अग्नि पूजन
दीपावली ,दशहरा ,होली,
है ये उत्सव प्रमुख हमारे
बड़े चाव उत्साह लगन से
इन्हें मनाते हैं हम सारे
दीपावली को दीप जलाते
हरेक दशहरा, जलता रावण
दहन होलिका का होली में
हर त्यौहार अग्नि का पूजन
हवन यज्ञ ,अग्नि का वंदन,
करो आरती ,जलती बाती
फेरे सात लिए अग्नि के
जन्मों की जोड़ी बन जाती
पका अन्न,अग्नि से खाते ,
जो देता जीवन भर पोषण
और अंत में इस काया का
अग्नि में संपूर्ण समर्पण
मानव जीवन के पल पल में
सुख हो, दुख हो,उत्सव ,खुशियां,
अग्नि संचालित करती है
जीवन की सारी गतिविधियां
मदन मोहन बाहेती घोटू
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।