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रविवार, 31 मार्च 2024

तेरी तेरी पकड़


तूने मुझे संभाल रखा है वरना अब तक

मैं तो जाने कब का इधर-उधर हो जाता 


मैं चंचल मन का प्राणी हूं 

बात बहुत जानी-मानी है 


शक्ल देखकर मेरी अब भी 

कई लड़कियां दीवानी है 


तू भी ऐसी ही फिसली थी 

गठबंधन में बंधा मगर मैं


ऐसा मंगलसूत्र में बांधा

भटक न पाया इधर-उधर मैं


 तेरे दिल के बैंक ने मुझको 

इतना अच्छा रिटर्न थमाया, 

यही हो गया फिक्सडिपॉजिट 

खोल ना पाया दूजा खाता 


 मुझे संभाल रखा है वरना अब तक

मैं तो जाने कब का इधर उधर हो जाता


 आज जलेबी ,कल  रसगुल्ला

तूने मृदु पकवान खिलाए 


कभी कचोड़ी,आलू की टिक्की 

और गोलगप्पे गटकाये 


चाट पापड़ी , दहीबड़े के 

मधुर स्वाद में यूं उलझाया 


भरता रहा, यूं ही चटकारे 

ऐसा स्वर्गिक आनंद आया 


कोशिश बहुत करी पिज़्ज़ा ने

 बर्गर ने भी लाइन मारी 

पर देसी स्वादों के चंगुल 

से मैं बाहर निकल ना पाया 


तूने मुझे संभाल रखा है वरना अब तक 

मैं तो जाने कब का इधर-उधर हो जाता


मदन मोहन बाहेती घोटू

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