एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

दीपावली लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
दीपावली लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

सोमवार, 12 नवंबर 2012

आज दीवाली आई भाई


जहाँ को जगमग करते जाओ,
खुशियों की सौगात है आई;
दीपों की आवली सजाओ,
आज दीवाली आई भाई ।

श्री कृष्ण ने सत्यभामा संग नरकासुर संहार किया,
सोलह हज़ार स्त्रियों के संग इस धरा का भी उद्धार किया ।

असुर प्रवृति के दमन का
उत्सव आज मनाओ भाई;
दीपों की आवली सजाओ,
आज दीवाली आई भाई ।

रक्तबीज के कृत्य से जब तीनो लोकों में त्रास हुआ,
माँ काली तब हुई अवतरित, दुष्ट का फिर  तब नाश हुआ ।

शक्ति स्वरुपा माँ काली व,
माँ लक्ष्मी को पूजो भाई;
दीपों की आवली सजाओ,
आज दीवाली आई भाई ।

लंका विजय, रावण मर्दन कर लखन, सिया संग राम जी आये,
अवध का घर-घर हुआ तब रोशन, सबके मन आनंद थे छाये ।

उस त्योहार में हो सम्मिलित,
बांटों, खाओ खूब मिठाई;
दीपों की आवली सजाओ,
आज दीवाली आई भाई ।

पवन तनय का आज जनम दिन, कष्ट हरने धरा पर आये,
सेवक हैं वो राम के लेकिन, सबका कष्ट वो दूर भगाए ।

नरक चतुर्दशी, यम पूजा भी,
सब त्यौहार मनाओ भाई,
दीपों की आवली सजाओ,
आज दीवाली आई भाई ।

मर्यादित हो और सुरक्षित, दीवाली खुशियों का बहाना,
दूर पटाखों से रहना है, बस प्रकाश से पर्व मनाना ।

अपने साथ धरती भी बचाओ,
प्रदुषण को रोको भाई;
दीपों की आवली सजाओ,
आज दीवाली आई भाई ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-