रहना ,
चाहता हूँ तुम्हें ,
तुम्हें अपनी चाहत का अहसास ,
दिलाये बिना ,
और मैंने अपनी इसी चाहत को ,
खामोश चाहत ,
का नाम दिया है .

विनोद भगत

रविवार, 18 मार्च 2012

जियो जील के जाल, टिप्पणी फिर से खोलो

हुवे समर्थक पाँच सौ, दिव्या दिव्य कमाल ।

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हुवे समर्थक पाँच सौ, दिव्या दिव्य कमाल । 
बढे चढ़े उत्साह नित, जियो जील के जाल ।

जियो जील के जाल, टिप्पणी फिर से खोलो ।
रहा सभी को साल, साल में सम्मुख बोलो ।

होय ईर्ष्या मोय, बताओ औषधि डाक्टर ।
शतक समर्थक पूर,  करे कैसे यह रविकर ।।

शनिवार, 17 मार्च 2012

जीते जो तेदुलकर, जो मारे सो मीर -

मेरे भारत रत्न, नई खुशियाँ नित पाओ --

जीते जो तेदुलकर, जो मारे सो मीर ।
शतक मीरपुर में लगा, कब से सभी अधीर ।
 
Sachin Tendulkar celebrates after he scored his 100th international century during their Asia Cup one- day international.
कब से सभी अधीर, बजट ने बहुत रुलाया ।
सही समय पर शतक, सचिन ने धैर्य बंधाया ।
 
मेरे भारत रत्न, नई खुशियाँ नित पाओ ।
रहो हमेशा स्वस्थ, सदा भारत हरसाओ ।। 

शुक्रवार, 16 मार्च 2012

सौवाँ शतक

               सौवाँ   शतक
सचिन,बधाई ढेरों तुमको,तुमने सौवाँ शतक लगाया
हम सब खेलप्रेमियों  का था,जो सपना ,सच कर दिखलाया
बहुत दिनों से आस लगी थी,तुम शतकों का शतक लगाओ
करो नाम भारत का रोशन, एसा करतब कर दिखलाओ
सुबह प्रणव दादा ने हमको,मंहगाई का डोज़  पिलाया
सबका मुंह कड़वा कर डाला, एसा मुश्किल बजट सुनाया
मंहगाई से त्रस्त सभी को ,दिए बजट ने खारे  आंसू
लेकिन तुमने शतक लगाके,खिला दिए जैसे सौ लड्डू
मुंह का स्वाद हो गया मीठा,भूल गए हम सब कडवापन
तुम्हारे इस महा शतक ने,जीत लिया है हम सबका मन
तुम क्रिकेट के 'महादेव' हो,तुम गौरव भारत माता के
सच्चे 'भारत रत्न'तुम्ही हो,देश धन्य तुम सा सुत पा के
सचिन ,बधाई तुमको ढेरों,तुमने सौवाँ  शतक बनाया
हम सब खेलप्रेमियों का था,जो सपना,सच कर दिखलाया

मदन मोहन बहेती'घोटू'

गुरुवार, 15 मार्च 2012

ये न समझना कि मै तुमसे डरता हूँ

ये न समझना कि मै तुमसे डरता हूँ

ये न समझना की मै तुमसे डरता हूँ

मै तो तुमसे प्यार ढेर सा करता हूँ
  बात मानता हूँ मै जब भी तुम्हारी
तुम होती हो मुदित,निखरती छवि प्यारी
वही विजय मुस्कान देखने  चेहरे पर,
जो तुम कहती हो  बस वो ही करता हूँ
ये  न समझना कि मै तुमसे डरता  हूँ
तुम जो कुछ भी,कच्चा पका खिलाती हो
मै तारीफ़ करूं,तो तुम सुख पाती हो
'वह मज़ा आ गया'इसलिए कहता हूँ,
खिली तुम्हारी बाँछों पर मै मरता हूँ
ये न समझना कि मै तुमसे डरता हूँ
कभी सामने आती जब तुम सज धज कर
और पूछती'लगती हूँ ना मै  सुन्दर'
मै तुम्हारे गालों पर चुम्बन देकर,
तुम्हारा सौन्दर्य चोगुना  करता हूँ
ये न समझना  कि मै तुमसे डरता हूँ

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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