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बुधवार, 22 फ़रवरी 2012

रखकर सर पर पैर, सयाना सरपट भागै--

प्रवीण जी ने फेसबुक से विदा ली


क्षण भर चेहरे देख के, करें जरूरी काम |
बड़ा मुखौटा काम का, छूटे नशे तमाम |

छूटे नशे तमाम, नशे का बनता राजा |
छोड़ जरुरी काम, बुलाये आजा आजा |

कह रविकर रख होश, मुखौटा खोटे लागै |
रखकर सर पर पैर, सयाना सरपट भागै ||

सत्तरवें जन्म दिन पर

सत्तरवें जन्म दिन पर


पल पल करके ,गुजर गए दिन,दिन दिन करके ,बरसों बीते
अब सित्तर की उमर हो गयी,लगता है कल परसों बीते
जीवन की आपाधापी में ,पंख लगा कर वक्त उड़ गया
छूटा साथ कई अपनों का ,कितनो का ही संग जुड़ गया
सबने मुझ पर ,प्यार लुटाया,मैंने प्यार सभी को बांटा
चलते फिरते ,हँसते गाते ,दूर किया मन का सन्नाटा
भोला बचपन ,मस्त जवानी ,पलक झपकते ,बस यों बीते
अब सित्तर की उमर हो गयी ,लगता है कल परसों बीते
सुख की गंगा ,दुःख की यमुना,गुप्त सरस्वती सी चिंतायें
इसी त्रिवेणी के संगम में ,हम जीवन भर ,खूब नहाये
क्या क्या खोया,क्या क्या पाया,रखा नहीं कुछ लेखा जोखा
किसने उंगली पकड़ उठाया,जीवन  पथ पर किसने रोका
जीवन में संघर्ष बहुत था ,पता नहीं हारे या जीते
अब सित्तर की उमर हो गयी,लगता है कल परसों बीत

मंगलवार, 21 फ़रवरी 2012

मै बसंती,तुम बसंती

मै बसंती,तुम बसंती
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मौन मन ही मन मिलन की,कामनाये बलवती थी
तुम्हारा सानिध्य पाने की लगन मन में लगी थी
बात दिल की कह न पाया था तुम्हे संकोच वश मै
भावना के ज्वार के आगे हुआ था पर विवश  मै
और जब मदमस्त आया,फाग का मौसम सुहाना
देख पुष्पित वाटिका को ,भ्रमर था पागल,दीवाना
मदन उत्सव पर्व आया,रंग छलके होलिका के
देख कर यौवन प्रफुल्लित,हो गयी बेचैन आँखें
ऋतू बासंती सुहानी,और मौसम मदभरा सा
देख कर के रूप तुम्हारा हुआ मै बावरा  सा
ज़रा सी गुलाल लेकर ,गाल पर मैंने  लगा दी
हो गए शर्मो हया से,गाल तुम्हारे   गुलाबी
नज़र जब तुमने झुका ली,लगी मुझको बात बनती
हो गयी तुम भी बसंती,हो गया मै भी बसंती

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

सोमवार, 20 फ़रवरी 2012

गीत

                   गीत
मक्की  की  रोटी सरसों का साग,
माँ के प्यार वाला मिठ्ठा वो राग.
आता है याद बहुत आता है याद........
बदले हैं दिन  चाहे  बदली  है  रातें,
जेहन में तरोताजा गुजरी वो बातें,
धुँआ उठ रहा चाहे बुझा  है चिराग.
आता है याद बहुत आता है याद.......
बेशक  उम्र  हो  गई  है पचपन की,
फिर  भी  न भूले  यादें बचपन की,
तालाब  किनारे  वाला  वो   बाग.
आता है याद बहुत आता है याद..........
जवानी  में  आँखें भी  चार  हुई   थी,
किसी के लिए हसरत बेकरार हुई थी,
मिटा  नही  दिल  पे  लगा  वो  दाग.
आता है याद बहुत आता है याद........"raina" 

मस्जिद में अल्ला हूँ

मस्जिद   में  अल्ला  हूँ  गूंजे,
मन्दिर  में   राम  श्याम   जपे,
एक ही मंजिल डगर अलग सही,
सब  उस  मालिक  का  नाम जपे.
                            राजिंदर शर्मा "रैना"
                             बराड़ा अम्बाला हरियाणा 

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